‘पंडितजी’ अड़ गए, लेकिन आगे तो ‘सरकार’ ही रहे: पहली बार ट्रांसफर-पोस्टिंग में फाइनेंस और EMI स्कीम; ये मंत्रालय का ‘अमरीशपुरी’ कौन है?

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मध्यप्रदेश10 मिनट पहले
- हर शनिवार पढ़िए और सुनिए- ब्यूरोक्रेसी और राजनीति से जुड़े अनसुने किस्से
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने पहली बार उज्जैन में कैबिनेट बैठक की। इसमें मुख्य कुर्सी पर भगवान महाकाल की तस्वीर रखी गई। सीएम और सभी मंत्री अगल-बगल बैठे। ‘सरकार’ की इस पहल की खूब चर्चा हुई, लेकिन बैठक से पहले एक वाकया ऐसा हुआ, जिसने थोड़ी देर के लिए पुलिस के होश उड़ा दिए। पुलिस अफसर के सामने धर्मसंकट खड़ा हो गया कि ‘सरकार’ को आगे जाने दें या ‘पंडितजी’ को, क्योंकि अपने ‘सरकार’ तो पंडित जी हैं।
हुआ यूं कि बैठक में शामिल होने के लिए ‘सरकार’ का काफिला पहुंचा, उसी दौरान एक कद्दावर मंत्री का भी काफिला आ गया। पुलिस ने ‘सरकार’ के लिए इस मंत्री का काफिला रोक दिया, क्योंकि प्रोटोकॉल तो यही है। आगे जाना तो छोड़, ड्राइवर से गाड़ी थोड़ा पीछे करने को कह दिया। बस फिर क्या था, पंडितजी तमतमा गए। वो गाड़ी से नीचे उतर आए और कहा कि गाड़ी पीछे नहीं हटेगी। हालांकि, पुलिस अधिकारी ने इसे अनसुना करते हुए ‘सरकार’ के काफिले का इंतजार करने में ही भलाई समझी और वे कुछ देर के लिए वहां से हट गए। इससे फिर सिद्ध हो गया कि ‘सरकार’ ही आगे रहे।
पंडितजी ने लीक कर दिया महाकाल कॉरिडोर का नाम…
बीजेपी के राज में ‘नाम’ का बड़ा महत्व है। बीजेपी नाम बदलने में एक्सपर्ट है। किसी नए प्रोजेक्ट का नाम भी रखना है, तो खूब विचार-मंथन होता है। पीएम मोदी 11 अक्टूबर को उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर के पहले चरण का शुभारंभ करेंगे। इसका नाम क्या हो? इस पर पिछले दिनों एक बैठक में गहरा मंथन हुआ। कई नाम सुझाए गए, जिस पर विचार किया गया। इसमें से एक नाम लगभग तय हो गया। ‘शिव सृष्टि’, लेकिन ‘सरकार’ के पंडितजी ने इसे फाइनल मानकर करीबियों को बता दिया।
फिर क्या था, यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस पर मंत्रियों से लेकर अफसरों में कानाफूसी होने लगी कि ‘सरकार’ ने अपने नाम से महाकाल कॉरिडोर का नामकरण करवा दिया। हकीकत यह है कि ‘शिव सृष्टि’ नाम एक धर्माचार्य ने सुझाया था। जब बात निकली है, तो दूर तलक जाएगी ही, हुआ भी वैसा ही। सुना है कि पंडितजी के करीबियों ने ही इसे हवा देकर दिल्ली पहुंचा दिया। जैसे ही यह जानकारी ‘सरकार’ तक पहुंची, उन्होंने नाम बदलकर ‘महाकाल लोक’ कर दिया।

‘राजा साहब’ पीछे हटे, समर्थकों के टूटे सपने…
‘राजा साहब’ ने कांग्रेस के नए ‘बिग बॉस’ बनने का दम भरा, तो उनके समर्थक उन नेताओं की बांछे खिल गईं, जो सियासी गलियारे में गुमनाम से हो गए थे। उन नेताओं की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा, जो उनके इर्द-गिर्द नजर आते हैं। जब ये तय हो गया कि ‘राजा साहब’ कांग्रेस अध्यक्ष का नामांकन भरने वाले हैं, तो उनके समर्थक विधायकों और नेताओं की टोली ने दिल्ली दौड़ लगा दी। उनकी ये खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिक सकी। ‘राजा साहब’ ने नामांकन तो खरीदा, लेकिन 24 घंटे बाद ही चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया। उनके इस ऐलान से उनके समर्थक नेताओं के चेहरे लटक गए। उनके सपने टूट गए। एक समर्थक ने कहा- अगर ‘राजा साहब’ अध्यक्ष बनते तो मध्यप्रदेश को बहुत कुछ मिलता।
इधर, ‘राजा साहब’ के पीछे हटने पर बीजेपी ने एक बार फिर कांग्रेस में गुटबाजी का मुद्दा उछाल दिया। ‘सरकार’ के एक कद्दावर मंत्री ने ‘राजा साहब’ के पीछे हटने की वजह कमलनाथ को बता दिया। उन्होंने कहा कि कमलनाथ की 10 जनपथ में अंदर तक पैठ है। उन्होंने ये भी कहा कि कमलनाथ समर्थक एक भी विधायक दिल्ली नहीं पहुंचा। खैर जो भी कुछ हुआ, यह राजनीतिक घटनाक्रम था। मंत्री के बयान पर एक कांग्रेस की टिप्पणी- राजनीति में कुछ भी संभव है। कहते हैं कि राजनीति में ना कोई स्थायी दोस्त है, ना कोई स्थायी दुश्मन। ‘राजा साहब’ ने भले ही मैदान ना मारा हो, लेकिन उन्हें कुछ ना कुछ तो जरूर मिलेगा। इंतजार करिए।

ट्रांसफर की ‘भेंट’ में फाइनेंस और EMI स्कीम की सुविधा…
मध्यप्रदेश में इन दिनों ट्रांसफर का मौसम चल रहा है। मंत्रियों-विधायकों के दफ्तरों में आवेदकों की भीड़ उमड़ रही है। इसके लिए स्टाफ दिन-रात मेहनत कर रहा है। ‘सरकार’ आगे मौका देंगे, इसकी उम्मीद कम ही है। वजह है अगले साल विधानसभा चुनाव। वैसे भी चुनाव लड़ना महंगा हो गया है। सुना है कि आवेदन के साथ ‘शिष्टाचारी भेंट’ का वजन भी बढ़ा दिया गया है। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से उनकी आर्थिक हैसियत से ज्यादा डिमांड रखी जा रही है। एक मंत्री के स्टाफ ने तो इसके लिए बाकायदा फाइनेंस लेने की सलाह भी देना शुरू कर दिया है।
हुआ यह कि एक कर्मचारी ने एक मुश्त भेंट की जगह हर माह EMI (लोन पर हर महीने की किस्त) देने का ऑफर दे दिया। मंत्री के स्टाफ ने उसे सलाह दे दी कि यदि ऐसा ही करना है तो पर्सनल लोन ले लो। जो EMI यहां दोगे, वह लोन लेने वाली कंपनी को दे देना। यहां तो सब कुछ एक मुश्त ही है। बता दें कि ये वही मंत्री हैं, जिनका रहन-सहन और पहनावा जग जाहिर है।

गुरु से ज्यादा चेले के बंगले में खर्च…
एक मंत्री के बंगले में बड़े पैमाने पर बदलाव का काम हो रहा है। हो भी क्यों ना, उसका सीधा कनेक्शन दिल्ली से है। लिहाजा शासन-प्रशासन भी उनकी किसी बात को नहीं टालता। सुना है कि उन्होंने अपने बंगले में जितना काम करा लिया, उनके गुरु के बंगले में आधा काम भी नहीं हुआ। विरोधियों ने यह जानकारी गुरुजी तक पहुंचा दी है। बता दें कि मंत्रीजी मालवा से संबंध रखते हैं।

मंत्रीजी के आदेश से बचने छुट्टी चले गए साहब…
एक नगर निगम के आयुक्त अचानक छुट्टी पर चले गए हैं। पता चला है कि साहब को एक मंत्री ने काम दिया था, जो नहीं हुआ। साहब ने मंत्री को सीधे तौर पर काम करने से इनकार तो नहीं किया, लेकिन उन्हें संदेश जरूर भिजवा दिया कि प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया की ओर से मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। यानी मंत्री का काम तभी होगा, जब भोपाल से संदेश जाएगा। जैसे ही मंत्रीजी को जानकारी लगी, उन्होंने साहब को सीधे फोन पर आदेश दे दिया- काम नहीं कर सकते, तो आप छुट्टी चले जाइए। सुना है कि साहब 10 दिन की छुट्टी लेकर घर बैठ गए हैं। इस बीच उनके तबादले की फाइल भी मंत्रालय में चल पड़ी है।

और अंत में…
जरा बच के, अमरीशपुरी आ रहा है…
मंत्रालय के कर्मचारियों ने एक सीनियर आईएएस अफसर का नामकरण अमरीशपुरी के नाम पर कर दिया है। दरअसल, यह अफसर अमरीशपुरी जैसी टोपी पहनते हैं। उनके हावभाव व लहजा भी खलनायक जैसा ही है। कर्मचारी उनका सामना करने से बचते फिरते हैं। सुना है कि वे कर्मचारियों को मनपंसद पोस्टिंग का ऑफर करते हैं। यदि कोई तैयार नहीं हुआ तो वे दूसरे तरीके अपनाने से नहीं चूकते। मंत्रालय के गलियारे में जब वे निकलते हैं तो कर्मचारी एक-दूसरे को संदेश देते हैं- जरा बच के, अमरीशपुरी आ रहा है।

ये भी पढ़िए…
सियासत में सब कुछ खुलकर नहीं कहा जाता है। इशारों में समझा दिया जाता और समझने वाले समझ जाते हैं। एमपी की राजनीति में पिछले दिनों ऐसा ही हुआ। जो दिख रहा था, हकीकत उससे कहीं अलग थी। पोषण आहार पर एजी (महालेखाकार) की रिपोर्ट लीक होना ‘सरकार’ पर अटैक था, लेकिन सियासत पर बारीक नजर रखने वाले अतीत की घटनाओं को जोड़कर वहां तक पहुंच गए, जहां इसकी स्क्रिप्ट तैयार की गई। ग्वालियर में बन रही ‘सरकार’ के ताले की डुप्लीकेट चाबी!

मध्यप्रदेश की राजनीति में ‘महाराज’ के बदले हुए अंदाज से सियासी गर्माहट बढ़ती जा रही है। इससे ‘सरकार’ के खेमे में खलबली है, लेकिन विरोध-समर्थन का खेल सार्वजनिक होने में वक्त लगेगा, क्योंकि पिक्चर अभी धुंधली है। सिंधिया अपनी महाराज वाली छाप मिटा तो नहीं रहे, लेकिन इसे अपना अतीत बताकर नई छवि गढ़ने में जुट गए हैं। ‘सरकार’ के सामने नरोत्तम को CM बनाने के लगे नारे…

‘जहां दम वहां हम’ नेताओं पर यह जुमला बिल्कुल फिट बैठता है। राजनीति की रवायत ही कुछ ऐसी है। बात MP की करें तो पिछले एक साल में जब-जब बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व की नजरें यहां पड़ी, नेताओं में खलबली मच गई। बदलाव की बयार चलने के कयास भर से आस्था डोलने लगी। इस बार भी जब ‘सरकार’ बदलने की हवा उड़ी। ‘सरकार’ बदलने की हवा उड़ी तो आस्था डोलने लगी…
वोट बैंक की राजनीति जो कराए सो कम है। मध्यप्रदेश में BJP राष्ट्रपति पद की आदिवासी उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू को संख्या से ज्यादा वोट दिलाकर आला नेताओं की शाबाशी लूटना चाहती है। इसके लिए महाराष्ट्र का शिंदे फॉर्मूला अपनाया जा रहा है। यानी शिवसेना की तरह MP में कांग्रेस में तोड़फोड़…। सुना है कि BJP ने कोशिश भी की, लेकिन बात बाहर आ गई। माननीय को राज्यसभा का ऑफर
चुनाव लड़ना कोई सस्ता सौदा नहीं है। जेब ढीली करनी पड़ती है। पैसा ना हो तो अच्छे-अच्छे के आंसू निकल आते हैं। हुआ यूं कि MP के एक बड़े शहर में मेयर पद के लिए चुनाव लड़ रहीं BJP प्रत्याशी ने अपने घर पर बैठक बुलाई। इसमें कैंडिडेट के बहुत करीबी लोगों के साथ एक मंत्री भी शामिल हुए। BJP की मेयर कैंडिडेट के घर रो पड़े मंत्री…
बुंदेलखंड की सियासत के अपने अलग ही अंदाज हैं। लेकिन, यहां के एक जिले में दो मंत्रियों के बीच कभी पटरी बैठी ही नहीं। इनमें से जूनियर ‘सरकार’ का खास है। जबकि, सीनियर का संगठन में बोलबाला है। लेकिन, जब भी कोई खास मौका आता है, पूछपरख जूनियर की ही होती है। अब महापौर से लेकर पार्षदों के लिए बनी कमेटियों को ही ले लीजिए। भाजपा में सीनियर पर जूनियर का जोर…
सुप्रीम कोर्ट में नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव बिना OBC आरक्षण कराने के निर्देश के बाद सरकार मायूस हो गई। वो कहते हैं कि मन के जीते जीत है, मन के हारे हार…। सरकार ने भी ठान ली थी। कोशिश की और सशर्त अनुमति मिली। इसका श्रेय ‘सरकार’ को मिलना लाजिमी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खबर के बाद जब तक ‘सरकार’ एक्टिव होती, एक मंत्री ने बयान जारी कर दिया। मुख्यमंत्री से बात कराने कटवा दी ‘पप्पू’ की दाढ़ी…
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