भेड़ाघाट के धुआंधार की झांकी में विराजेंगी मां नर्मदा: 20 फीट ऊपर जलकलश लिए नजर आएंगी माता; जलकुंड में आर्टिफिशियल मगरमच्छ, मछलियां

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सागर37 मिनट पहले

शारदेय नवरात्र की शुरुआत सोमवार से हो रही है। सागर में माता की आराधना में भक्त जुट गए हैं। शहर में बड़े पंडालों में माता की स्थापना की जाएगी। जिसको लेकर मंडलों ने तैयारियां पूरी कर ली है। सागर के सदर मुहाल नंबर 8 में भेड़ाघाट के धुआंधार जलप्रपात की सजीव झांकी बनाई गई है। यहां जलप्रपात की झांकी के बीच मां नर्मदा की स्थापना की जाएगी।

झांकी तैयार करने के लिए श्री नवयुवक दुर्गोत्सव समिति के पदाधिकारियों ने जबलपुर से 5 कलाकार की टीम बुलाई है, जो झांकी को अंतिम रूप लेने में लगी हुई है। वहीं जलप्रपात को सजीव बनाने के लिए जबलपुर से पत्थर मंगवाया गया है। जबलपुर के पत्थर से ही भेड़ाघाट का धुआंधार जलप्रपात की सजीव झांकी तैयार की गई है।
45 फीट लंबा बनाया गया जलकुंड
समिति के सचिव प्रहलाद केशरवानी ने बताया कि दुर्गा स्थापना का यह 50वां साल है। झांकी की ऊंचाई जमीन से करीब 21 फीट है। जिसमें मां नर्मदा करीब 20 फीट ऊपर जलकलश लिए नजर आएंगी। जलप्रपात को सजीव बनाने के लिए 10 फीट चौड़ा और करीब 45 फीट लंबा जलकुंड तैयार किया गया है। कुंड पर जलबपुर के पत्थर लगाकर भेड़ाघाट के धुआंधार की आकृति उकेरी गई है। साथ ही सजीव जंगल और पहाड़ दिखाने के लिए करीब 150 फीट लंबी चौकोर और त्रिभुजाकार सीनरी तैयार कराई गई है। हाथ में जल बहता कलश लिए मां नर्मदा की प्रतिमा करीब 8 फीट ऊंची है। जलकुंड में कृत्रिम मगरमच्छ, कछुआ और मछलियां छोड़ी जाएंगी, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेंगी।

मां नर्मदा की होगी स्थापना।

मां नर्मदा की होगी स्थापना।

बुरादा से बनाया पहाड़, वाटर कलर से उकेरा जल-जंगल
15 दिन पहले जबलपुर के कलाकारों ने झांकी तैयार करने का काम शुरू किया था। 150 फीट लंबी और 10 फीट ऊंची सीनरी बनाई गई है। सीनरी में बुरादा से पहाड़, 15 प्रकार के वाटर कलर और डिस्टेंपर से जल, जंगल और पशु-पक्षी बनाए गए हैं। सीनरी तैयार करने में करीब 25 लीटर रंग खर्च हुआ है। इसके साथ ही झांकी स्थल पर भेड़ाघाट का स्वरूप उकेरने के लिए संगमरमर का काम किया गया है।
गांव वाली काकी ने की थी माता की स्थापना
समिति के सचिव केशरवानी ने बताया कि वर्षों पहले त्रिवेणी गुप्ता गांव वाली काकी ने माता की स्थापना की थी। बचपन में काकी के साथ मोहल्ले के युवक हाथठेले पर माता को लेकर विसर्जन करने जाया करते थे। उस समय सदर मुहाल 8 की देवी स्थापना होने पर माता काली गांव वाली के नाम से जानी जाती थी। जिसके बाद से युवाओं ने परंपरा शुरू की और देवी स्थापना शुरू की। यह देवी स्थापना का 50वां वर्ष है। नवरात्र के नौ दिन तक महाआरती, गरबा समेत अन्य धार्मिक कार्यक्रम होते हैं।

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