शराब ने गला दिया पेंक्रियाज, एम्स के डॉक्टरों ने निकाला: भोपाल में पहली बार वीडियो असिस्टेड रेट्रोपेरिटोनियल डिब्राइडमेंट से की गई सर्जरी

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भोपालएक घंटा पहले

राजधानी भोपाल में पहली बार शराब की लत के कारण खराब हुए पेंक्रियाज को निकाला गया है। 34 साल के मुकेश कुमार (बदला हुआ नाम)को पेट में दर्द, उल्टी और बुखार की शिकायत थी। वो 15 दिन से अस्पताल में भर्ती था। पहले उन्हें भोपाल के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, बाद में उन्हें एम्स रेफर कर दिया गया। सीटी स्कैन और अन्य जांच के बाद, उनके पैंक्रियास के आसपास पैंक्रियाटिक क्रोसिस और फोड़ा पाया गया। इस कंडीशन को तीव्र अग्नाशय शोथ या एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस कहा जाता है। एम्स भोपाल के जनरल सर्जरी डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स ने मिलकर पहली बार एक्यूट पेंक्रियाटाइटिस को ‘की होल’ सर्जरी करके मरीज को दर्द से राहत दी है।

क्या है ‘वार्ड’ तकनीक?
आमतौर पर पैंक्रियाटिक नेक्रोसिस या (गले हुए अग्नाशय) का ऑपरेशन पेट में लंबा चीरा लगाकर किया जाता है। बड़ा चीरा लगा होने के चलते मरीज को रिकवर होने में लंबा वक्त लगता है। लेकिन एम्स में इस मरीज का इलाज ‘वार्ड’ यानी वीडियो असिस्टेड रेट्रोपेरिटोनियल डिब्राइडमेंट नाम की नई ऑपरेटिव तकनीक से किया गया। यह एक ‘की होल’ सर्जरी है। इस तकनीक से एक छोटा चीरा लगाकर ही इलाज किया जा सकता है। इससे मुश्किलें कम आती हैं और मरीज को जल्दी डिस्चार्ज कर दिया जाता है।

ज्यादा शराब पीने से मरीज को पैंक्रियाटिक नेक्रोसिस हो गया था, जिसकी वजह से उसका पैंक्रियास खराब हो गया था।

ज्यादा शराब पीने से मरीज को पैंक्रियाटिक नेक्रोसिस हो गया था, जिसकी वजह से उसका पैंक्रियास खराब हो गया था।

की होल सर्जरी के जरिए गले हुए पैंक्रियास और मवाद को हटा दिया गया। फिर बिना किसी शिकायत के मरीज को छुट्टी दे दी गई। इससे पहले एम्स में मरीज का शुरुआती ट्रीटमेंट एंटीबायोटिक दवाओं और नस में ड्रिप के जरिए दी जाने वाली दवाइयों से किया गया। बीमारी के चलते मरीज मुंह से भोजन नहीं कर पा रहा था, जिसके बाद नासो- गैस्ट्रिक ट्यूब (नाक के माध्यम से पेट में डाली जाने वाली नली) के जरिए उसे खाना दिया गया।

ज्यादा शराब पीने से होती है बीमारी
पैंक्रियास शरीर में एक अंग है, जो भोजन को पचाने में मदद करता है। ज्यादा शराब पीने से तीव्र अग्नाशयशोथ होता है। अस्पताल में भर्ती मरीज पिछले 10 साल से रोज शराब पीता था। तीव्र अग्नाशयशोथ एक जानलेवा बीमारी है और इस प्रकार के रोगियों के बचने की संभावना कम होती है। पैंक्रियास में फोड़ा बनने और बीमारी में कई अंगों की भागीदारी की वजह से इस बीमारी का इलाज काफी चुनौतीपूर्ण होता है। मरीज का सफल ऑपरेशन प्रोफेसर डॉ. श्याम लाल, डॉ. स्वागत ब्रह्मचारी, डॉ. मूरत सिंह यादव और डॉ. विकास लाल ने मिलकर यह किया। डॉ. जेपी शर्मा और डॉ. परिणीता मंडल एनेस्थीसिया टीम से शामिल थे ।

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