Chhattisgarh

KORBA : जिले का एकमात्र ऐसा गणेश मंदिर, जहां चतुर्थी ही नहीं हर रोज होती है गणेश जी की पूजा

कोरबा, 5 सितम्बर । कोरबा जिले के रिकांडो रोड, कुआंभट्ठा में एक ऐसा मंदिर है जहां गणेश भगवान् की गणेश चतुर्थी में ही नहीं हर दिन उनकी पूजा आरती की जाती है। एवं उसके पश्चात भोग का वितरण किया जाता है। जैसा कि आप जानते है कि हिंदू धर्म को मानने वालों में देवी देवताओं के प्रति अटूट आस्था होती है। ऐसी आस्था रखने वालों को परिचय देने की जरूरत नहीं होती। शहर के ही रहने वाले स्व. ठाकुर जन्मेजय सिंह भी एक ऐसा ही नाम है। वैसे तो वे सभी देवी देवताओं की पूजा-अर्चना में विश्वास रखते थे, लेकिन प्रथम पूज्य भगवान गणेश के प्रति उनकी विशेष रुचि थी, जिसके कारण वे मुंबई के सिद्धि विनायक मंदिर में स्थापित भगवान गणेश का दर्शन पूजन करने जब भी समय मिलता चल पड़ते थे। उनका लगाव अपने अराध्य के प्रति इतना बढ़ गया था कि उन्होंने शहर के बीच श्री सिद्धि विनायक का मंदिर ही बनवा दिए।

रिकांडो रोड, कुआंभट्ठा में इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा उन्होंने 27 अप्रैल 2010 में कराई थी। तब से इस मंदिर में विघ्नहर्ता स्वामी गणेश की पूजा चतुर्थी ही नहीं वरन रोजाना होने लगी है। मंदिर के पुजारी पं. अमरनाथ चौबे ने बताया कि कुआंभट्ठा का यह मंदिर जिले का एक मात्र गणेश भगवान का मंदिर है। जहां रोज उनकी पूजा अर्चना की जाती है।

सौम्य स्वरूप सिद्धि विनायक की पहचान


मंदिर के पुजारी पं. अमरनाथ चौबे ने बताया कि जस नाम तस काम। सिद्धि विनायक की मूर्ति सौम्य स्वरूप की होती है, जो सबसे अलग दिखेगी। भगवान गणेश का सूंड प्रतिमाओं में अक्सर बांए की ओर मुड़ा हुआ दिखाया जाता है। ऐसी प्रतिमाओं का स्वरूप क्रोध व रौद्र स्वरूप को प्रदर्शित करता है, जो आसानी से अपने भक्तों की नहीं सुनते हैं। सिद्धि विनायक नाम इसीलिए दिया गया, क्योंकि इसमें मूर्ति में बना सूंड बांए नहीं दाहिने की ओर मुड़ा होता है। ऐसी मूर्तियां होने से भगवान अपने भक्तों की अर्जी आसानी से सुन लेते हैं और पूरा भी करते हैं।

अघरिया समाज कर रहा है मंदिर का संचालन


इस इकलौते गणेश जी के मंदिर का संचालन छत्तीसगढ़ अघरिया समाज बुधवारी इकाई द्वारा किया जा रहा है। मंदिर के बेहतर संचालन के लिए अब समिति बन गई है, जिसके अध्यक्ष काशीकांत गौतम, सचिव राजेश्वर दीवान, कोषाध्यक्ष हरनारायण सिंह व सक्रिय सदस्य देवेन्द्र कश्यप हैं।

इनकी देखरेख में मंदिर की व्यवस्था बनी हुई है। सचिव दीवान ने बताया कि जिस मंदिर का नींव स्व. ठाकुर जन्मेजय सिंह ने रखी है। उसे बनाए रखने की जिम्मेदारी अब समाज ने उठा रखी है, जिसका निर्वहन समाज की इकाई कर रहा है।

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