टूट चुकी हूँ इतनी की अब न जुड़ पाऊँगी…. कफस में कैद बुलबुल अब उड़ न पाऊँगी….

शंकर पांडे  ( वरिष्ठ पत्रकार ) 

नोयडा (दिल्ली) में दो इमारतों के ध्वस्त होने पर नाचते मीडिया को कठघरे में डालते हुए सवाल उठाया जा रहा है कि जब रिहा किये गये बलात्कारियों को हर जगह मालाएं पहनाई जा रही हैं, एक मुख्यमंत्री (हेमंत सोरेन) को निशाने पर लेकर दूसरे को छोड़ा जा रहा है, कर्नाटक में सावरकर बुलबुल पर सवार हैं, तब लोकतंत्र का खतरा उन्हें क्यों नहीं दिख रहा है…?
कर्नाटक और विवादों का गहरा नाता होता जा रहा है। अब सावरकर को लेकर एक नया विवाद यहां खड़ा कर दिया गया है। राज्य सरकार की पाठ्यक्रम संशोधन समिति ने विनायक दामोदर सावरकर का एक पाठ कक्षा 8 के इतिहास में जोड़ा गया है। सावरकर से संबंधित पाठ जोड़ने पर कोई बवाल नहीं है बल्कि इसमें लिखे कुछ हास्यास्पद तथ्य को लेकर नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। दरअसल, सावरकर के बारे में लिखे गए पाठ में यह बताया गया है कि वह जब अंडमान जेल में बंद थे तो बुलबुल पक्षी पर सवार होकर देश की यात्रा करते थे और फिर वापस जेल में चले जाते थे। विपक्ष ने काफी हास्यास्पद इतिहास को लेकर बीजेपी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर निशाना साधा है।बच्चे भी सवाल कर सकते हैं कि ज़ब सावरकर की कोठरी में कोई छेद ही नहीं था तो बुलबुल रोज आखिर आती कहां से थी…? फिर छोटी बुलबुल के पंखोँ पर सवार होकर कैसे उड़ा जा सकता है…? खैर इसका जवाब तो शिक्षक – शिक्षकाओं के पास भी नहीं होगा इसका जवाब वाट्स अप यूनिवर्सिटी से ही मिल सकेगा…..?

सजा इमारत को… आरोपियों का क्या….    

नोयडा में बनी 2 बहुमंजली इमारत को कुछ सेकेण्ड में ही बारूद से धरासायी कर दिया गया….क्या उन ईमारतोँ का और कोई उपयोग नहीं हो सकता…. गिराने से भी पर्यावरण को नुकसान तो हुआ ही ….क्या भ्रष्टाचार खत्म हो गया ….80हजार टन मालबा निकला… मलबा हटाने में लगभग 3 माह का समय लगेगा ….इस मामले 4 सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) ने एक महीने की गहन जांच-पड़ताल के बाद विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी । एसआईटी रिपोर्ट में, सुपरटेक मामले में नोएडा विकास प्राधिकरण के 26 अधिकारियों की संलिप्तता को उजागर किया गया है। एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर उप्र शासन ने गंभीरता भी लिया….? एसआईटी की रिपोर्ट में नोएडा प्राधिकरण के जो 26 अधिकारी दोषी पाए गए हैं, उनमें से दो की मृत्यु हो गई है। 4 अधिकारी सेवारत हैं और 20 अधिकारी रिटायर हो चुके हैं। सेवारत 4 अधिकारियों में से एक का निलंबन हो चुका है। अब 3 अधिकारियों को निलंबित करते हुए विभागीय कार्यवाही की प्रक्रिया की गई। रिटायर हो चुके अधिकारियों के खिलाफ भी नियमानुसार कार्यवाही का आदेश हुआ।

भूपेश हैँ तो गैर……भाजपाइयों को भरोसा है….    

आपरेशन लोटस भाजपा की पहचान बन गई है वहीं उससे बचने गैर भाजपा की राज्य सरकारों के लिये छ्ग एक सुरक्षित जगह नजर आ रही है विपक्षी पार्टियों का मानना है कि भूपेश बघेल है तो भरोसा है…..जिन राज्यों में गैर भाजपा की सरकार है उसके लिये छ्ग और भूपेश सरकार संकट मोचन की भूमिका में है।….पहले असम के विधानसभा चुनाव लड़ने वाले कुछ लोग आए थे फिर राज्य सभा चुनाव के समय हरियाणा के विधायक आए थे , महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट के समय भी विधायकों के आने की चर्चा थी खैर वे नहीं आए…. अब झारखण्ड में सियासती माहौल के चलते वहाँ सत्ताधारी दल के विधायक भी छ्ग में आए हैं… यहां यह भी बताना जरुरी है कि झारखण्ड के राज्यपाल रमेश बैस छ्ग के मूल निवासी हैं तथा रायपुर लोकसभा से 7बार सांसद चुने जा चुके हैं।उनके सीएम हेमंत सोरेन को लेकर निर्णय का बेसब्री से इंतजार है….।

नक्सल समस्या का……हल चुटकियों में…    

देश के गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल में आयोजित एक बैठक में कहा था कि नक्सली समस्या पर छ्ग की प्रदेश सरकार अच्छा काम कर रही है… वहीं रायपुर में आयोजित मोदी @20 कार्यक्रम में क़ह दिया कि छ्ग में सरकार बदल दो (भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार)तो चुटकियों में नक्सली समस्या हल हो जाएगी…. अब गृह मंत्री का बयान था तो छ्ग की कॉंग्रेस सरकार के मुखिया भूपेश बघेल ने पूछ ही लिया कि आपके कार्यकाल में 5 साल छ्ग में भाजपा की सरकार काबिज थी फिर नक्सली समस्या क्यों नहीं चुटकियों में सुलझा दी गईं… यही नहीं छग में भाजपा के शासनकाल में नक्सल समस्या अपने चरम पर रही… भाजपा शासन में ही झिरम घाटी नक्सली वारदात में देश का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड हुआ….? खैर राजनीतिक बयानों के कोई मायने नहीं होते हैँ.. क्योकि जिन राज्यों में भाजपा या उनके समर्थन की सरकार है वहाँ नक्सल समस्या क्यों खत्म नहीं हुई है…?

प्रमुख सचिवों की कमी…..है छत्तीसगढ़ में….   

छ्ग में 1989 बैच के आईएएस अभिताभ जैन मुख्य सचिव है तो 91 बैच की आईएएस रेणु जी पिल्ले तथा 92 बैच के सुब्रत साहू अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं।इनके बाद 93 बैच के अमित अग्रवाल हैँ जो प्रतिनियुक्ति पर छ्ग से बाहर हैं। अब प्रमुख सचिव की बात कर लें….छ्ग में 4प्रमुख सचिव थे। उसमे डॉ आलोक शुक्ला (रिटायर होने के बाद संविदा नियुक्ति पर) प्रमुख सचिव के पद पर कार्यरत हैं, दूसरी प्रमुख सचिव मनिंदर कौर द्विवेदी प्रतिनियुक्ति पर जा चुकी हैं, तीसरे प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी का भी देर सबेर प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में जाना तय है क्योंकि उनकी पत्नी मनिंदर दिल्ली जा चुकी है अब चौथे प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ हैं बस वहीं एक मात्र बचेंगे ऐसा लगता है….?

और अब बस….

0छ्ग में 3 नये जिलों का शुभारम्भ…2और 3 को… एक नये जिले की शुरुआत के लिये डॉ चरण दास महंत का इंतजार…..
0 अंतराज्यीय प्रतिनियुक्ति पर गये छ्ग कॉडर के आईएएस बीबीआर सुब्रमण्यम अगले माह सेवानिवृत हो रहे हैं।
0रायपुर के पूर्व कलेक्टर तथा भाजपा नेता ओ पी चौधरी के बढ़ते वर्चस्व से कुछ खांटी नेताओं की चिंता बढ़ गईं है…?