बिजली सरप्लस और ऊर्जा नीति बनाने वाला देश का पहला राज्य बना हिमाचल

हिमाचल  प्रदेश बिजली सरप्लस और ऊर्जा नीति बनाने वाला देश का पहला राज्य है। जल विद्युत दोहन में संयुक्त क्षेत्र में 1500 मेगावाट की नाथपा झाकड़ी परियोजना को भी मुख्य रूप से जोड़ा।

मेरा जन्म 1948 को हुआ। मेरा स्वरूप विशाल वर्ष 1966 को हुआ। मुझे पूर्ण राज्यत्व का दर्जा 25 जनवरी 1971 में मिला। यदि मेरे विद्युत विकास क्षेत्र की कहानी सुनाई जाए तो मैं यह कह सकता हूं कि विद्युत क्षेत्र को दिशा मिली 1 सितंबर 1971 को जब हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड का गठन किया गया। इसे विद्युत के विकास, उत्पादन, संचार और सुदृढ़ आर्थिक आधार पर वितरण का उत्तरदायित्व दिया गया। मेरे पास केवल 3,249 गांव की विद्युत सुविधा से जुड़े थे।  प्रदेश के सभी गांवों में विद्युत पहुंचाने का काम जोर-शोर से शुरू करने के साथ ही जल विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में मुझे विद्युत बोर्ड ने कई परियोजनाएं उपहार में दी। विश्व के सबसे ऊंचे स्थान रोंगटोंग में पहली जल विद्युत परियोजना का निर्माण व प्रथम भूमिगत विद्युत गृह भावा के निर्माण का श्रेय भी हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड के पास ही है। मैं वर्ष 1988 में देश के सभी पहाड़ी राज्यों में अपना शत-प्रतिशत विद्युतीकरण कर प्रथम राज्य बना। फिर चाहे वह विश्व का सबसे ऊंचे स्थान पर स्पीति घाटी में बसा गांव किब्बर हो या कांगड़ा जिले का पिछड़ा इलाका।

मैंने जल विद्युत दोहन में संयुक्त क्षेत्र में 1500 मेगावाट की नाथपा झाकड़ी परियोजना को भी मुख्य रूप से जोड़ा। केंद्रीय उपक्रम एनएचपीसी व एनटीपीसी के माध्यम से भी कई बड़ी-बड़ी परियोजनाओं चमेरा-चरण एक, चरण दो व चरण तीन, पार्वती तीन का निर्माण एनएचपीसी व कोलबांध एनटीपीसी ने पूर्ण किया। वर्ष 1980 में चंबा में एनएचपीसी ने अपनी प्रथम जल विद्युत परियोजना बैरा स्यूल का कार्य भी पूर्ण किया। मैंने प्रदेश में उपलब्ध अपार जल विद्युत क्षमता के तीव्र दोहन के उद्देश्य से अक्तूबर 1990 में निजी क्षेत्र की भागीदारी को सम्मिलित करने की भी पहल की। इसके तहत बास्पा दो जलविद्युत को दोहन के लिए आवंटित किया गया, जिसमें पहली बार 12 प्रतिशत रॉयल्टी का प्रावधान रखा गया। बीते साढ़े चार वर्षों में प्रदेश में लगभग 4,864 नए नए वितरण ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं। करीब 57,046 लकड़ी के पुराने खंभों को स्टील के खंभों से बदला जा चुका है। मार्च 2023 तक लकड़ी के शत प्रतिशत खंभों को लोहे के खंभों से बदलने की योजना है।

ऊर्जा नीति बनाने वाला देश का पहला राज्य


मैं देश का पहला ऐसा राज्य बना जिसने वर्ष 2006 में अपनी ऊर्जा नीति बनाई। प्रदेश के सभी जलविद्युत परियोजनाओं में एलएडीएफ  (स्थानीय क्षेत्र विकास निधि) शुरू किया जो देश में अपनी तरह की एक अनूठी पहल थी। हाल ही में सरकार ने अपनी स्वर्णिम ऊर्जा नीति 2021 पारित की है। इसमें कई प्रकार के नए प्रावधान किए गए है। वर्ष 2030 तक 10 हजार मेगावाट अतिरिक्त हरित ऊर्जा का उत्पादन करना। प्रदेश को जल बैटरी राज्य के रूप में विकसित करना। प्रदेश में शत-प्रतिशत हरित ऊर्जा का उपयोग करना। प्रदेश में ग्रीन हाईड्रोजन ऊर्जा को बढ़ावा देना। औद्योगिक उत्पाद में शत-प्रतिशत हरित ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना। पंप स्टोरेज परियोजनाओं के लिए विभिन्न प्रोत्साहन देना इसके प्रमुख घटक है।