60 साल पहले ऐसी थी मां चामुंडा की झलक: देवास टेकरी पर तीन बार बदल गया माता का स्वरूप; जानिए वजह…

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देवास5 मिनट पहले

दुनिया में दो रियासतों वाले इकलौते शहर कहे जाने वाले देवास की मां चामुंडा मंदिर की झलक को लेकर इतिहास दिलचस्प है। पहाड़ी पर ही उभरी हुई मां चामुंडा के चेहरे की झलक 60 साल में तीन से चार बार बदल गई है। बूढ़े-बुजुर्गों ने जब दर्शन किए होंगे तो स्वरूप अलग था। अब बिल्कुल अलग है और यह प्रमाणित है।

आइए बताते हैं इसकी वजह और बदलते जा रही चेहरे की झलक को…

गोविंद व्यास 85 साल के हैं। वे बताते हैं, मुझे ज्यादा पुराना तो याद नहीं है, लेकिन 60 साल पहले की तस्वीर और यादें जरूर ताजा हैं। मुंबई से कलाकार गोपाल कृष्ण दवे ने मां चामुंडा का स्कैच बनाया था। इसे वॉटर कलर से बनाया था। दवे मुंबई में फिल्मों के पोस्टर बनाया करते थे। मां चामुंडा का यह स्कैच आज भी मेरे पास सुरक्षित है। यह ओरिजिनल है।

चामुंडा मंदिर के पुजारी रवींद्र नाथ कहते हैं कि वर्तमान में जो माता के चेहरे का स्वरूप है, वह पहले ऐसा नहीं था। तब भगवती का अलग स्वरूप था। समय-समय पर भगवती के स्वरूप (चेहरे की झलक) बदलते गए। कुछ वर्ष पहले पहाड़ी से होने वाली बारिश के पानी रिसाव के कारण भगवती के चेहरे में हल्का बदलाव आया है। चूंकि, यह बदलाव हैरान करने वाला था, इसलिए कई श्रद्धालु चकित भी थे। प्रशासन को भी तत्काल एक्शन मोड में आना पड़ा था।

श्रद्धालुओं और पुजारी का कहना है कि आखिरी बार चेहरे में स्पष्ट बदलाव 2017 में देखने को मिला था। तब चोला छूटने से यह बदलाव हुआ। पहले माता रानी के चेहरे का स्वरूप हल्का लंबा था, जो बदलकर अब हल्का गोल हो गया। वर्तमान में यही स्वरूप लोगों को देखने को मिलता है।

वैसे तो माता के दोनों मंदिरों में रोजाना भक्त पहुंचते हैं। नवरात्र में भक्तों की संख्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है।

वैसे तो माता के दोनों मंदिरों में रोजाना भक्त पहुंचते हैं। नवरात्र में भक्तों की संख्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है।

जानिए बदलाव की वजह…
दरअसल, माता की प्रतिमा अलग से नहीं है, बल्कि पहाड़ी का ही हिस्सा है। यह पहाड़ी के निचले हिस्से में उभरी हुई है। ऐसे में कई बार बारिश का पानी रिसाव होता है। शृंगार के बावजूद कई बार इस रिसाव के कारण चेहरे पर असर पड़ा था। 2017 में भी इसके चलते कलाकारों को बुलाया गया और स्वरूप को पुन: ठीक आकार देकर मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोला गया।

दो रियासतों के साथ दो देवी

मां चामुण्डा और उनकी बड़ी बहन तुलजा भवानी। माता तुलजा भवानी और चामुंडा मां दोनों दिन में तीन रूप बदलती हैं।

मां चामुण्डा और उनकी बड़ी बहन तुलजा भवानी। माता तुलजा भवानी और चामुंडा मां दोनों दिन में तीन रूप बदलती हैं।

मान्यता है कि यहां देवी मां का रक्त गिरा था, इसलिए यहां मां चामुण्डा का प्रकाट्य स्थापित हुआ। मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है कि बड़ी माता और छोटी माता के बीच बहनों का रिश्ता है। दोनों माताएं एक साथ रहती थीं। दोनों में कुछ बात को लेकर मतभेद होकर विवाद हो गया। इसके चलते दोनों माताएं अपना-अपना स्थान छोड़कर जाने लगीं। बड़ी माता तुलजा भवानी पाताल में समाने लगीं और छोटी माता चामुण्डा अपना स्थान छोड़कर पहाड़ी के दूसरी और चली गईं।

साक्ष्य के रूप में आज भी पहाड़ी पर वो दरार मौजूद है। दोनों माताओं के मतभेद देखकर हनुमान जी और भेरूबाबा ने उनका क्रोध शांत करने और वहां रुकने की विनती की, उस दौरान बड़ी माता का आधा शरीर पाताल में समा चुका था। छोटी माता जिस अवस्था में नीचे उतर रही थीं, उसी अवस्था में पहाड़ी की दूसरी और विराजमान हो गईं।

मां चामुंडा और तुलजा भवानी का दरबार वैसे तो कई प्रकार की विशेषताओं से जाना जाता है, लेकिन उनके तीन रूप बदलने के बारे में कम लोग ही जानते हैं। माता तुलजा भवानी और चामुंडा मां दोनों दिन में तीन रूप बदलती हैं। सुबह मां के चेहरों पर बाल रूप, तो दोपहर में युवा अवस्था और रात में माता रानी का वृद्ध स्वरूप दिखता है।

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