40 पार फिर भी बेरोजगार, अब तो सुनो सरकार: इंदौर में छलका युवाओं का दर्द, परिवार के भरोसे चल रही जिंदगी

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इंदौर37 मिनट पहले

सरकारी नौकरी करने का सपना लेकर तैयार में जुटे सैकड़ों युवा आज भी बेरोजगार हैं। हर एक बेरोजगार युवा का दर्द भी अलग है। कोई आर्थिक तंगी से परेशान है तो कोई शादी होने और बच्चा होने के बाद भी बेरोजगार है। मगर सबकी यही उम्मीद है कि सरकार जागेगी और उनकी नौकरी लगेगी। ऐसे ही कुछ युवा हमें NEYU ( नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन) के चल रहे भर्ती सत्याग्रह में मिले। जिन्होंने अपना दर्द और परेशानी साझा की।

चलिए आज आपको कुछ ऐसे ही युवा बेरोजगारों का दर्द बताते है जो कई सालों से तैयारी तो कर रहे है, एग्जाम पास कर चुके है मगर उन्हें नियुक्ति नहीं मिली है…

शादी हो गई पर नौकरी नहीं है

रायसेन भोपाल के रहने वाले रंजीत गौर की उम्र 40 साल की हो गई है। उनकी शादी हो चुकी है एक बच्चा भी है। मगर अभी भी बेरोजगार है। फिलहाल पिता के भरोसे उनका काम चल रहा है। रंजीत का कहना है 2011 से वो शिक्षक भर्ती की तैयारी कर रहे थे। 2018 में शिक्षक भर्ती निकली। पिछले चार साल से शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है। सरकार ने 2018 में 62 हजार शिक्षक भर्ती का ऐलान किया था। उसके बाद 30 हजार के लिए एग्जाम ली गई। इसमें भी कुछ विषय ऐसे थे जो नाम मात्र के लिए पद घोषित किए गए। उनकी मांग है कि जो पात्र अभ्यर्थी है उन्हें नियुक्ति पत्र दिए जाए। मेरे जैसे कई साथी है जो उम्मीद में थे कि स्थायी शिक्षक भर्ती होगी। हम अभी मानसिक तनाव झेल रहे है। रोजगार के लिए पहले प्राइवेट कोचिंग और प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते थे, लेकिन शिक्षक भर्ती नहीं होने से चार सालों से वह भी बंद है।

रंजीत गौर

रंजीत गौर

परिवार के खून-पसीने की कमाई लगाई, पर नौकरी का इंतजार

उमरिया जिले के रहने वाले अपनेंद्र सिंह मरावी 28 साल के हो चुके हैं। पिछले चार साल से एमपी पुलिस की तैयारी कर रहे है। उन्होंने कहा कि चार साल के बाद म.प्र. पुलिस में 6 हजार पदों पर वैकेंसी निकली। इसके बाद पेपर के लिए, फिजिकल के लिए आंदोलन किए। लेकिन अब मेरिट लिस्ट ही नहीं आई है। म.प्र. सरकार वेटिंग लिस्ट भी जारी नहीं करती है। म.प्र पुलिस विभाग में में हजारों पोस्ट खाली है। आर्थिक रूप से परिवार पर निर्भर हैं। ऐसे में कौन माता-पिता अपने बच्चे को पढ़ाई के लिए इंदौर भेजेगा। हमारे माता-पिता अपने खून-पसीने की कमाई हमें पढ़ने के लिए देते हैं। हम यहां कैसे-कैसे कमरों में रहते हैं। समय पर किराया देना, फॉर्म भरना, पेपर देने के लिए बाहर जाना। हम जानते है हमें कितनी परेशानी होती है। हम घर में नौकरी लेकर नहीं जाएंगे तो गांव में जो दूसरे परिवार के बच्चे है उन्हें उनके माता-पिता कैसे पढ़ाई करने भजेंगे।

अपनेंद्र सिंह मरावी

अपनेंद्र सिंह मरावी

मेरिट लिस्ट में नाम, लेकिन अब तक नियुक्ति नहीं

महेश्वर की रहने वाली आशा पटेल शिक्षक वर्ग-1 की परीक्षा दी थी। उनका नाम मेरिट लिस्ट में है। उन्होंने बताया कि मेरा चयन लैक्चरर पद के लिए होना था, जो अभी तक नहीं हो सका है। सरकार ने 2018 में भर्ती निकाली थी। उसमें 27% आरक्षण दिया था। इसमें 11 सब्जेक्ट में 27% आरक्षण दे दिया और 5 सब्जेक्ट को होल्ड कर दिया। उन पांच सब्जेक्ट में मेरा भी एक सब्जेक्ट है राजनीति विज्ञान। अभी तक होल्ड नहीं हटाया गया है। इंतजार कर रहे है कि कब हमारी नौकरी लगेगी। मेरे पिता खेती करते हैं। रोजगार के लिए अभी अतिथि शिक्षक के रूप में पढ़ाती हूं। लेकिन इसका वेतन भी छह महीने में मिलता है।

आशा पटेल

आशा पटेल

हम रोजगार के लिए आए थे, लेकिन अभी तक बेरोजगार है

भोपाल के रहने वाले भानु सिंह 2018 में PSC की तैयारी करने और डिप्टी कलेक्टर बनने का सपना लेकर आए थे। उन्होंने कहा 2018 तक तो यह प्रक्रिया सही चल रही थी। मगर 2019 के बाद से जब 2020 का प्री का एग्जाम हुआ। उसका रिजल्ट अभी तक नहीं आया है। प्री हो गई, मेन्स हो गई, इंटरव्यू की डेट भी आ गई, लेकिन इंटरव्यू अभी पेंडिंग में है। फिर 2020 की एग्जाम 2021 में हुई। 2021 का प्री का एग्जाम ले लिया, मगर इसका रिजल्ट भी नहीं दे पा रहे हैं। एक महीने में रुके रिजल्ट जारी करने का आश्वासन आयोग ने दिया है। क्या ये निश्चित है कि ये रिजल्ट जारी कर पाएंगे। कोविड के बाद यहां किराया बढ़ गया है। इनकम हो नहीं रही है, खर्चा ज्यादा हो रहा है। मैं पूरी तरह से अपनी फैमिली पर ही निर्भर हूं। मैं अपने जीवन के बहुमूल्य चार साल इसके लिए दे चुका हूं। अब दूसरी जॉब के लिए अप्लाय क्यों करुं जबकि मैं जानता हूं कि मैं PSC क्लियर कर जॉब पा सकता हूं। इसलिए नहीं कर पा रहा हूं कि ये प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है।

भानु सिंह

भानु सिंह

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