30 साल पुराने अस्पताल में बर्न यूनिट नहीं: हादसे के बाद याद आया जिला अस्पताल में बर्न यूनिट तो है ही नहीं, अब बनाएंगे प्रस्ताव

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खरगोनएक घंटा पहले
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जिले की जनसंख्या 22 लाख है। तीन सांसद और छह विधायक काम कर रहे हैं, लेकिन 30 साल से पुराने जिला अस्पताल में एक बर्न यूनिट ही नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि यहां जलने वाले मरीज नहीं आते हैं। औसतन एक माह में 15 से ज्यादा लोग भर्ती होते हैं। गंभीर मरीजों को भी साधारण वार्ड में भर्ती करते हैं। उनको जलन, इंफेक्शन आदि की आशंका बनी रहती है। मजबूरी में परिजन निजी अस्पताल ले जाते हैं या फिर इंदौर ले जाते हैं।
अंजनगांव हादसे में 25 झुलसे हुए लोगों को जिला अस्पताल मंे भर्ती किया था। यहां बर्न यूनिट नहीं होने से उन्हें साधारण वार्ड मंे ही भर्ती कर इलाज किया गया। इसके चलते 17 गंभीर मरीजों को तत्काल इंदौर रैफर किया गया। यहां व्यवस्था होती तो कम लोगों को इंदौर रैफर करना पड़ता। फिलहाल अंजनगांव के जगदीश गोरेलाल (28), गोरेलाल सेकड़िया (56), संजय शोभाराम (12), राहुल गोरेलाल (11), प्रेम नहारसिंह (25) व अजय गोरेलाल (8) भर्ती हैं। उन्होंने बताया कि शरीर में जलन हो रही है। मच्छर व मक्खियां काटती हैं। मरहम पट्टी, इंजेक्शन और बोतल चढ़ा रहे हैं। शौचालय ठीक नहीं हैं।
औसतन 15 से ज्यादा मरीज हर माह जलते हैं, कभी प्रस्ताव नहीं भेजा
जिला अस्पताल में एक माह में औसतन 15 से ज्यादा मामले जलने के मरीजों के आते हैं। मरीजों को जिला अस्पताल लाया जाता है। यहां से अधिकांश को तत्काल रैफर करते हैं। कई बार गरीब लोग इंदौर नहीं जा पाते हैं और वे यहीं इलाज करवाते हैं। अस्पताल प्रबंधन ने कभी भी बर्न यूनिट का प्रस्ताव नहीं भेजा या उसे गंभीरता से नहीं लिया। हादसे के दिन सांसद गजेंद्रसिंह पटेल ने जिला अस्पताल पहुंचकर अंजनगांव के मरीजों से चर्चा की। इसके बाद उन्होंने सिविल सर्जन डॉ. अमरसिंह चौहान को तत्काल बर्न यूनिट का प्रस्ताव बनाने को कहा। अब प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। यदि पहले ही जनप्रतिनिधि बर्न यूनिट बनवाते तो कई मरीजों को इंदौर रैफर नहीं करना पड़ता। साथ ही उन्हें इलाज मंे सुविधाएं मिलती।
“बर्न यूनिट नहीं हैं। सांसद गजेंद्रसिंह पटेल ने हादसे के बाद यूनिट का प्रस्ताव बनाने को कहा है। स्टाफ है। बर्न यूनिट बनने से मरीजों को इंदौर रैफर नहीं करना पड़ेगा।”
– डॉ. अमरसिंह चौहान, सिविल सर्जन
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