2016 में 2 एटीएम हैक कर निकाले ~21 लाख: 7 साल में 8 राज्यों के फुटेज खंगाले, मास्टरमाइंड पकड़ा तो चेहरा पहचानने फेस रिकग्निशन का लिया सहारा,

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  • In 7 Years, Footage Of 8 States Was Searched, Mastermind Was Caught, Then Resorted To Face Recognition To Recognize The Face,

ग्वालियर14 मिनट पहलेलेखक: इमरोज खान

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2016 में शहर के दो एटीएम हैक कर निकाले गए करीब 21 लाख रुपए की वारदात को अंजाम देने वाला मास्टर माइंड करीब 7 साल बाद राज्य सायबर पुलिस के हाथ आ गया है। वहीं शिवपुरी के एक किसान के खाते से 3.50 लाख रुपए निकालने वाले मास्टर माइंड को पुलिस ने 10 साल बाद गिरफ्तार कर लिया है। इतनी लंबी अवधि के बाद यह मामले काफी रोचक अंदाज में सुलझे और कई नई जानकारियां भी पुलिस के हाथ लगीं, जो हैरान करने वाली थीं। फेस रिकग्निशन तकनीक का सहारा लिया राज्य सायबर पुलिस ग्वालियर जोन के एसपी सुधीर अग्रवाल ने बताया कि हाल ही में टीम ने 10 साल पुराने मामले सुलझाने में सफलता पाई है। इसमें 7 साल पुराना एटीएम हैक कर रकम निकालने वाला मामला भी है। इस मामले के मास्टर माइंड की गिरफ्तारी के बाद उसकी पहचान के लिए फेस रिकग्निशन तकनीक का सहारा लिया है।

केस-1

अप्रैल 2016 की रात में रेसकोर्स रोड पर 2 एटीएम हैक होते हैं और एक से 5.84 लाख और दूसरे से 16 लाख रुपए हैकर्स निकाल लेते हैं। जांच राज्य सायबर पुलिस के पास आती है। जांच में पता चला कि हैकर्स ने एटीएम का पैनल खोलकर एक सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया था। इससे जनरेट हुए कोड के जरिए रकम निकाली। पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया। मास्टर माइंड को पकड़ने के लिए सीसीटीवी फुटेज 8 राज्यों को भेजे गए और वहां के कई फुटेज देखे भी। फुटेज के आधार पर 7 साल बाद मास्टर माइंड मेहराजुद्दीन के दिल्ली में होने की सूचना पर टीम ने दबिश दी और उसे गिरफ्तार कर लिया। अब दुविधा यह थी कि फुटेज में दिख रहे आरोपी की दाढ़ी नहीं थी और जो पकड़ा था उसके दाढ़ी थी। पहचान के लिए फेस रिकग्निशन तकनीक का सहारा लिया और उसके फोटो भोपाल स्थित लैब भेजे गए।

केस-2

वर्ष 2013 में शिवपुरी के किसान रामनरेश के खाते से 3.50 लाख रुपए ठगों ने निकाले थे। पुलिस का ध्यान भटकाने के लिए इस राशि को 7 खातों में भेजा गया गया था। जांच में पता चला कि कुछ खाताधारक ऐसे हैं, जिनका आपस में कोई कनेक्शन नहीं है। सिर्फ एक ही व्यक्ति इनसे पहचान रखता है, जिसने सभी खातों में राशि ट्रांसफर की है। यह सभी मप्र के सतना, पन्ना, उप्र के हरदोई और बंगाल से थे। काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने सतना से पहला आरोपी गिरफ्तार किया और कड़ियां जुड़ती चली गईं। मुख्य आरोपी अनुसार सिंह को 10 साल बाद पश्चिम बंगाल से ढूंढ निकाला गया, लेकिन वहां की पुलिस उसे सौंपने को तैयार नहीं थे। इसलिए कोर्ट में दोबारा चालान पेश कर नोटिस जारी करवाया गया और उसकी गिरफ्तारी हुई।

केस-3

पेंशनर के बैंक खाते से 6 लाख रुपए की ठगी के मामले में राज्य सायबर पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस केस को सुलझाते समय पुलिस के हाथ फर्जी सिम जारी करने वाली ऐसी गैंग आई जो सिम के साथ लगाए जाने वाले दस्तावेज किसी और व्यक्ति के लगाते थे और फोटो किसी और का। ताकि पुलिस जब इस पते पर पहुंचे तो उसे सही व्यक्ति मिले नहीं। पुलिस ने पते व फोटो के आधार पर लोगों का पता लगाया और मामले का खुलासा कर असली आरोपियों को गिरफ्तार किया।

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