हेलमेट अनिवार्य: अधिकांश बाइक सवार नहीं लगाते हेलमेट, इनमें अफसर-कर्मी, पुलिस-होमगार्ड भी शामिल

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बुरहानपुर13 मिनट पहले
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सरकार ने भले ही बाइक सवारों के लिए हेलमेट अनिवार्य कर सख्ती की हो, लेकिन जिले में इसका असर नहीं दिख रहा है। जिले में 99% बाइक सवार हेलमेट नहीं लगाते। इनमें सरकारी अफसर-कर्मी, पुलिस और होमगार्ड जवान भी शामिल हैं। सबसे पहले इन पर ही सख्ती जरूरी है, ताकि दूसरे लोग हेलमेट की अहमियत समझ कर इसका उपयोग शुरू करें। 6 अक्टूबर से हेलमेट के बिना पेट्रोल नहीं देने के आदेश सरकार ने जारी किया है, लेकिन जमीन पर इसका पालन नहीं हो रहा है। पंप पर हेलमेट की अनिवार्यता की सूचना तक नहीं लगाई गई है। िबना हेलमेट आ रहे बाइक सवारों को भी पेट्रोल दिया जा रहा है।
बढ़ते सड़क हादसे और इनमें मौतों का आंकड़ा कम करने के लिए हेलमेट अनिवार्य किया गया है। अधिकांश हादसों में बाइक सवार ही शिकार होते हैं। हेलमेट नहीं लगाने के कारण कई लोग दम तोड़ चुके हैं और इससे कई ज्यादा लोग घायल हुए हैं। सुरक्षा के लिहाज से अब हेलमेट को लेकर सख्ती बरतना जरूरी है। लेकिन शहर में इसका ज्यादा असर अभी नजर नहीं आ रहा है। पुलिस विभाग ने भी सख्ती नहीं की है। पुलिस लोगों को हेलमेट लगाने के लिए समझाइश दे रही है।
शुक्रवार को पुलिस ने बिना हेलमेट के बाइक चलाने वालों पर चालानी कार्रवाई के साथ समझाइश दी। लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा। शहर से गुजरे 2 हाईवे पर सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं और यहां मरने वालों की संख्या भी सबसे ज्यादा है। हाईवे पर चलने वाले ज्यादातर बाइक सवार हेलमेट नहीं लगा रहे हैं।
500 से ज्यादा सरकारी अफसर-कर्मी बाइक से आते हैं संयुक्त कार्यालय, नहीं लगा रहे हेलमेट
बहादरपुर रोड स्थित संयुक्त कार्यालय में ही 500 के आसपास सरकारी अफसर-कर्मी हर दिन बाइक से आते हैं। इनमें कलेक्टर और एसपी कार्यालय के भी अफसर-कर्मचारी शामिल हैं। लेकिन अधिकांश हेलमेट नहीं लगाते हैं। सरकारी आदेश का जब तक शासकीय कर्मी पालन नहीं करते, आम लोग पर इसकी सख्ती तब तक सही नहीं है। सिर्फ कलेक्टर कार्यालय नहीं जिला पंचायत, जनपद, तहसील, अस्पताल, शिक्षा विभाग, नगर निगम सहित दर्जनों कार्यालय में हर दिन 10 हजार से ज्यादा अफसर-कर्मी बाइक से आना-जाना करते हैं। लेकिन बमुश्किल 1% अफसर-कर्मी ही हेलमेट लगा रहे हैं।
सात साल में 625 मौतें
जिले में 2015 के बाद से सड़क हादसों में मौतों की संख्या बढ़ी है। 2015 के बाद से अब तक 625 लोग हाईवे पर मौत का शिकार हुए हैं। सबसे ज्यादा 116 मौतें 2019 में हुई है। हालांकि इसके बाद पिछले 2 साल से मौत के आंकड़ों में कमी आई है। इंदौर-इच्छापुर हाईवे पर हादसों को कुछ हद तक नियंत्रित किया गया है, लेकिन अब देड़तलाई हाईवे पर हादसे बढ़ गए हैं।
आदिवासी बहुल हिस्सों में जागरूकता की जरुरत
हेलमेट को लेकर सबसे बड़ी परेशानी आदिवासी बहुल क्षेत्रों मंे है। यहां जागरूकता का अभाव है। बाइक चलाने वाले यातायात नियमों की जानकारी ही नहीं होती है। पुलिस जांच में पकड़े जाने पर चालान तो बना लेते हैं लेकिन हेलमेट लगाने व यातायात नियमों की सही जानकारी नहीं लेते। देड़तलाई हाईवे पर सबसे ज्यादा आदिवासी बहुल गांव हैं। यहां बाइक हादसे सबसे ज्यादा होते हैं। अब तक हुए सड़क हादसों के 95% मामलों में बाइक चालक द्वारा हेलमेट नहीं लगाने व गंभीर चोट लगने से एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
एसपी ने दिए निर्देश
सरकारी आदेश जारी होने के बाद एसपी लोढा ने सरकारी कार्यालयों में हेलमेट का उपयोग करने के लिए पत्र लिखा है। वहीं पेट्रोल पंप संचालकों को इसके निर्देश दिए हैं। शुक्रवार से जांच अभियान चलाने का भी कहा है। हेलमेट नहीं लगाने पर मोटर यान अधिनियम धारा 128, 129 के तहत कार्रवाई करेंगे।
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