हल्बी भाषा के लेखन , संरक्षण और उन्नयन में योगदान हेतु श्रीमती शकुंतला हुई सम्मानित

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
बस्तर – कुलपति शहीद महेन्द्रकर्मा विश्वविद्यालय , बस्तर जगदलपुर प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि बस्तर संभाग की हल्बी भाषा की साहित्यकार श्रीमती शकुंतला तरार को उनके हल्बी भाषा में सुदीर्घ लेखन , संरक्षण , उन्नयन में योगदान के लिये सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि शकुंतला तरार की हलबी गीत संग्रह शकुंतला चो लेजा गीत बस्तर को जानने समझने के लिये महत्वपूर्ण संग्रह है , इससे हलबी की समृद्धि बढ़ रही है।
ज्ञातव्य है कि श्रीमती शकुंतला की अब तक पाँच पुस्तकें हल्बी भाषा में प्रकाशित हो चुकी है , जिसमें एक परंपरागत गीति कथा का प्रकाशन साहित्य अकादमी दिल्ली ने किया है । शहीद महेन्द्रकर्मा विश्वविद्यालय , बस्तर जगदलपुर एवं शासकीय काकतीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय , जगदलपुर जिला-बस्तर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम जगदलपुर के शासकीय काकतीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के ऑडिटोरियम में संपन्न हुआ। कुलपति शहीद महेन्द्रकर्मा विश्वविद्यालय , बस्तर जगदलपुर प्रो. श्रीवास्तव ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमन डेका का सन्देश सुनाते हुये बताया कि छत्तीसगढ़ में जितनी भी भाषा और बोलियाँ हैं , उन सबका संरक्षण किया जाना चाहिये। श्रीमती शकुंतला तरार की पुस्तक हलबी गीत संग्रह शकुंतला चो लेजा गीत के संबंध में कहा कि हलबी बस्तर की संपर्क भाषा है। हलबी में लिखे गीत बस्तर की संस्कृति की विशेषता बताती हैं। हलबी का लोक साहित्य अत्यंत समृद्ध है। लेजा गीत बस्तर में अत्यधिक प्रचलित है। इसमें युवक युवतियों के आपसी संवाद होते हैं। सौ गीतों में इस संग्रह में सांस्कृतिक रूप प्रकट होकर आये हैं। प्राचार्य, शास. काकतीय स्नातकोत्तर महा. जगदलपुर ने स्वागत भाषण दिया।
कार्यक्रम में नारायणपुर के पद्मश्री बैद्यराज हेमचंद मांझी , कांकेर से पद्मश्री अजय मंडावी को भी सम्मानित किया गया। रायपुर से साहित्यकार श्रीमती शकुंतला तरार को उनकी हल्बी की प्रकाशित पुस्तक शकुंतला चो लेजा गीद जिसमें 101 हल्बी लेजा गीत और उसका 101 हिंदी अनुवाद है , के लिये सम्मानित किया गया। शकुंतला ने हिमाचल प्रदेश के शिमला में आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत होने वाले अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव में हल्बी और छत्तीसगढ़ी में रचना पाठ किया। साहित्य अकादमी दिल्ली के द्वारा आयोजित 157 भाषाओं के साथ वर्ल्ड रिकार्ड बनाने में हल्बी लेजा गीत का गायन कर बस्तर की इस भाषा को विश्व के समक्ष रख इतिहास बनाया। कार्यक्रम को डॉ. डी. के. श्रीवास्तव , ओएसडी (एनईपी) उच्च शिक्षा विभाग , डॉ. जी. ए. घनश्याम , संयुक्त संचालक , उच्च शिक्षा विभाग ने भी संबोधित किया। प्रारंभ में माँ सरस्वती की मूर्ति पर दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण के बाद अतिथियों का स्वागत हुआ। धन्यवाद ज्ञापन – कुलसचिव , शहीद महेन्द्रकर्मा विश्वविद्यालय , बस्तर जगदलपुर ने किया। इस अवसर पर बस्तर संभाग के जनप्रतिनिधि , साहित्यकार , सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यगण , महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के छात्र-छात्रायें और गणमान्य नागरिक विशेष रूप से उपस्थित थे।