भगवान राम पर टिप्पणी से हिन्दू समाज आक्रोशित: कठोर कार्रवाई की मांग के बाद बदले सुर, टिप्पणी करने वाले ने मांगी माफी

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मंडलाएक घंटा पहले
मूल निवासी युवा एवं छात्र संगठन के नाम से कुछ युवकों ने बीते दिनों कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर रावण दहन पर रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने रावण को गोंड़ महापुरुष बताते हुए चेतावनी भी दी कि रावण दहन पर विराम नहीं लगता तो वह विरोध स्वरूप राम दहन करेंगे। हालांकि मामला बिगड़ता देख संगठन ने क्षमा मांग ली है, लेकिन आक्रोशित हिन्दू संगठन उन पर कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
पहले मूल निवासी युवा एवं छात्र संगठन के नाम से ज्ञापन सौंपा गया फिर इनके पदाधिकारियों ने सोशल मीडिया में भड़काऊ पोस्ट और वीडियो शेयर किए, जिससे मामला और भी गरमा गया। पुलिस या प्रशासन ने आपत्तिजनक पोस्टों पर कोई कार्रवाई नहीं की है। पुलिस ने सोशल मीडिया में धार्मिक, सामाजिक और देवी-देवताओं को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट और कमेंट करने पर दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है।
आक्रोश में हिन्दू संगठन
राम दहन की बात से हिन्दू समाज आक्रोशित हो उठा और इसे हिंदुओं के आराध्य श्रीराम का अपमान बताया। उन्होंने जिला एवं पुलिस प्रशासन को ज्ञापन सौंप कर संगठन पर कानूनी कार्रवाई की मांग की है। हिन्दू संगठनों का आरोप है कि सस्ती लोकप्रियता और राजनीति के चक्कर में लोग हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान करते हैं, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने ऐसे व्यक्तियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है।
गोंगपा ने किया विवाद से किनारा
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने पहले ही इस विवाद से किनारा कर लिया है। गोंगपा प्रवक्ता राजेन्द्र धुर्वे ने मूल निवासी संगठन की बातों का खंडन किया और कहा कि रावण नाम का कोई व्यक्ति न आदिवासी समाज का राजा हुआ है और न ही देव है। उन्होंने कहा कि रावण और रावेन के बीच लोगों को गलतफहमी है। रावण, रामायण का एक पात्र है जबकि रावेन गोंडी व्यवस्था का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि गलतफहमी की वजह से ही गोंड़ जाति के कुछ लोग रावण को भी अपना समझ कर कभी राजा बताते हैं तो कभी पुरखा बताते हैं।
पहले भड़काऊ बयानबाजी फिर माफी
मामले को गरमाता देख मूल निवासी युवा एवं छात्र संगठन ने अपने पूर्व के ज्ञापन में राम दहन की बात को त्रुटि बताते हुए क्षमा पत्र जारी किया है, जिसमें कहा कि आदिवासी समाज राजा रावण को पूर्वज मानता है और बार बार दशहरा में रावण दहन करने से हमारी धार्मिक भावना को ठेस पहुंचती है। हमने त्रुटिवश राम दहन की बात कही थी, जिसके लिए हम क्षमा चाहते है। उन्होंने हिन्दू समाज और प्रशासन से रावण दहन पर रोक लगाने का निवेदन किया है।
कार्रवाई नहीं होने से रोष
इस मामले को लेकर हिंदू समाज मूल निवासी युवा एवं छात्र संगठन पर उनके आराध्य को लेकर की गई टिप्पणी पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। प्रशासन शिकायत पर कानूनी कार्रवाई की बात कह रहा है। इसके बावजूद मूल निवासी संगठन के बयान और उस पर अब तक कार्रवाई न होने से लोगों में रोष है और स्थिति तनावपूर्ण है।


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