हंगामे के बाद पुलिस ने मामला संभाला: करोड़ों की संपत्ति वाली संस्था ने पुराने सदस्यों को किया बाहर

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खरगोन36 मिनट पहले

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शहर में करीब 25 वर्ष से संचालित हो रहे प्रकाश स्मृति सेवा संस्थान के रविंद्र नगर स्थित कार्यालय में गुरुवार को हंगामे की स्थिति बनी। संस्था से 20 से 25 साल पहले से जुड़े सदस्य बड़ी संख्या में संस्था कार्यालय पहुंचे। सदस्यों ने आरोप लगाए कि संस्था की करोड़ों की अचल संपत्ति है, हर साल 5 से 6 करोड़ के लोन बांटे जाते हैं और हाल ही में संस्था कार्यालय के रिनोवेशन पर 40 से 50 लाख रुपए खर्च किए गए हैं लेकिन शुरुआती अशंधारकों के खाते ऋणात्मक बताकर हमें बाहर किया जा रहा है।

सदस्यों ने यह भी आरोप लगाए कि संस्था द्वारा आज तक हमें किसी भी बात की कोई सूचना या पत्र नहीं दिया है। जबकि हमसे शुरुआत में 15-15 सौ रुपए जमा करवा कर 60 वर्ष की उम्र में पेंशन देने की बात कही गई थी। हंगामा इतना बढ़ा कि पुलिस बुलाना पड़ी। हंगामे के दौरान पुलिस बीचबचाव करती रही। वहीं संस्था के संचालक सारी कार्रवाई नियमानुसार होने की बात कहते रहे। करीब 4 घंटे चले हंगामे के बाद एसडीओपी आरएम शुक्ला ने मौके पर पहुंच सदस्यों को समझाइश दी और संस्था संचालकों को भी चेताया कि कहीं कोई गड़बड़ी हुई तो नियमानुसार सख्त कार्रवाई करेंगे।

लेनदार नहीं हैं संचालक
हंगामे के बाद संस्था के संचालकों ने गुरुवार शाम को प्रेसवार्ता बुलाई। इसमें रविप्रकाश महाजन ने बताया गुरुवार को मृत सदस्यों के स्वजनों को चेक दिए गए। महाजन ने बताया संस्था के पास कार्यालय सहित सुरती नगर में 10 हजार वर्ग फीट, मांगरूल रोड पर 5 एकड़, इंदौर में 11 हजार वर्गफीट जमीन है। संस्था समाजहित में कई प्रकल्प चलाती है। संस्था का एक भी संचालक एक रुपए का भी लेनदार नहीं हैं। लगाए जा रहे सारे आरोप निराधार हैं। किसी को कोई भी जानकारी चाहिए तो हम लिखित में देने को तैयार हैं।

25 साल से नौकरी कर रहे कर्मियों को हटाया
कुछ ही समय पूर्व संस्था द्वारा 20-25 साल से संस्था में सेवा दे रहे कर्मियों को हटाया गया। कर्मियों का आरोप है कि संस्था द्वारा शुरुआती सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने का कहा गया और हमने विरोध किया तो हमें महज इसलिए हटा दिया कि गणगौर पर्व पर हमने तीन दिन छुट्‌टी ली। हमें हटाकर नए लोगों को नौकरी पर रख लिया गया।

सबसे बड़ा सवाल : चेरिटेबल ट्रस्ट या माइक्रोफायनेंस कंपनी
सदस्यों ने आरोप लगाया कि जब सभी सदस्य संस्था के अंशधारक हैं तो संस्था के लाभांश के भी अधिकारी होना चाहिए। इस पर संस्था कहती है कि यह एक चेरिटेबल संस्था है। इसके लाभ पर संचालकों या सदस्यों का अधिकार नहीं है। वहीं जब यह पूछा जाता है कि संस्था वित्तीय गतिविधियां कर रही है और लाभ भी अर्जित कर रही है, ऐसा कैसे तो कहा जाता है कि यह एक माइक्रोफायनेंस कंपनी है। इस विषय में जब संस्था के संचालक रणजीतसिंह डंडीर व संस्था से ही जुड़े रविप्रकाश महाजन से पूछा गया तो उनका कहना है कि यह एक चेरिटेबल कंपनी है, इसे भारत सरकार ने मान्यता दी है।

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