बचपन से टेढ़ी थी रीढ़ की हड्‌डी, एम्स में दूर: एम्स में पहली बार हुआ स्कोलियोसिस की सर्जरी

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भोपालएक घंटा पहले

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छिंदवाड़ा कस्बे की रहने वाली देवांगना (परिवर्तित नाम) बीते सात-आठ सालों से सीधी खड़ी नहीं हो पाती थी। जैसे ही वह खड़ी होती उसका शरीर एक तरफ झुक जाता। देवांगना के परिजनों की मानें तो वह जब नौ- दस साल की थी तब से उसका शरीर कमर के पास से टेढ़ा सा नजर आता था। कई अस्पतालों में दिखाने के बाद भी जब आराम नहीं मिला तो उसे भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में दिखाया। यहां डॉक्टरों ने उसकी जांचें की तो पता चला कि उसे स्कोलियोसिस (रीढ़ की हड्‌डी में टेढ़ापन) की बीमारी है। इसके बाद एम्स के स्पाइन सर्जन डॉ.वीरेन्द्र कुमार वर्मा, डॉ पंकज कुमार मिश्रा ने टीम के साथ उसकी सर्जरी की। इसमें एनेस्थिसियोलॉजी विभाग की डॉ सुनैना तेजपाल तथा डॉ नम्रता नायर वशिष्ट और आईसीयू एवं क्रिटिकल केयर के विशेषज्ञ डॉक्टर सौरभ सैगल का विशेष सहयोग रहा। करीब छह घंटे के ऑपरेशन के बाद उसकी रीढ़ की हड्‌डी का टेढ़ापन ठीक किया।
जन्मजात हो सकती है समस्या
एम्स के स्पाइन सर्जन डॉ.वीके वर्मा ने बताया कि ऐसी समस्याएं कुछ बच्चों में जन्मजात भी हो सकतीं हैं। कुछ बच्चों में यह समस्या जल्दी दिख जाती है कुछ बच्चों की जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है स्पाइन का टेढ़ापन नजर आने लगता है। इस बच्ची की स्पाइन की समस्या भी नौ- दस साल से नजर आने लगी थी।

चुनौतीपूर्ण था ऑपरेशन, मरीज के लकवाग्रस्त होने की आंशका
डॉक्टरों ने बताया कि अस्थि रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. रेहान-उल-हक ने बताया कि स्कोलियोसिस का ऑपरेशन काफी जटिल होता है एवं इसमें लकवा होने की संभावना रहती है । इस तरह का ऑपरेशन विशेष ट्रेनिंग के बाद ही संभव होता है। अस्थि रोग विभाग में अब नियमित रूप से इस तरह के जटिल ऑपरेशन किए जाएंगे । इसके लिए कई स्पेशियलिटी क्लीनिक जैसे स्पाइन क्लीनिक, पेडियाट्रिक आर्थो क्लीनिक, स्पोर्ट क्लीनिक, जोड़ प्रत्यारोपण क्लीनिक एवं हैंड क्लीनिक इत्यादि शुरू किये गये हैं जिससे मरीजों को विशेषज्ञों द्वारा विशेष सुविधाएं उपलब्ध हो रही है ।

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