स्कूल छोड़कर शिक्षक वीएलओ ड्यूटी में जुटे: कई स्कूलों में टीचर नहीं; संगठन अध्यक्ष बोले- रिजल्ट खराब होगा

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भोपाल15 मिनट पहले

प्रदेशभर में शिक्षकों की ड्यूटी बीएलओ (निर्वाचन कार्य) कार्य में फिर से लगा दी गई है। ऐसे में राजधानी के ही स्कूलों की हालत यह है कि कई स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं। सीएम राइज स्कूल सरदार पटेल करोंद भोपाल के 15 शिक्षकों तक को ड्यूटी पर लगाया गया है। इसके अलावा भी कई स्कूल में से कई एक शिक्षक के भरोसे चल रहा है। शासकीय शिक्षक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र कौशल ने आरोप लगाए कि इससे सरकारी स्कूलों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। जल्द ही तिमाही परीक्षा होने वाली है। पिछले 3 माह से शिक्षक पूर्णत: बीएलओ ( निर्वाचन कार्य) एवं गैर शैक्षणिक कार्यों कर रहे हैं। खासतौर से प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों के बच्चों की पूरी तरह प्रभावित हो रही है।

कौशल का कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा अनेकों बार शिक्षकों की ड्यूटी गैर शैक्षणिक कार्यों एवं बीएलओ में नहीं लगाए जाने के आदेश जारी करने के उपरांत भी शिक्षकों की ड्यूटी एकमुश्त के गैर शैक्षणिक कार्यों एवं विभिन्न कार्यालयों में लगा दी जाती है, जिससे स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था प्रभावित होती है। राजधानी भोपाल के कई स्कूलों की स्थिति यह बन गई है कि सिर्फ संस्था प्रमुख ही साला के बच्चों को घेरकर शिक्षक कार्य करा रहे हैं। वहीं, शिक्षा विभाग ने सीएम राइज स्कूलों के शिक्षकों को निर्वाचन कार्य एवं गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखने के निर्देश जारी किए थे। इन निर्देशों के विपरीत भी सीएम राइज स्कूलों के शिक्षकों को बीएलओ और अन्य गैर शैक्षणिक कार्य में लगाया जा रहा है।

राजधानी की स्थिति…

राजधानी के सीएम राइज स्कूल सरदार पटेल करोंद के 15 शिक्षक, निशातपुरा के 5 शिक्षक, गोविंदपुरा महात्मा गांधी के 4-4 शिक्षक, बीएलओ कार्य में संलग्न है। वहीं, माध्यमिक शाला द्वारका नगर के 9 शिक्षकों में से 8 शिक्षक, पलासी के 5, जीवन ज्योति के 2, काजी कैम्प के 5, भानपुर के 4 शिक्षक 3 महीनों से बीएलओ ड्यूटी कर रहे हैं। अन्य स्कूलों की स्थिति भी यही है। कौशल ने आरोप लगाया है कि शिक्षक महीनों गैर शैक्षणिक कार्य में संलग्न रहते हैं, जिसके कारण स्कूल की शिक्षण व्यवस्था एवं परीक्षा परिणाम प्रभावित होता है। ऐसे में शिक्षकों को दंडित करना न्याय संगत नहीं है। स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था प्रभावित होने के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी शिक्षक ना होकर वह अधिकारी हैं, जो इन शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाते हैं। संगठन ने मांग की है शिक्षकों को तत्काल बीएलओ एवं अन्य गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त कर उनकी मूल पदस्थ स्कूलों में भेजा जाए। अन्य कार्यालयों में आसंजित शिक्षकों का भी तत्काल अटैचमेंट समाप्त किया जाए। शासन के आदेशों के विपरीत शिक्षकों को आसंजित करने वाले अधिकारी कर्मचारी पर कार्रवाई की जाए।

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