स्वामी अवधेशानंदगिरिजी ने कहा समाज में: गुरु के बताए मार्ग पर चलने वाला असफल नहीं होता

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रतलाम2 घंटे पहले

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भक्तों को मंत्र दीक्षा देते हुए स्वामीजी। - Dainik Bhaskar

भक्तों को मंत्र दीक्षा देते हुए स्वामीजी।

बरबड़ रोड स्थित हनुमंत धाम (विधायक सभागृह) में शुक्रवार को जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी ने गुरु भक्तों को मंत्र दीक्षा दी। सभागृह को चारों ओर से कनात से ढंग दिया गया था। सैकड़ों भक्त स्वामीजी के दर्शन के लिए कनात के बाहर बैठे रहे। गुरु मंत्र की दीक्षा देने के बाद वे बाहर आए सभी को दर्शन देने के साथ सभी को खुश रहने का आशीर्वचन दिया।

प्रभु प्रेमी संघ द्वारा हुए मंत्र दीक्षा कार्यक्रम में प्रारंभ ने आचार्यजी ने उपस्थित भक्तों को सभी संस्कारों की महिमा बताई। उन्होंने कहा भारतीय संस्कृति में सोलह संस्कार हैं और उनमें मंत्र दीक्षा का संस्कार सबसे उत्तम है। यह संस्कार प्राप्त करने वाले व्यक्ति का नया जन्म होता है। उसका गुरु शिष्य के रूप में एक संबंध भी जुड़ जाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति कालजयी है।

अन्य देशों की संस्कृतियां पैदा हुईं और खो गईं, लेकिन भारतीय संस्कृति शाश्वत है। भारतीय प्रकृति से, वनस्पतियों से, जल से, नभ से, सब से प्रेम करते हैं। हमारा धर्म सनातन है। हमारी संस्कृति में धरती को माता माना गया है। गाय भी माता का स्वरूप है और माता-पिता को देव कहा गया है। गुरु द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने वाला कभी असफल नहीं होता।

स्वामीजी शुक्रवार दोपहर को इंदौर के लिए प्रस्थान किया। इसके पहले दयाल वाटिका में प्रभु प्रेमी संघ व समन्वय परिवार सदस्यों से संयुक्त चर्चा की। उन्होंने एकजुटता को और मजबूत कर समाज सेवा के कार्यों को बढ़ाने का आव्हान किया। इस दौरान प्रभु प्रेमी संघ अध्यक्ष हरीश सुरोलिया, कैलाश व्यास, प्रभु प्रेमी संघ के प्रमोद राघव,अनिल झालानी, मनोहर पोरवाल, नरेश झालानी, जयेश झालानी, वीडी नागर, वीरेंद्र जोशी, अरुण त्रिपाठी सहित समन्वय परिवार के माधव काकानी, शैलेंद्र डागा, रमेश शर्मा सहित अन्य मौजूद रहे।

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