सुविधाओं का अभाव: वार्ड 16 में 1.29 करोड़ के काम लेकिन यहां न नालियां, न बिजली के पोल

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झाबुआएक घंटा पहले
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वार्ड 16 मेंं नाली नहीं होने से गंदा पानी सड़कों पर बहता है।
नगरीय निकाय चुनाव में वोट डालने से पहले शहर के मतदाताओं ये जानना जरूरी है कि पिछली परिषद ने उनके लिए क्या काम किए। कितनी राशि के काम किए और उनसे सुविधाएं मिली भी या नहीं। ऐसा तो नहीं कि खर्च लाखों हो गए और वार्ड के लोग परेशानियों के बीच ही रह रहे हैं। अप्रैल 2017 से अगस्त 2022 तक खर्च के आंकड़ों से इसे समझते हैं। शहर में अगस्त 2017 में कांग्रेस समर्थित परिषद चुनी गई थी।
इन पांच साल में सबसे अधिक राशि वार्ड 11 में खर्च की गई। सबसे कम खर्च वार्ड 6 में हुआ। डामर रोड भी बने, ये राशि पूरे शहर के लिए डेढ़ करोड़ थी। वार्ड 16 में सवा करोड़ के करीब के काम हुए, इसके बावजूद आधे वार्ड में न नालियां हैं, न सड़कें बनी, न बिजली के पोल लगे और न ही पेयजल योजना की पाइप लाइन पहुंची।
पांच साल में वार्ड एक, दस और 18 को सिर्फ एक-एक साल काम दिए गए। यहां जो ब्याैरा दिया जा रहा है, वो इन वर्षो में पूर्ण हुए कार्यों का है। जो काम अधूरे हैं या शुरू नहीं हुए, वो इनमें शामिल नहीं है। इसके अलावा सभी वार्ड में पेयजल लाइन का डेढ़ करोड़ का काम, हैंडपंप खनन, शौचालय निर्माण के अलावा वार्ड 1 से 18 तक एकसाथ किए गए 1.54 करोड़ के डामरीकरण का काम इसमें शामिल नहीं है।
अप्रैल 2022 से अब तक शहर के तीन वार्ड में ही काम पूरे किए जा सके। बीते पांच साल में नगर पालिका ने 50 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए। लेकिन विकास कार्यों पर महज 12.10 करोड़ रुपए का व्यय किया गया। पांच साल में रूटीन सफाई के अलावा केवल नालियां और सड़कें ही बनी। स्पेशल प्रोजेक्ट एक भी नहीं आया।
पार्षदों को 1800 रु. मिलता है मानदेय
नगर पालिका में पार्षदों को प्रतिमाह 1800 रुपए मानदेय मिलता है। अध्यक्ष को 4800 रुपए और उपाध्यक्ष को 3200 रुपए। लेकिन जो पार्षद चुने जाते हैं, उनका लाइफ स्टाइल देखकर लोग पार्षद बनने के सपने देखते हैं। महंगी गाड़ियां, नए बड़े आलीशान मकान, सोशल मीडिया पर विदेश यात्राओं और गोआ व हवाई जहाज के सफर के आए दिन दिखने वाले फोटो देखकर लगता है कि पार्षदों को काफी अधिक मानदेय मिलता होगा।
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