सीएसई की अरबन लैब रिपोर्ट: उज्जैन में 8% बढ़ा प्रदूषण, औद्योगिक शहर पीथमपुर-मंडीदीप में और खराब हुई हवा

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भोपाल27 मिनट पहले
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2021 में सागर-देवास की हवा गुणवत्ता पर खरी
- मप्र के औद्योगिक-कस्बाई शहरों में बढ़ा प्रदूषण
- 2021 में देशभर में सिर्फ 9 शहरों की हवा एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड के पैमाने पर खरी उतरी
केंद्र सरकार के नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) में शामिल होने के बावजूद प्रदेश के सबसे बड़े तीर्थ क्षेत्र उज्जैन शहर की हवा दो साल में पहले से और ज्यादा प्रदूषित हो गई है। 2019 की तुलना में 2021 में शहर की हवा में पीएम-2.5 का स्तर 8 फीसदी बढ़ा हुआ पाया गया। इसके अलावा प्रदेश के औद्योगिक शहर सतना में 26 फीसदी और पीथमपुर में 18 फीसदी पीएम-2.5 का डस्ट पॉल्यूशन बढ़ गया है।
मंडीदीप में पिछले दो साल में पीएम-2.5 के स्तर में बढ़ोतरी हुई है। सिंगरौली की हालत पहले से खराब है, जहां प्रदूषण का स्तर जस का तस बना हुआ है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरोमेंट की इकाई अरबन लैब की 7 सितंबर को जारी एक रिपोर्ट में यह तस्वीर सामने आई है। जिसमें भारत के औद्योगिक और कस्बाई शहरों की हवा में पीएम-2.5 के स्तर में बदलाव का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम का सकारात्मक असर देवास शहर में नजर आया है, यहां 2019 की तुलना में 2021 में हवा में सालाना औसत पीएम-2.5 का स्तर 6 फीसदी कम पाया गया है।
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में शामिल हैं मप्र के 7 शहर
सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (एसडीजी) में देश के नागरिकों को सांस लेने के लिए प्रदूषण मुक्त स्वच्छ हवा उपलब्ध कराना भी शामिल हैं। इसलिए केंद्र सरकार ने 2019 में देशभर के 103 नॉन अटेनमेंट शहरों को नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में शामिल किया था। इन शहरों को पिछले 2 साल से हवा साफ करने के लिए केंद्रीय ग्रांट दी जा रही है। नॉन अटेनमेंट सिटीज उन्हें कहा गया, जिनमें 2019 से पहले लगातार पांच वर्ष तक परिवेशीय हवा में पीएम-10, पीएम-2.5 और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड का स्तर वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक बना हुआ था। मप्र में ऐसे 7 शहर हैं, जिनमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, देवास, सागर और उज्जैन शामिल हैं। जिन्हें केंद्र सरकार हर साल धूल और धुआं कम करने के लिए 50 से 100 करोड़ तक ग्रांट दे रही है।
केरल का कोझीकोड और कर्नाटक का मडिखेरी में सबसे कम प्रदूषण
विश्लेषण के मुताबिक नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम से बाहर वाले 16 शहर ही वायु गुणवत्ता के राष्ट्रीय मानकों को पूरा करते हैं, जिनमें से 13 शहर दक्षिण भारत के हैं। जबकि 103 नॉन अटेनमेंट शहरों में से सबसे कम प्रदूषण केरल के कोझीकोड और कर्नाटक के मडिकेरी शहर में हैं।
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