सालों पुरानी परंपरा टूटी: सूर्य ग्रहण की वजह से दिवाली के तीसरे दिन पूजे गए भगवान गोवर्धन महाराज

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भिंड23 मिनट पहले
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गोवर्धन पूजा।
दीपावली के तीसरे दिन बुधवार को गोवर्धन पूजा त्योहार परंपरागत तरीके से श्रद्धापूर्वक मनाया। महिलाओं ने घर-आंगन में गाय के गोबर से भगवान श्रीकृष्ण की आकृत्ति गोवर्धन पर्वत धारण किए हुए बनाई। पूजा-अर्चना के पश्चात लोगों ने आतिशबाजी भी की।
हर साल दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा किए जाती है। सालों पुरानी ये परंपरा एक बार फिर से टूटी। इस बार गोवर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन न होकर तीसरे दिन की गई। इसके पीछे सूर्य ग्रहण का होना था। तीसरे दिन भगवान गोवर्धन की पूजा परंपरागत तरीके से गई। भिंड जिले के कस्बे व व ग्रामीण क्षेत्रों गोवर्धन भगवान की पूजा को लेकर लोगों में उत्साह रहा। लोगों ने विधि-विधान से स्वादिष्ट पकवानों का आनंद लिया। घरों व प्रतिष्ठानों को दीये व मोमबत्ती से रोशन किया। गोवर्धन पूजन के बाद बच्चों के साथ बड़ों ने भी आतिशबाजी की। त्योहार के मद्देनजर घरों में खूब रौनक रही।
परिवार के सभी सदस्यों ने एकत्रित हुए
गोवर्धन पूजा को लेकर परिवार के सभी सदस्य एकत्रित हुए। एकांकी परिवार के दायरे से हटकर कुटुम्ब के साथ लोगों ने ग्रामीण क्षेत्रों में पूजा अर्चना की। आंगन व चौपाल में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृतियां बनाकर भगवान को भोग लगाया गया। परिवार की सुख शांति की कामना की गई। गोवर्धन की आरती उतारी।
पशु धन को सजाया
ब्रज से सटा चंबल में गोवर्धन पूजा का उत्साह ब्रज की भांति रहता है। यहां ग्रामीण जनों में गोवर्धन पूजा को लेकर बढ़े ही श्रद्धाभाव की जाती है। गोवर्धन पूजा के दिन किसान अपने गाय, भैंस बकरी समेत अन्य पशुधन को नहलाते है। फिर उसके सींगों को रंग बिरंगे कलर से सजाते है।
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