मुरैना के जौरा में सिमटी सड़कें: 40 फुट चौड़ा रस्सी बाजार सिमट कर रह गया 7 फिट

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मुरैनाएक घंटा पहले
मुरैना के जौरा कस्बे के बाजार की सड़कें सिमट कर रह गई हैं। यहां के सड़कों की चौड़ाई 40 से 90 फिट तक चौड़ी थीं लेकिन दुकानदारों और मकान मालिकों ने स्थाई और अस्थाई कब्जा करके उनको संकरा कर दिया। हम बात कर रहे हैं, जौरा कस्बे के बाजार की। शुरुआत करते हैं रस्सी बाजार से। यहां के रस्सी बाजार की सड़क की मूलरुप से चौड़ाई 40 फिट थी, लेकिन दोनों तरफ के दुकानदारों ने अपनी दुकानें आगे बढ़ाकर इस सड़क को संकरा होने पर मजबूर कर दिया। आज यह हालत है कि यह सड़क सिमिट कर 7 फिट संकरी हो चुकी है तथा दिन भर इसमें जाम लगा रहता है। अगर धोखे से भी कोई चार पहिया वाहन कोई ले आया तो जब तक वह वाहन पूरी सड़क पार नहीं कर लेता कोई दूसरा वाहन पीछे से नहीं जा सकता। पूरे ट्रेफिक को उस चार पहिया वाहन को फॉलो ही करना पड़ेगा। दोनों तरफ के दुकानदारों ने अपनी दुकानें 15 से 17 फीट आगे बढ़ा ली हैं और दुकान की जगह पर पीछे गोदाम बना लिए हैं। कुछ के तो आगे बढ़ी हुई जगह पर ही मकान तने हुए हैं। हालत यह है कि पैदल लोगों का निकलना मुश्किल हो गया है।

मई वाला कुआं रोड पर कब्जा
मई वाला कुआं
कस्बे का मई वाला कुआं रोड अब बहुत संकरा हो गया है। शुरुआत में यह 90 फुंट चौड़ा था। बाद में सड़क के दोनों तरफ के दुकानदारों ने रोड पर कब्जा करना शुरु कर दिया और अपनी दुकानें आगे बढ़ा लीं। दुकानें इतनी अधिक बढ़ा लीं कि आज यह रोड सिमट कर 40 फुट का ही रह गया है। जिसकी वजह से बड़े वाहन निकलने पर यहां जाम लग जाता है। दिन में यहां कई बार जाम लगता है।

मई वाला कुआं रोड पर कब्जा
हनुमान चौराहा सिमटा
एक समय में हनुमान चौराहे पर फर्राटे से बड़े वाहन दौड़ा करते थे। इसकी चौंड़ाई भी 80 फिट के लगभग थी लेकिन आज सड़क के दोनों तरफ दुकानदारों ने जबरन कब्जा करके इसकी चौंड़ाई 50 फिट भी नहीं रहने दी है। जिसके कारण यहां जाम लगा रहता है।

एमएस रोड पर कब्जा
जौरा मैन रोड एमएस रोड
पूरे कस्बे में सबसे चौंड़ा एमएस रोड है। जिसकी मूलरुप से चौंड़ाई 160 फिट है तथा टू वे है। लेकिन रोड के दोनों तरफ के दुकानदारों ने इसे भी नहीं बख्शा और कब्जा करके दोनों तरफ की रोड दबा लीं। आज दोनों तरफ की रोड मिलाकर इर रोड की चौंड़ाई बामुश्किल 50 फीट रह गई है। जिससे मुरैना व कैलारस की तरफ से आने वाले बड़े वाहनों को निकलने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है तथा जाम लग जाता है।
दुकानों ने निगले फुटपाथ
कस्बे में सड़कों के दोनों तरफ फुटपाथ दिए गए थे लेकिन दुकानदार इन फुटपाथों को निगल गए। फुटपाथों की जगह दुकानों का सामान रख गया तो किसी ने दुकान ही बनवा डाली। फुटपाथ न होने से पैदल राहगीरों को मजबूरी में मुख्य सड़क पर चलना पड़ता है जिससे उनकी दुर्घटना होने की आशंका निरंतर बनी रहती है।
नगर पालिका ने की थी कार्यवाई
कुछ समय पहले नगर पालिका ने इस बेजा कब्जों को हटाने के लिए मुहिम चलाई थी लेकिन राजनैतिक दवाब में यह मुहिम बंद हो गई। उसके बाद से सड़कों पर कब्जा होना निरंतर जारी है।
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