‘सरकार’ बदलने की हवा उड़ी तो आस्था डोलने लगी: मंत्री ने 5 दिन दिल्ली में डेरा डाल रखा; बीजेपी राज में लगेगी कांग्रेस नेता की प्रतिमा

[ad_1]

  • Hindi News
  • Local
  • Mp
  • The Minister Camped In Delhi For 5 Days; Congress Leader’s Statue Will Be Installed In BJP Rule

भोपाल33 मिनट पहलेलेखक: राजेश शर्मा

  • हर शनिवार पढ़िए और सुनिए- ब्यूरोक्रेसी और राजनीति से जुड़े अनसुने किस्से

‘जहां दम वहां हम’ नेताओं पर यह जुमला बिल्कुल फिट बैठता है। राजनीति की रवायत ही कुछ ऐसी है। बात MP की करें तो पिछले एक साल में जब-जब बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व की नजरें यहां पड़ी, नेताओं में खलबली मच गई। बदलाव की बयार चलने के कयास भर से आस्था डोलने लगी। इस बार भी जब ‘सरकार’ बदलने की हवा उड़ी, तो नेता कयासों के आधार पर आस्था बदलने के लिए ‘नए सरकार’ के दर पर पहुंचने लगे।

एक मंत्री तो 5 दिन दिल्ली में डेरा जमाए रहे। वह भोपाल से तब रवाना हुए, जब मुख्यमंत्री का विमान दिल्ली से भोपाल के लिए उड़ान भर चुका था। वैसे तो वह खुद ‘सरकार’ बनने की फिल्डिंग जमा रहे थे, लेकिन वह ये भी जानते हैं कि इसकी उम्मीद कम है। ऐसे में ‘नए सरकार’ का शार्गिद बनना भी कहीं से भी घाटे का सौदा नहीं होगा। ये वही मंत्री हैं, जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बाद सबसे बड़े ओबीसी नेता के तौर पर खुद को प्रोजेक्ट कर रहे हैं।

कांग्रेस नेता की मूर्ति लगाने के लिए फाइल को लगे पंख

बीजेपी के राज में बुंदेलखंड के एक जिले में एक कांग्रेस नेता की मूर्ति लगनी है। ये सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन इसमें आश्चर्य करने जैसी कोई बात नहीं है, क्योंकि जिस कांग्रेस नेता की मूर्ति लगनी है, वो बीजेपी के एक बड़े नेता के पिता हैं। इसलिए इसकी फाइल जिले से लेकर मंत्रालय तक ऐसे दौड़ाई जा रही है, जैसे उसमें पंख लग गए। सुना है कि कलेक्टर ने प्रस्ताव मिलने के आधे घंटे बाद ही एक विशेष वाहक से हाथाें-हाथ उसे भोपाल मंत्रालय भेजा। यहां भी फाइल पर एप्रूवल देने में अफसरों ने बिल्कुल देर नहीं की। सुना है कि इस मूर्ति को लगाने के लिए दिल्ली से फोन आ रहे हैं। लिहाजा अफसरों ने आनन-फानन में औपचारिकताएं पूरी करने के चक्कर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर दिया। जब एक बाबू ने इस तरफ ध्यान आकर्षित कराया तो साहब की टिप्पणी- जिनकी मूर्ति लगाई जा रही है, उसमें नियम का पालन हुआ या नहीं, इसमें चिंता की कोई बात नहीं। क्योंकि विपक्ष भी इस बारे में आंख बंद कर लेगा।

मंत्री पुत्र से एसीएस की नजदीकियां…

जब पिता मंत्री हो तो बेटों की तो झांकी होगी ही ना। कुछ इसी अंदाज में एक मंत्री का बेटा अक्सर मंत्रालय में नजर आता है। विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) के चैंबर में उनकी एंट्री किसी फिल्मी सीन से कम नहीं होती। जैसे की मंत्रालय के पोर्च पर उनकी गाड़ी रुकती है, पहले से अलर्ट सुरक्षाकर्मी दरवाजा खोलकर उन्हें रिसीव करते हैं। वह लिफ्ट से सीधे तीसरी मंजिल पहुंचते हैं, जहां एसीएस का दरबारी पहले से ही दरवाजा खोलकर उनका इंतजार करता दिखाई देता है। विभाग के अफसर कहते हैं कि ऐसा रुतबा तो मंत्रीजी ने भी कभी नहीं दिखाया, लेकिन बेटा, पिता के मंत्री होने का पूरा फायदा उठा रहा है।

सुना है कि मंत्री पुत्र और एसीएस के बीच करीब आधा-आधा घंटा मीटिंग होती है। इस दौरान किसी को भी एंट्री नहीं, दरबारी को भी नहीं। चाय पिलाने की औपचारिकताएं भी नहीं। समझ गए ना। बात लीक होने का कोई रिस्क नहीं, लेकिन लिफाफा देखकर मजमून भांपने वाले भी कम नहीं हैं। उन्होंने पता लगा लिया कि मंत्री पुत्र व एसीएस के बीच क्या खिचड़ी पक रही है। पता चला है कि मंत्रीजी ने गृह जिले से संबंधित काम पुत्र को सौंप दिए हैं। लिहाजा उनका एसीएस से सीधा कनेक्शन बनवा दिया है।

केंद्रीय मंत्री के संपर्क में कांग्रेस विधायक

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महाकौशल में बड़ी सफलता मिली थी, जिसे बीजेपी पचा नहीं पा रही है। बीजेपी ने यहां के कांग्रेस विधायकों पर वर्क आउट शुरू कर दिया है। सुना है कि बीजेपी ऐसे विधायकों पर होम वर्क कर रही है, जिन्हें अगले चुनाव में टिकट नहीं मिलने की उम्मीद है। ऐसे में सियासी मैदान में बने रहने के लिए कोई भी पाला बदलने में गुरेज क्यों करेगा। यह तो एक ट्रेंड भी बन गया है। सुना है कि विधायक जी एक केंद्रीय मंत्री के संपर्क में हैं। यह वही विधायक हैं, जो कमलनाथ की सर्वे रिपोर्ट में फेल हो गए हैं। हालांकि कमलनाथ जब मुख्यमंत्री थे, तब इस विधायक को बड़े पद से नवाजा था, लेकिन अब उनकी साख क्षेत्र में गिरती जा रही है।

विंध्य में कांग्रेस ने पूर्व मंत्री पर डाले डोरे

ऐसा नहीं है कि केवल बीजेपी ही विरोधी खेमे में सेंध लगाने की कवायद कर रही है। कांग्रेस ने भी पटकथा लिखनी शुरू कर दी है। सुना है कि विंध्य में बीजेपी के एक पूर्व मंत्री पर कांग्रेस डोरे डाल रही है। दरअसल, इस नेता को ‘सरकार’ का करीबी होने का कोई लाभ नहीं मिला। नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार की हार का ठीकरा इन पर फोड़ा गया। यही वजह है कि कांग्रेस उन्हें साधने की कोशिश में लग गई है। बता दें कि नेताजी कांग्रेस से ही बीजेपी में गए थे। वे कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं। 2013 के चुनाव से ठीक पहले उनके भाई ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था।

और अंत में…

सांसद के भतीजे ने कराई ठेकेदारों की एंट्री बंद

निमाड़ के एक सांसद के भतीजे ने पीडब्ल्यूडी के अफसरों को सीधे तौर पर चेतावनी दी है कि सभी ठेके वे खुद लेंगे। नए टेंडर जारी होने के बाद सभी ठेकेदारों को यह सूचना दे दें। हाल ही में इस जिले में एक सीमेंट कंपनी ने ठेकेदारों को पार्टी दी थी, जिसमें पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर – अफसर भी शामिल हुए थे। यहां ठेकेदारों को सांसद के भतीजे का संदेश दिया गया। सुना है कि सीमेंट कंपनी के एक अफसर ने यह जानकारी ‘सरकार’ तक पहुंचा दी है। अब देखना है कि ‘सरकार’ ठेकेदारों का साथ देते हैं या फिर सांसद के भतीजे का?

ये भी पढ़ें :-

खबरें और भी हैं…
[ad_2]
Source link

Related Articles

Back to top button