सरकार के इस फैसले की वजह से अब सस्ते में iPhone खरीदने वालों का टूटा सपना
स्मार्टफोन्स के बाज़ार में तेजी से रिफर्बिश्ड फोन का चलन बढ़ रहा है। लेकिन अब खबर है कि सरकार ने e-waste जनरेशन की चिंताओं के कारण भारत में रीफर्बिश्ड आईफोन (iPhones) बेचने की योजना को खत्म कर दिया है। आइए सबसे पहले बताते हैं कि रिफर्बिश्ड फोन क्या हैं:
Refurbished Phone क्या है?
रिफर्बिश्ड फोन वह फोन होते हैं जो यूजर्स विक्रेता को कुछ कम कामकाज की खराबी या पसंद ना आने के कारण वापस कर देते हैं। इसे विक्रेता द्वारा वापस ले भी लिया जाता है और इनकी मरम्मत की जाती है। इसके बाद ये नए जैसे बन जाते हैं। फिर से इन्हें मार्केट में बेचा जाता है। यह फोन अन्य नए फोन की तुलना में काफी सस्ते दामों पर उपलब्ध होते हैं।
Apple पिछले कुछ वर्षों से सरकार के साथ सेकंड हैंड iPhones को आयात और बेचने की अनुमति देने के लिए बातचीत कर रहा था, जिसे इसे ‘प्री-ओन्ड और सर्टिफाइड’ कहा जाता था। Apple रीफर्बिश्ड आईफोन को भारत में मैन्युफैक्चर करने में विफल रहा क्योंकि सरकारी नियमों में यूजड डिवाइसेस के इम्पोर्ट का प्रोविजन नहीं है। ऐप्पल को अनुमति देने का मतलब होगा अन्य कंपनियों द्वारा भारत में इस्तेमाल किए गए फोन डंपिंग के दरवाजे खोलना है जिससे बड़े पैमाने पर ई-कचरा होगा।
इसलिए इस प्लान को छोड़ दिया गया है। इसे यहां आगे ले जाने का कोई इरादा नहीं है। ऐप्पल इंडिया के प्रवक्ता से पूछे गए सवालों का शुक्रवार शाम तक कोई जवाब नहीं आया।आईडीसी इंडिया, दक्षिण एशिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में उपकरणों के अनुसंधान के सहयोगी उपाध्यक्ष नवकेंद्र सिंह ने कहा कि Apple का लक्ष्य रीफर्बिश्ड फोन के साथ अपनी बाजार हिस्सेदारी का विस्तार करना था क्योंकि एक बार स्मार्टफोन यूजर्स iPhone का उपयोग करना शुरू कर देता है, तो उसे आईफोन की आदत हो जाती है और वह iPhone ऐसे में आईफोन के अपग्रेड होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है, चाहे वह रीफर्बिश्ड हो या नया। यह एक ऐसी रणनीति थी जो Apple को यूजर्स को अपने इकोसिस्टम में लॉक करने में मदद कर सकती थी।
