संभाग स्तरीय टूर्नामेंट खिलाड़ियों की दुर्दशा: बच्चों को नहीं मिलती किट्स, खाने के लिए भी होते है परेशान, बालिकाओं के लिए चेंजिंग रूम भी नहीं

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बैतूल9 घंटे पहले
बैतूल में बुधवार को 66वीं संभाग स्तरीय शालेय क्रीडा प्रतियोगिता संपन्न हुई। इस टूर्नामेंट में नर्मदापुरम संभाग के तीन जिलों के अंडर 19 खिलाड़ियों ने फुटबाल मैच खेले। यहां से चयनित खिलाड़ी राज्य स्तर की टीम में खेलेंगे। टूर्नामेंट में जिस तरह की समस्याएं सामने आई वह खेल और खिलाड़ियों की दशा और दिशा दिखाने के लिए काफी है।
खिलाड़ियों को न तो खेल की किट्स मिलती है और न समय पर खाना-पीना। भास्कर ने इसकी पड़ताल की, तो कई खामियां निकलकर सामने आई। खुद खिलाड़ियों ने अपनी जुबानी बयां किया कि उन्हें क्या चाहिए और उन्हें क्या मिल रहा है।
खिलाड़ियों ने खुद बताई समस्या
खिलाड़ी प्रियांशु शर्मा नर्मदापुरम ने जो कुछ बताया वह खिलाड़ियों के साथ किए जा रहे व्यवहार की ऐसी बानगी है। जो बताती है कि किस तरह खेलों को बर्बाद करने के प्रयास किए जा रहे है। प्रियांशु के मुताबिक, हम एक किट नहीं मिलती। इसलिए खेल नहीं पाते हैं। हम चाहते हैं कि हमें 2 दिन की ट्रेनिंग मिले। अक्सर होता यह है कि हमें जिले और संभाग स्तर पर खेलने भेज दिया जाता है।
जहां अलग-अलग संभाग में अलग-अलग ब्लॉकों जिलों के खिलाड़ी पहुंचते हैं, जिनके भी इस कंबीनेशन नहीं बन पाता है। ऐसे में उन्हें ऐसे खिलाड़ियों के साथ 2 दिन की ट्रेनिंग के लिए प्रैक्टिस का समय दिया जाना चाहिए। राजवीर ने बताया कि उन्हें सुबह से भोजन तक नहीं दिया गया है ऐसे में उन्हें फास्ट फूड खाना पड़ता है, जो उनका पेट खराब कर देता है। जिसके बाद खेलने में दिक्कत आती है। प्रियांशु के मुताबिक उन्हें आने-जाने का किराया तक नहीं दिया गया। यहां तक कि ऑटो का किराया भी उन्होंने अपनी जेब से दिया।
खेलने के लिए जर्सी भी नहीं मिली
खिलाड़ी सूरज कुशवाहा की मानें तो उन्हें जर्सी तक प्रोवाइड नहीं कराई गई है। जर्सी एक जैसी ना होने से बाहर से देखने वाले दर्शक और खुद उनके अपने साथी भी एक दूसरे को समझ नहीं पाते हैं। अलग-अलग रंग की ड्रेस पहन कर उन्हें खेलना पड़ता है। अगर जिले की टीम उन्हें जर्सी प्रोवाइड कराए तो देखने में सभी खिलाड़ी एक जैसे लगेंगे। लेकिन ऐसा नहीं किया जाता।
किट्स भी कभी नहीं मिलती। खेल अधिकारी अक्सर यही कहते हैं कि उन्हें ऊपर से कुछ नहीं मिलता। राजवीर यादव की माने तो वह आज दोपहर 12 बजे पहुंचे थे, लेकिन ना तो उन्हें ब्रेक फास्ट नसीब हुआ और ना ही लंच। अपने साथ जो टिफिन लेकर आए थे उसी से उन्हें खाना खाना। खाने की कोई व्यवस्था नहीं थी, ब्रेक फास्ट तक नहीं कराया गया है।
बालिका खिलाड़ी को नहीं मिलता चेंजिंग रूम
बालिका खिलाड़ी काजल की मानें तो उन्हें चेंजिंग रूम तक नसीब नहीं होता। कपड़े बदलने के लिए उन्हें या तो झाड़ियों का सहारा लेना पड़ता है या फिर अपनी कार में कपड़े बदलने पड़ते हैं। या फिर कई बार टॉयलेट में जाकर उन्हें चेंज करना पड़ता है।
टीम मैनेजर को करनी चाहिए व्यवस्था
स्पोर्ट्स अफसर धर्मेंद्र पवार के मुताबिक, यह सारे व्यवस्थाएं टीम मैनेजर को करनी चाहिए। अगर वे नहीं कर रहे है तो यह गलत है। किट्स उपलब्ध कराए जाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी से चर्चा की जाएगी ताकि वे सभी प्राचार्यों को निर्देश जारी करें। जिले की टीम के लिए जर्सी तैयार कराई जाएगी।

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