चित्रकूट में 5 दिवसीय मेला शुरू: धनतेरस पर कुबेर कुंड का पूजन, सोमवती अमावस्या पर होगा दीपदान

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सतना8 मिनट पहले
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आपदा के हरण करने वाली भूमि चित्रकूट के मंदाकिनी तट पर पांच दिवसीय दीपदान मेला धनतेरस से शुरू हो गया है। पांच दिनों में यहां लगभग 40 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। इस बार दीपावली के साथ ही सोमवती अमावस्या तथा सूर्य ग्रहण का भी संयोग है। उधर मेले की तैयारियां प्रशासन ने मुकम्मल कर ली हैं। अधिकारियों- कर्मचारियों की तैनाती कर दी गई है। एहतियाती प्रशासनिक इंतजामो के तहत चित्रकूट परिक्रमा पथ में नारियल तोड़ने पर पाबंदी लगा दी गई है।
चित्रकूट में धनतेरस से दीपदान मेले की शुरुआत हो गई। इस बार 22 से 27 तक चलने वाले इस पुरातन मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु चित्रकूट पहुंचेंगे। इस बार कई विशेष संयोग बन रहे हैं। दीपदान के साथ-साथ सोमवार को अमावस्या होने की वजह से इस अमावस्या को सोमवती अमावस्या के तौर पर भी मनाया जाएगा। इसके अलावा इस बार प्रतिपदा पर सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। गोवर्धन पूजा के दिन सूर्य ग्रहण पड़ने के कारण इस दिन कुछ समय के लिए मंदिर बंद रहेंगे लेकिन भजन- कीर्तन का सिलसिला चलता रहेगा। ग्रहण में गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है लिहाजा श्रद्धालु चित्रकूट में पावन सलिला मंदाकिनी में आस्था की डुबकी लगा कर प्रभु नाम का स्मरण करेंगे और ग्रहण काल मे पुण्य लाभ अर्जित करेंगे। ग्रहण के दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे। श्रद्धालु मंदिरों में भगवान के दर्शन नहीं कर पाएंगे।

उत्तर प्रदेश क्षेत्र में यह मेला पहली बार क्रांति मेले के तौर पर मनाया जा रहा है। एमपी और यूपी के प्रशासन द्वारा मेले में व्यवस्था एवं सुरक्षा के लिहाज से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सुरक्षा के विशेष इंतजाम किये गए हैं। वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है।

चित्रकूट दीपदान मेला के प्रथम दिवस धनतेरस पर श्रद्धालु यहां भगवान कुबेर और उनके कुंड की पूजा करते हैं। कुबेर भगवान की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान कुबेर यहां कामदगिरि पर्वत एवं मुखारविंद के पास पहरा देते रहते हैं तथा सभी लोगों की मनोकामनाओं की पूर्ति करके उन्हें धन-धान्य से परिपूर्ण करते हैं। इन 5 कुंडों को भगवान कुबेर के कुंड कहा जाता है। यह मूर्ति भगवान कुबेर की प्राचीन मूर्ति है।। चित्रकूट के आसपास विशेष औषधियां मिलती है दूर-दूर से आने वाले वैद्य आज अपनी औषधियों की पूजा करते हैं। साथ ही धारकुंडी, सरभंगा, हनुमान धारा के पंपापुर, सूरजकुंड, व अनुसुइया क्षेत्र में औषधियां एकत्रित करते हैं उनकी पूजा अर्चना करते हैं और साल भर जनमानस के स्वास्थ्य लाभ के लिए उनका उपयोग करते है।
नारियल पर पाबंदी
चित्रकूट में अमावस्या मेले पर इस बार भी नारियल पर पाबंदी लगाई गई है। एसडीएम मझगवां पीएस त्रिपाठी ने एक प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर परिक्रमा मार्ग पर नारियल तोड़ने और पानी वाले नारियल के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है। यह आदेश श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिहाज से जारी किया गया है। दरअसल परिक्रमा पथ पर नारियल तोड़ने से उसके टुकड़े जगह जगह बिखरे रहते हैं जिनसे परिक्रमा करने वाले चोटिल होते हैं तथा आग लगने की आशंका भी बनी रहती है। पानी वाले नारियल से वहां फिसलन भी होती है। फिलहाल यह प्रतिबंधात्मक आदेश 6 माह के लिए प्रभावी किया गया है।
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