शिवराज बोले-बेटी पैदा होती तो मुंह उतर जाता था: CM बना तो सोचा, बेटियों को लखपति बनाना है…

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भोपाल9 घंटे पहले
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बेटियों को लेकर बड़ा फैसला किया है। सीएम ने कहा-हर जिले में एक सड़क का नाम लाडली लक्ष्मी रोड किया जाएगा। लाडली लक्ष्मी योजना-2 के लॉन्चिंग अवसर पर उन्होंने इस योजना के बनाने की पूरी कहानी भी सुनाई।
भोपाल के स्मार्ट पार्क में लाडली लक्ष्मी योजना-2 के लॉन्चिंग के मौके पर सीएम शिवराज ने कहा-हमारे देश में अब तक बड़े लोगों के नाम से, महापुरुषों के नाम से रोड का नाम रखने की परंपरा तो थी। मैं सोचता हूं कि मेरी लाडली लक्ष्मी बेटियां तो बड़ी होकर प्रदेश का भविष्य बनाएंगी, देश का भविष्य गढ़ेंगी ये बहुत आगे बढ़ेंगी। इसलिए एक रोड का नाम ‘लाडली लक्ष्मी रोड’ रख दिया जाए।
भोपाल में ये होगी पहली लाडली लक्ष्मी रोड
सीएम ने कहा- आज हमने भारत माता चौराहे से लेकर पॉलिटेक्निक चौराहे तक, जिसमें यह स्मार्ट पार्क भी आता है, जहां मैं रोज पेड़ लगाता हूं। यह स्मार्ट रोड था मैंने कहा ‘यह स्मार्ट रोड नहीं होगा यह लाड़ली लक्ष्मी रोड कहा जाएगा।’ सीएम ने कहा- आज मेरी खुशी का अंदाजा नहीं लगा सकते, मैं गदगद हूं। आज मेरी वो लाडली लक्ष्मी बेटियां बैठी हैं, जिनमें से कई को मैंने गोद मे खिलाया था, आज वे कॉलेज में पहुंच गई हैं। कई बेटियों को में गोद में लेता था, उछलता था, कई प्रमाण-पत्र पकड़ लेती थीं। एक बेटी ने मेरा कान पकड़ लिया था। यहां 51 हजार गांवों में लाडली लक्ष्मी बैठी हैं।
अब सीएम से सुनिए लाडली लक्ष्मी योजना बनाने की पूरी कहानी उन्हीं की जुबानी…
गांव में बेटी पैदा होती थी तो घरवालों का मुंह उतर जाता था
सीएम ने बताया- मेरा गांव जैत 1000 की आबादी वाला गांव है। वहां यदि किसी के घर में बेटा पैदा हो जाए तो ढोल बजते थे। पटाखे फूटते थे। कुछ बड़े लोगों के घरों में बंदूकें चलती थीं। यदि किसी के घर बेटी पैदा हो जाए तो घरवालों का मुंह उतर जाता था। यह भेदभाव भगवान ने नहीं इंसान ने बनाया।
एक अम्मा ने पूछा- बेटी आ गई तो शादी कौन कराएगा
पौराणिक कथाओं में हमने पढ़ा है, जब युद्ध में दानवों से देवता हार जाते थे, तब देवी मां याद की जाती थीं। हजारों साल की गुलामी के कारण हमारे विचार बदल गए, हमने बेटियों को अभिशाप मानना शुरू कर दिया। बेटे को दूध और बेटी को बचा हुआ खाना। बेटों को पढ़ाई, बेटियों से कहा जाता था चिट्टी पत्री पढ़ ले काफी है, बनाना तो चूल्हे पर रोटी ही है। यही देखकर मेरी आत्मा दुखती थी। कहा जाता था, बेटा कुल का दीपक होता है। बेटी को पराया धन कहा जाता था। मैं कहता हूं, बेटी जब तक रहेगी मां-बाप का ख्याल रखेगी।

सीएम ने मंच से कहा- आज 51 हजार गांवों में लाडली लक्ष्मी बैठी हैं। उन्होंने लाडली लक्ष्मी योजना बनने की कहानी सुनाई।
कोख में मार देते थे बेटियां
कई जगह पता चलते ही बेटी को कोख में ही मार देते थे, कोख को कत्लखाना बना दिया था। बेटी आ गई तो तम्बाकू दबा दो मर जाए। एक सामाजिक शादी के सम्मेलन मैंने भाषण देते हुए कहा- बेटी है तो कल है, बेटी को आने दो… मेरी बात सुनकर एक बूढ़ी अम्मा कहने लगी की, अगर बेटी आ गई तो शादी कौन कराएगा।

बेटियों के साथ सीएम ने फोटो भी खिंचवाई। बेटियों ने कहा- आर्थिक परेशानी के बाद भी पढ़ पाए, इसका श्रेय शिवराज मामा को जाता है
विधायक बना तो बेटियों की शादी करवाना शुरू किया
1990 में विधायक बनने के बाद पदयात्रा कर रहा था, एक बोरना गांव में गया तो बताया कि एक बेटी है, उसके माता-पिता बचपन में मर गए थे। इसकी शादी करवा दो, सरकार से कुछ मदद करवा दो, परसों ही शादी होनी है। तब मैंने अपने दोस्तों से कहा- इसकी शादी का पूरा इंतजाम करो। जब मंडीदीप से बारात आई तो बाराती अचरज में पड़ गए। वे सोच रहे थे बिन मां-बाप की बेटी की शादी ऐसी भव्यता से हो सकती है। मैंने अपने इलाके में शादियां कराने लगा। जब सांसद बना तो लोकसभा से मिलने वाले भत्ते से बेटियों की शादियां करता था। यह क्रम चलता रहा, लेकिन मेरे दिमाग में यही बात थी कि बेटियों को लखपति बनाया जाए।

सीएम शिवराज ने 1477 लाडली लक्ष्मियों के खाते में 1 करोड़ 83 लाख रुपए ट्रांसफर किए। कुछ बेटियों को प्रमाण-पत्र भी बांटे।
2005 में मुख्यमंत्री बना तो सोच लिया…बेटियों को लखपति बनाना है…
2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने सोच लिया कि बेटियों को लखपति बनाने के लिए काम करना है। फिर मैंने अधिकारियों को बुलाया और कहा कि ऐसी योजना बनानी है कि बेटी पैदा हो तो लखपति पैदा हो। मेरी बात सुनकर अफसर सोच रहे थे, नया-नया मुख्यमंत्री बना है, ज्यादा जोश आ रहा है। अफसर कहते थे, हो ही नहीं सकता, खजाना खाली हो जाएगा। फिर योजना बनाई की बेटी के जन्म के साथ माता-पिता के खाते में 30 हजार डाल दें तो ब्याज बढ़ते-बढ़ते 18 साल की होने तक 1 लाख 18 हजार राशि हो जाएगी। फिर एक बात आई कि बेटी को पढ़ाना भी चाहिए। तो पढ़ाई होते-होते 12वीं तक के लिए अलग-अलग राशि तय कर दी।

महिला बाल विकास विभाग के पीएस अशोक शाह ने बताया कि 2007 में लाडली लक्ष्मी योजना बनाई गई। अब तक 43 लाख लाडली लक्ष्मी रिकार्ड में दर्ज हो चुकी हैं।
सम्मान पाकर बोली भूमि-मामा शिवराज के आशीर्वाद से ही पढ़ पाई
लाडली लक्ष्मी योजना-2 के लॉन्चिंग अवसर पर सीएम शिवराज ने 1477 लाडली लक्ष्मियों के खाते में 1 करोड़ 83 लाख रुपए ट्रांसफर किए। सीएम से सम्मान पाने के बाद छिंदवाड़ा से आई बेटी भूमि राय ने कहा- मैं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र तामिया से आई हूं। मेरे पिता के ऊपर संयुक्त परिवार का भार है। आर्थिक कमजोरी के बावजूद मेरी पढ़ाई जारी रही, इसका श्रेय मामा शिवराज को जाता है। मैंने बायोलॉजी सब्जेक्ट से 12वीं में 85% अंक हासिल किए हैं। मामा के हाथों से लैपटॉप भी लिया। मेरा सपना सिविल सर्विसेस में आने का है। आपके सहयोग और आशीर्वाद से मैं इस संकल्प को पूरा करूंगी।

सीएम ने पूछा, बताओ बेटियों खुश हो या नहीं..?
स्मार्ट पार्क में आयोजित लाड़ली लक्ष्मी वाटिका में सीएम ने कार्यक्रम में मौजूद बेटियों से कहा- आज मेरी बेटियों के नाम पर पथ का नाम ये शायद दुनिया में पहली बार हो रहा होगा। बेटियों के नाम पर रोड का नाम, दोनों तरफ लाड़ली लक्ष्मी योजना का प्रचार – प्रसार उसके लाभ और दोनों तरफ बेटियों के सशक्तिकरण की योजनाओं का भी प्रचार – प्रसार होगा। यह लाड़ली लक्ष्मी पथ इसलिए, मुझे लाडली लक्ष्मी बेटियों के सम्मान में रोड का नाम रखना था, क्योंकि बेटियों के सम्मान से बढ़कर कोई और दूसरा सम्मान नहीं है। और बेटियों का सम्मान नहीं होगा तो देश और प्रदेश कभी भी सुखी नहीं रह सकता।

कार्यक्रम में मौजूद सीएम शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मेयर मालती राय, विधायक रामेश्वर शर्मा।
जिला मुख्यालय पर बनेगी लाडली लक्ष्मी वाटिका
सीएम ने कहा- सार्वजनिक स्थानों के नाम भी अपनी संस्कृति परंपरा और जीवन मूल्यों से जुड़े होना चाहिए। नाम रखने का कोई उद्देश्य होना चाहिए। प्रदेश के हर जिला मुख्यालय पर लाडली लक्ष्मी वाटिका बनाई जाएगी। इन वाटिकाओं में लाडली लक्ष्मी बेटियां जन्मदिन के दिन पौधरोपण करेंगे और लाडली लक्ष्मी के लिए विशेष रूप से प्रेरणा का स्थान बनेगा ताकि समाज को भी प्रेरणा मिले बेटी है तो कल है।

बेटियों के साथ लाडली लक्ष्मी वाटिका में पौधरोपण करते सीएम शिवराज सिंह चौहान
‘लाडली लक्ष्मी’ योजना के लिए ये हैं पात्रता
– बच्ची का जन्म एक जनवरी 2006 या उसके बाद हो।
– बालिका स्थानीय आंगनवाड़ी केंद्र में पंजीकृत हो।
– माता-पिता मध्यप्रदेश के मूलनिवासी हों। वह आयकर दाता न हो।
– वैसे पैरेंट्स जिनकी दो या दो से कम संतान हो, द्वितीय संतान के जन्म के पश्चात परिवार नियोजन अपनाया गया हो।
– पहली बच्ची को बिना परिवार नियोजन के इसका लाभ मिलेगा। – दूसरी को परिवार नियोजन के बाद ही लाभ मिलेगा।
– एक साथ तीन बच्चियों का जन्म होता है तो तीनों को इसका लाभ मिलेगा।
– रेप पीड़िता महिला से जन्मी संतान को भी इसका लाभ मिलेगा।
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