योद्धा जैसा इंदौर की नन्हीं का हौंसला: पांच साल की बेटी के दिल में छेद, जन्म होते ही माता-पिता चल बसे तो दादा-दादी के सहारो लड़ रही जंग

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इंदौरएक घंटा पहले
यह है इंदौर की 5 साल की विशाखा। इस मासूम ने महज ढाई माह की उम्र में माता-पिता दोनों को खो दिया। तब से दादा-दादी ही इसकी देखभाल कर रहे हैं। विशाखा जब एक साल की हुई तो बीमार रहने लगी। जांच कराने पर पता चला कि उसके दिल में छेद है। गरीब दादा-दादी ने प्रशासन की मदद से मासूम का इलाज कराया और अब वो बिल्कुल ठीक है। पढ़िए मासूम विशाखा की पूरी कहानी…

दादा-दादी के साथ विशाखा।
नगीन नगर में रहने वाली मासूम विशाखा के माता-पिता इस दुनिया में नहीं है। विशाखा के माता-पिता ने परिवार से विरोध कर लव मैरिज की थी। करीब सालभर सब ठीक चला। लेकिन समय का चक्र ऐसा बदला कि पति-पत्नी में अनबन होने लगी। फिर बात इतनी बढ़ी की विशाखा को छोड़कर मां अपने मायके चली गई। पति-पत्नी के बीच झगड़ा इतना बढ़ा कि फिर बच्ची की मां उसके पास नहीं लौटी। मासूम जब डेढ़ माह की थी तभी उसकी मां ने खुदकुशी कर ली। दूसरी ओर पिता भी बुरे दिनों का सामना नहीं कर सके और कुछ ही दिनों के बाद उन्होंने भी आत्महत्या कर ली। तब विशाखा की उम्र महज ढई माह की थी। तब से ही वह उसके दादा छोटेलाल व मां केसरबाई के पास है।
बीमार रहती थी, जांच कराई तो दिल में निकला छेद
मुसीबतों का सिलसिला यहीं नहीं थमा। कुछ ही दिनों में विशाखा बीमार रहने लगी। दादा-दादी ने इंदौर के डॉक्टरों को बताया और जांच कराई तो पता चला कि उसके दिल में छेद है। डॉक्टरों ने स्पष्ट रूप से कहा कि इसका ऑपरेशन जल्दी कराना पड़ेगा, अन्यथा जान को खतरा है। गरीब दादा-दादी के पास ऑपरेशन तो ठीक मुंबई जाने के लिए भी रुपए नहीं थे। इस पर उन्होंने सरकारी योजना में इलाज कराने के लिए नगर निगम व जिला प्रशासन के चक्कर लगाए। फिर मामला एडीएम राजेश राठौर तक पहुंचा उन्होंने बहुत ही कम समय में सारी प्रक्रिया पूरी कराई और उसका मुंबई में सफल ऑपरेशन हुआ।

प्रशासन और जनप्रतिनिधियों
हार्ट प्रॉब्लम ने कोरोना की दोनों लहरों में बढ़ाई मुश्किल
पोती विशाखा को लेकर दादा-दादी मुंबई से लौटे और उसका लालन-पालन शुरू किया। इस बीच कोरोना संक्रमण की पहली और उसके बाद दूसरी लहर आई। इस दौरान संक्रमण को लेकर खुद के साथ मासूम को संभालना काफी चुनौतीपूर्ण था। इसके बाद मासूम विशाखा इंदौर के जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की नजरों में तब आई जब शासन ने मुख्यमंत्री कोविड-19 योजना व हाल ही में मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना शुरू की। पहली योजना कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों तथा दूसरी योजना जरूरतमंद बच्चों के लिए हैं। हालांकि विशाखा के माता-पिता की मौत का कारण कोरोना नहीं बल्कि खुदकुशी था। फिर भी दादा-दादी को उम्मीद थी कि उनकी पोती को भी इसका लाभ मिले। इस पर जरूरतमंद बच्चों की योजना के तहत प्रशासन की ओर से इस बच्ची को भी गोद लिया गया।

जिंदगी की जंग जारी…
दादा-दादी ने बताया कि इस साल उसने स्कूल में एडमिशन लिया है। दिल के ऑपरेशन के बाद उसकी हालत अच्छी है। लेकिन अब उसे हर्निया हो गया है, जिसका इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया कि जब बहू-बेटे की मौत हुई तब पोती विशाखा ढाई माह की थी, तब से वह हमें ही माता-पिता समझती है। भले ही उसने लाख मुसीबत झेली और अभी भी मुसीबतें कम नहीं हुई है। लेकिन उसका हौसला योद्धा जैसा है।
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