शिक्षक दिवस पर शिक्षकों का सम्मान: राज्यपाल ने शिक्षिका सरिता सिंह को किया सम्मानित, टीम ने सवाल पूछे तो बच्चों ने दिए धाराप्रवाह जवाब

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अनूपपुर10 मिनट पहले
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पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन देश प्रदेश में ऐसे शिक्षकों का सम्मान किया जाता है, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अलग किया हो। इस वर्ष 14 शिक्षक और शिक्षिकाओं का चयन किया गया था, जिसमें से एक नाम अनूपपुर की सरिता सिंह का भी था। सरिता सिंह अनूपपुर बस्ती की प्राथमिक बालक विद्यालय में पढ़ाती हैं। सरिता सिंह विद्यालय में पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को शिक्षा प्रदान करती हैं। सरिता सिंह को 5 सितंबर को भोपाल में राज्यपाल ने सम्मानित किया।
सवाल पूछने पर बच्चों ने दिया धाराप्रवाह जवाब
जिला मुख्यालय अनूपपुर के शासकीय प्राथमिक बालक विद्यालय बस्ती में वर्ष 2012 से शिक्षिका सरिता सिंह पढ़ा रही हैं। कक्षा पहली और दूसरी के बच्चों को पढ़ाती हैं। पुरस्कार के लिए आवेदन करने पर जिले में गठित पुरस्कार चयन समिति टीम ने कक्षा के बच्चों से जब पाठ्यक्रम के अलावा अन्य विषयों पर सवाल पूछे तो उन्हें बच्चों ने धारा प्रवाह उत्तर दिया। टीम के सदस्यों को काफी प्रभावित भी किया। शिक्षिका सरिता सिंह ने स्कूल में छोटे बच्चों को कहानी, कविता, चित्र, वीडियो के माध्यम से बुनियादी रुप से साक्षर करने का प्रयास किया है।
शिक्षण, सीखने की सामग्री के माध्यम से अध्यापन
सरिता ने टीएलएलएम (शिक्षण,सीखने की सामग्री ) के माध्यम से अध्यापन कार्य को और सरल व आकर्षक बनाने के लिए बच्चों को पढ़ाई के प्रति प्रेरित करने के लिए रंगोली और खेल के माध्यम से नवाचार का प्रयोग किया जो सफल रहा।
अलग-अलग तरीकों से बच्चों को दे रहीं शिक्षा
मुख्य रूप से बच्चों ने जिस स्वरूप में पढ़ाई करना चाहा, उसी ढंग से उन्हें पढ़ाया गया। जैसे की रेत में कंकड़ से या फिर उंगली चलाकर स्वर व्यंजन की जानकारी दी गई। स्थिति यह हो गई थी कि जो बच्चे पढ़ाई से भागते थे उन्हें पढ़ाया हुआ सब याद रहता। शिक्षिका सरिता ने स्कूल के अलावा भी अपने दायित्वों का निर्वहन किया।
शिक्षा छोड़ चुके बच्चों को दिलाई शिक्षा
घर-घर जाकर बस्ती में बच्चों को पढ़ाई कराने के लिए जागरुक किया। इसी तरह जो बच्चे स्कूल छोड़ चुके थे, उन्हें फिर से स्कूल में दाखिल कराया। करीब 11 ऐसे बच्चे उनके वार्ड बस्ती क्षेत्र में थे, जिसके लिए उन्होंने निरंतर अपना प्रयास जारी रखा। शिक्षिका सरिता के इन्हीं नवाचारों ने उन्हें राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए चुना है।
शिक्षिका सरिता सिंह ने कहा कि लॉकडाउन के समय बच्चे पढ़ाई से विमुख होते जा रहे थे, तब उन्होंने विभिन्न गतिविधियां जो उन्हें पढ़ाई के साथ जोड़कर रखे वो अपनाई, जिसमें वे सफल भी रहीं। पुरस्कार के बाद वह अपने इस अभियान को और आगे विस्तार देंगी, जिससे कि बच्चों को सरलतम तरीके से बुनियादी शिक्षा ग्रहण करने में सहूलियत रहे।

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