शहडोल में मनाई अक्षय नवमी: महिलाओं ने आंवला वृक्ष की पूजा कर सपरिवार किया भोजन

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शहडोल9 घंटे पहले
शहडोल में बुधवार को अक्षय नवमी पर महिलाओं ने आंवला वृक्ष की पूजा की। परिवार सहित आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन किया। बच्चों काे पिकनिक सा आनंद मिला।
ग्राम कल्याणपुर स्थित हनुमान मंदिर के समीप संस्कृत महाविद्यालय परिसर, बूढ़ी माता मंदिर, कंकाली मंदिर, विश्व प्रसिद्ध विराट मंदिर सहित क्षीरसागर आदि विभिन्न स्थानों पर काफी संख्या में लोग पहुंचे। इन स्थानों में सुबह से लेकर शाम तक लोगों की चहल पहल बनी हुई है। कुछ लोगों ने इस पर्व को यादगार बनाने के लिए वृक्षारोपण भी किया है।
ऐसी मान्यता है कि, आज के दिन आंवले की पूजा पूरे श्रद्धाभाव से की जानी चाहिए। पूजा के दौरान अपनी मनोकामना व इच्छाओं को मन ही मन दोहराते रहना चाहिए। जिससे इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

जाने विस्तृत महत्व
शास्त्रों में यह बताया गया है कि आज के दिन ही सतयुग की शुरुआत हुई थी। इस दिन को आंवला नवमी, सतयुगादि, इच्छा नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस महीने में पड़ने वाले सभी व्रत और त्योंहारों का महत्व बहुत अधिक होता है। कार्तिक मास भगवान विष्णु का सबसे प्रिय महीना है। इस मास के शुक्ल पक्ष की नवमी यानि अक्षय नवमी को व्रत भी रखा जाता है। देवउठानी एकादशी के दो दिन पहले पड़ने वाले इस पर्व में भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। सामर्थ्य अनुसार दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के तहत, आज नवमी तिथि से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास रहता है। इस वजह से आंवले के वृक्ष की पूजा करते हैं। आज ही की तिथि को भगवान विष्णु ने कूष्मांड राक्षस का वध किया था। इसलिए आंवला नवमी को कूष्मांड नवमी भी कहते हैं। इस दिन कद्दू का दान किया जाता है।

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