50 वर्ष बाद भी नहीं पहुंची पक्की सड़क: बिजली-सड़क को मोहताज पचरीपानी का बैगा समाज, एंबुलेंस को पहुंचाने में करनी पड़ती है कड़ी मशक्कत

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अनूपपुर29 मिनट पहले

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अनूपपुर, जिला मुख्यालय से महज 15 किमी.दूर स्थित ग्राम पंचायत लखनपुर के भुमिया-बैगा बाहुल्य पचरीपानी गांव में आजादी के 50 वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी ग्रामीण सड़क व बिजली जैसी प्राथमिक जरूरतों से कोसों दूर हैं। सड़क व बिजली के लिए ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधि व प्रशासन के समक्ष कई बार आवाज उठाया। उसके बाद भी परिस्थितियां पूर्व की तरह बनी हुई है।

चारों तरफ से भीषण जंगल व पहाड़ों के बीच बसें इस गाव में विगत दिनों अचानक उल्टी-दस्त की शिकायतों मिली। पीड़ितों को जिला अस्पताल लाने के लिए एंबुलेंस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। विगत 80 वर्षों के पूर्व से घने वन क्षेत्रों के बीच बसे भुमिया-बैगा बाहुल्य ग्राम पचरीपानी गांव में 18 घर भूमिया-बैगा व 3 घर गोड़ समाज के हैं। जिसमें लगभग 100 लोग निवासरत है। जिन्हें 50 वर्षों बाद भी आवागमन के लिए मार्ग व बिजली नहीं पहुंच सकी है।

गांव में तीन हैंडपंप चालू स्थिति में है। जिसका उपयोग ग्रामीण करते हैं। आवागमन की सुविधा ना होने की वजह से वर्षा काल में पैदल तक चल पाना संभव नहीं होता हैं। जिसके कारण गांव के 10-12 बच्चे जो माध्यमिक विद्यालय लखनपुर में अध्ययनरत हैं, नहीं पहुंच पाते हैं।

गांव वालों ने बताया कि हम लोगों ने स्वयं व पंचायत ने भी कई बार जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों व प्रशासन को अपनी समस्या से अवगत कराया। गांव तक पहुंच मार्ग व बिजली के लिए आवेदन करके बातचीत भी की, लेकिन अभी तक हम लोगों को यह सुविधा प्राप्त नहीं हो सकी है।

क्षेत्र के विधायक व मध्यप्रदेश शासन के खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह के द्वारा दो वर्ष पूर्व आदिवासी विकास मद से विद्युतीकरण कार्य हेतु सैंतीस लाख रुपए स्वीकृत कराया गया था। जिस पर चार किमी के बीच 65 खंबे लगाए जाने है।

जिसका टेंडर होने के बाद वन विभाग से अनुमति मिलने के बाद भी विद्युतीकरण का काम ठेकेदार की ओर से अब तक प्रारंभ नहीं किया गया है। विद्युतीकरण के लिए एक वर्ष से अधिक समय से 65 खंभे अगरियानार से पचरीपानी के बीच संग्रहित कर विभाग की ओर से रखा गया है।

वहीं अगरियानार तिराहा से पचरीपानी के मध्य चार किमी की दूरी पर पहुंच मार्ग बनाए जाने को लेकर कई बार पत्राचार किए गए। लेकिन अब तक कहीं भी इस दुर्गम गांव के लिए सड़क निर्माण के संबंध ने कोई सार्थक हल नहीं निकल पाया है।

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