Chhattisgarh

वेदांता ने ढेंकानाल एल्युमीनियम प्रोजेक्ट के साथ भारत में वित्तीय वर्ष 2026 की पहली तिमाही में सबसे बड़ा निवेश कियाः सीएमआईई रिपोर्ट

0 इस तिमाही में भारत का सबसे बड़ा पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) कंपनी के 3 एमटीपीए स्मेल्टर और 4,900 मेगावाट पावर प्लांट के साथ प्राइवेट सेक्टर के विश्वास का संकेत देता है

रायपुर, 31जुलाई 2025: भारत की सबसे बड़ी एल्युमीनियम उत्पादक कंपनी वेदांता एल्युमीनियम ओडिशा में अपनी ₹1.3 ट्रिलियन की ग्रीनफील्ड एल्युमीनियम स्मेल्टर परियोजना के साथ वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में सबसे बड़े विनिर्माण निवेश के रूप में शीर्ष स्थान पर है। इस परियोजना के तहत कंपनी ओडिशा के ढेंकानाल जिले में कामाख्यानगर के पास 30 लाख टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) क्षमता वाला एल्युमीनियम स्मेल्टर और 4,900 मेगावाट का कैप्टिव पावर प्लांट स्थापित करेगी। यह परियोजना 2 लाख से ज्यादा रोज़गार पैदा करेगी और ऑक्ज़ीलियरी इंडस्ट्रीज़, लॉजिस्टिक्स एवं इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड्स के ज़रिए इस क्षेत्र को एक बड़ा आर्थिक बल प्रदान करेगी।

वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में, प्राइवेट सेक्टर का कुल निवेश ₹3.5 ट्रिलियन रहा, जिसमें विनिर्माण क्षेत्र प्रमुख प्रेरक शक्ति के रूप में उभरा, और सभी नई घोषित परियोजनाओं में से आधे से ज्यादा विनिर्माण से ही आई हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के मुताबिक, इसमें वेदांता का यह खास निवेश भी शामिल है, जो इस तिमाही में सबसे ज्यादा है।

यह युगांतरकारी प्रतिबद्धता भारत को विनिर्माण के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के वेदांता के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को दर्शाती है। यह परियोजना पूरी होने पर दुनिया के सबसे बड़े एल्युमीनियम स्मेल्टरों में से एक होगी और भारत के संसाधनों से समृद्ध ईकोसिस्टम व औद्योगिक धातु क्षेत्र में देश की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में वेदांता के निरंतर विश्वास को प्रकट करती है। वेदांता का ढेंकानाल एल्युमीनियम स्मेल्टर 2 लाख से अधिक रोजगार सृजित करेगा और हजारों सूक्ष्म-लघु-मध्यम उद्योगों के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगा; जिससे ऑटोमोटिव, बिजली, निर्माण और रेलवे जैसे प्रमुख क्षेत्रों को बल मिलेगा।

ऐसे समय में जब वैश्विक प्रतिकूल हालात आर्थिक आशावाद को कम कर रहे हैं, तब भारत का विनिर्माण क्षेत्र दीर्घकालिक विकास और औद्योगिक लचीलेपन के इंजन के रूप में उभर रहा है। प्राइवेट सेक्टर द्वारा संचालित पूंजीगत व्यय -जो अब नई परियोजनाओं की घोषणाओं में प्रमुख भूमिका निभा रहा है- आत्मविश्वास में एक संरचनात्मक बदलाव का संकेत देता है, जहां निर्माता साहसिक और भविष्य-केंद्रित निवेश कर रहे हैं। विनिर्माण-आधारित पूंजीगत व्यय न केवल सकल घरेलू उत्पाद और निर्यात क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि बड़े पैमाने पर रोज़गार भी पैदा करता है, स्थानीय ईकोसिस्टम को मज़बूत करता है और क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करता है। इस तरह का रणनीतिक, मूल्य-सृजनकारी निवेश ही भारत के एक वैश्विक औद्योगिक और आर्थिक महाशक्ति के रूप में उत्थान को परिभाषित करेगा।

इस परियोजना के महत्व पर वेदांता एल्युमीनियम के सीईओ राजीव कुमार ने कहा, ’’ओडिशा में ग्रीनफील्ड एल्युमीनियम स्मेल्टर न केवल एक वैश्विक एल्युमीनियम पावरहाउस के रूप में भारत की स्थिति को मज़बूत करेगा, बल्कि रोज़गार, औद्योगिक नवाचार और सस्टेनेबल वैल्यू चेन के माध्यम से क्षेत्रीय विकास को भी गति देगा। ऐसे समय में जब विनिर्माण-आधारित निवेश भारत के आर्थिक पुनरुत्थान की रीढ़ बन रहे हैं, इस दशक की सबसे बड़ी औद्योगिक प्रतिबद्धताओं में से एक का नेतृत्व करना हमारे लिए गर्व की बात है। हमें ओडिशा के परिवर्तन और वैश्विक विनिर्माण एवं हरित धातु केंद्र बनने की दिशा में भारत की यात्रा में सार्थक योगदान देने पर गर्व है।’’

ढेंकानाल स्थित यह स्मेल्टर, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, नवीकरणीय ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर और रक्षा जैसे क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाले एल्युमीनियम की बढ़ती घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मांग को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कंपनी के सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप, जो 2050 तक या उससे पहले नेट जीरो कार्बन का दर्जा हासिल करने पर केंद्रित है, यह नई फैसिलिटी ऊर्जा उपयोग को अनुकूलित करने और उत्सर्जन को कम करने के लिए उन्नत तकनीकों को एकीकृत करेगी, जिससे कंपनी की ज़िम्मेदार विनिर्माण के लिए प्रतिबद्धता और मज़बूत होगी।

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