वृद्धा की जिद के आगे झुके डॉक्टर: 110 साल की महिला की टूटी हड्‌डी सर्जरी से जोड़ी, डॉक्टरों से बोली- मेरी सेहत का राज ‘दूध-रोटी’

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  • If The Bone Of A 110 year old Woman Was Broken, The Doctors Were Successful In Front Of Her Insistence On Getting Surgery.

इंदौर36 मिनट पहले

मैं नर्मदाबाई। कोई 110 साल पहले मेरा जन्म हुआ था। चार दिन पहले की बात है। मैं घर पर अपना काम कर रही थी। घर में फिसलने से एक हाथ की हड्‌डी टूट गई। बहुत दर्द हुआ। इतना कि कराह भी नहीं पा रही थी। मेरे पोते-पड़पोते मुझे अस्पताल ले गए। डॉक्टरों ने एक्सरे कराया। उसमें मेरे हाथ की हड्‌डी के दो-तीन टुकड़े हो गए थे। डॉक्टर बोले सर्जरी करके हाथ हड्‌डी जोड़ना पड़ेगी। पर उम्र ज्यादा होने के कारण डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया। दूसरे, तीसरे ऐसे काई चार से पांच अस्पताल गए होंगे। पर मेरी उम्र ज्यादा देखकर किसी ने भी ऑपरेशन की हां नहीं की। तब परिवार वालों ने कहा वैसे ही हड्‌डी जुड़ जाएगी। देशी इलाज करवा लेते हैं। लेकिन मैं अड़ी रही। मैंने परिवार से कहा कि मुझे दूसरे अस्पताल ले चलो, मुझे हाथ की हड्‌डी तो जुड़वाना ही है। तब मेरे बच्चे मुझे एक निजी अस्पताल में ले गए। यहां पहले तो डॉक्टरों ने मुझे देखकर प्लास्टर चढ़ाने का कहा। पर मेरी कमजोरी की वजह से हडि्डयों के टुकड़े हो गए थे। इसलिए ऑपरेशन जरूरी था। तब डॉक्टरों ने मेरी शुगर, बीपी के अलावा और भी कई जांचें कराईं। पूरी रिपोर्ट नॉर्मल आई। मेरी नॉर्मल रिपोर्ट देखकर डॉक्टर भी हैरान थे। मैंने उन्हें समझाया मैं कभी शहर में नहीं रही। गांव की साफ आबोहवा में रहती हूं। मैं आज भी अपना काम खुद करती हूं। छोटा-मोटा खेती का काम भी कर लेती हूं। फिर उन्हें भी हिम्मत आई। और वे मेरा ऑपरेशन करने के लिए तैयार हो गए।

110 वर्ष की उम्र में भी जीने का ऐसा हौंसला।

110 वर्ष की उम्र में भी जीने का ऐसा हौंसला।

जीने की चाह के साथ हौंसला हो तो हर उम्र में जिंदगी की जंग को जीता जा सकता है। यह चरितार्थ किया है 110 वर्षीय वृद्धा ने। इतनी उम्र के बाद शरीर भले ही कमजोर दिखे लेकिन उनके हाथ की हड्‌डी टूटी तो सर्जरी ही आखिरी रास्ता था। डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए कि इस उम्र में ये मुमकिन नहीं। लेकिन वृद्धा अपनी जिद पर अड़ी रही। वह तब तक अस्पताल-डॉक्टर बदलती रही, जब तक डॉक्टरों ने सर्जरी के लिए हां नहीं की। …और आखिरकार वृद्धा की सर्जरी हुई, हड्‌डी भी जुड़ गई। जिद जीती। अब वृद्धा पूरी तरह स्वस्थ है। उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। 20 दिन बाद फॉलोअप के लिए बुलाया गया है।

पहले जान लीजिए महिला के बारे में

110 साल की नर्मदाबाई डांगी इंदौर के पास डबलचौकी में रहती हैं। रविवार को उनका घर में ही पैर फिसल गया। जिससे उनके हाथ में बहुत दर्द होने लगा। हाथ उठ नहीं रहा था। एक के बाद एक तीन अस्पतालों में दिखाया। लेकिन किसी ने हां नहीं की। नर्मदाबाई की जिद थी, कैसे भी हो हाथ की हड्‌डी जुड़वाना ही है। इस जिद के आगे परिजन झुके और उन्हें इंदौर के एक निजी अस्पताल ले गए। यहां सुपरिटेंडेंट व आर्थोपेडिक सर्जन लेफ्टिनेंट कर्नल डॉ. अजय सिंह ठाकुर, एचओडी डॉ. संगीता बंसल की टीम ने सारी जांच रिपोर्ट आने के बाद उसका ऑपरेशन किया।

अब जानिए डॉक्टरों के सामने नर्मदाबाई की उम्र के अलावा और क्या थी चुनौतियां

कर्नल डॉ. अजय सिंह ठाकुर ने बताया कि वृद्धा के बाएं हाथ की मुख्य हड्डी में फ्रैक्चर था। उम्रदराज होने के कारण ऑपरेशन करना भी मुश्किल था लेकिन हमारी टीम ने सबसे कम समय में कम ब्लड लॅास के साथ नए मॉड्युलर ओटी में हाइटेक तकनीक से ऑपरेशन किया। उन्होंने बताया कि आमतौर पर इस उम्र के लोगों को शुगर, ब्लड प्रेशर सहित कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं लेकिन नर्मदाबाई की 110 वर्ष उम्र होने के बाद भी सभी टेस्ट सामान्य रहे। इसके चलते डॉक्टरों का भी काम आसान हुआ। हालांकि ज्यादा ब्लड लॉस होने की स्थिति में उनके हार्ट पर प्रेशर आने का खतरा था, लेकिन टीम ने ज्यादा ब्लड लॉस ही नहीं होने दिया।

दो दिन तक टीम ने की ऑपरेशन की तैयारी

एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ. संगीता बंसल (अग्रवाल) ने बताया कि हड्डी फ्रेक्चर होने तथा उम्रदराज होने के कारण का ऑपरेशन करने का फैसला काफी मुश्किल रहा। एनेस्थीसिया विभाग और डॉक्टरों की पूरी टीम ने दो दिनों तक तैयारी की। आमतौर पर इस उम्र में शरीर के दिल, फेफड़े और काफी हिस्से कमजोर हो जाते हैं। इस उम्र में ऑपरेशन के पहले मरीज को एनेस्थीसिया बेहोशी की दवा की सही मात्रा में देना सबसे मुश्किल टास्क होता है। इस उम्र में इसके दुष्प्रभाव भी जल्द हो सकते हैं लेकिऩ टीम ने इस मुश्किल टास्क को पूरा किया। वृद्धा को दो दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। 20 दिन बाद फॉलोअप के लिए उन्हें फिर बुलाया है। अस्पताल के चेयरमैन सुरेशसिंह भदौरिया, वाइस चेयरमेन मयंकराज सिंह भदौरिया, डायरेक्टर आरएस राणावत, एडिशनल डायरेक्टर आरसी यादव और डीन डॉ. जीएस पटेल ने टीम और वृद्धा की हौंसला अफजाई की है।

अस्पताल के दस्तावेज में लिखी है 110 वर्ष की उम्र।

अस्पताल के दस्तावेज में लिखी है 110 वर्ष की उम्र।

परिजन बोले डॅाक्टरों की टीम पर भरोसा था

वृद्धा के पड़पोते रणजीत सिंह डांगी ने बताया कि परदादी 110 वर्ष होने के बावजूद घर में अच्छे से चलती-फिरती हैं। अपने हाथों से ही अपना पूरा काम करती हैं। रविवार को घर में पैर फिसलने से हाथ फ्रेक्चर हो गया था। इस कारण उन्हें काफी दर्द हो रहा था। कई डॉक्टरों ने इस उम्र में उनका ऑपरेशन करने से मना कर दिया था। हमें डॉक्टरों पर भी भरोसा था।

सबसे बड़े बेटे की उम्र 80 वर्ष

आधार काड अब गलत लिखी हुई उम्र को ठीक कराएंगे पड़पोते

आधार काड अब गलत लिखी हुई उम्र को ठीक कराएंगे पड़पोते

रणजीत ने बताया कि परदादी ऑपरेशन के बाद अच्छी है। उनकी उम्र 110 साल है। आधार का़र्ड पर उनकी जन्म तिथि 1934 लिखी हुई है जो गलत है। हम खेतीबाडी में व्यस्तता के कारण उनकी उम्र को ठीक नहीं कर सके। परदादी के जन्म के दौरान उस जमाने में जन्म प्रमाण पत्र जैसे कोई दस्तावेज नहीं हुआ करते थे। तब गांवों में जन्म तारीख को याद रखकर ही उम्र बताई जाती है। परदादा का भी निधन 38 साल पहले हो चुका है। परदादी के चार बेटे व चार बेटियां हैं। इनमें से सबसे बड़े बेटे की उम्र 80 वर्ष थी। बड़े बेटे व दो बेटियों का भी निधन हो चुका है। परदादी की करीब 40 नाती, पोती, परनाती, पर पोती है। बकौल रणजीत अब तो पोता खुद दादा बन गया है। उनकी उन्र 110 ही है, ऐसा परिवार का दावा है।

सालों से दूध-रोटी उनका खास भोजन

परदादी की इतनी उम्र में भी स्वस्थ रहने को लेकर परिजन ने बताया कि परिवार की बारोली में पुश्तैनी खेती है और आज भी यही क्रम चल रहा है। परदादी शुरू से ही घर के काम में फुर्तीली रही है। उनका पूरा जीवन गांव में ही रहा? वह सालों से दूध-रोटी का सेवन करती है। इसके अलावा अन्य सब्जी-रोटी भी खाती है लेकिन दूध-रोटी उनकी प्रिय चीज है। वह घर में चलती-फिरती है लेकिन अब परिजन को उनका हाथ पकड़ना पड़ता है। हाल ही में जो हादसा हुआ था वह उनके चढ़ाव से पैर फिसलने से हुआ था। वह सबकुछ बोल लेती है और समझती है।

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