रीवा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का नया कीर्तिमान: मरीज के हृदय की पंपिंग सिर्फ 25 प्रतिशत, इलेक्ट्रिक वायरिंग में भी आ गई थी डिफेक्ट, चिकित्सकों ने लाट CRT डिवाइस इम्प्लांट किए

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रीवा6 घंटे पहले
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रीवा श्याम शाह मेडिकल कॉलेज से संबद्ध सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के हृदय रोग विभाग ने अनोखा ऑपरेशन किया है। बताया गया कि एक मरीज के हृदय की पंपिग सिर्फ 25 प्रतिशत हो रही थी। साथ ही इलेक्ट्रिक वायरिंग में भी डिफेक्ट आ गई थी। ऐसे में रीवा के चिकित्सकों ने लाट सीआरटी डिवाइस इम्प्लांट कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
दावा है कि रीवा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल मध्यप्रदेश का प्रथम हृदय रोग संस्थान बन गया है। जिसने डिवाइस इंम्प्लांट करने में सफलता पाई है। यह एक जटिल प्रक्रिया है। जिसे सुपर स्पेशलिटी चिकित्सालय के कार्डियोलॉजी विभाग में सह प्राध्यापक डॉ. एसके त्रिपाठी ने जयपुर के इलेक्ट्रो फिजियोलॉजिस्ट डॉ. कुश भगत के प्रॉक्टरशिप और कैथलैब स्टाफ जय नारायण मिश्रा, सत्यम शर्मा, मनीष एवं नर्सिंग स्टाफ आकांक्षा के सहयोग से सफलता पूर्वक संपन्न किया।
सांस फूलने की शिकायत लेकर आया था मरीज
चिकित्सा सूत्रों की मानें तो हार्ट फेलियर की मरीज डॉ. एसके त्रिपाठी के पास सांस फूलने और जल्दी थक जाने की शिकायत लेकर आई थी। जांच में पता चला की मरीज के हृदय की पंपिग सिर्फ 25 प्रतिशत थी। हृदय की ईलेक्ट्रिकल वायरिंग में भी डिपेक्ट था। इसके लिए मरीज को सारी आवश्यक दवाईयां दी गई, पर उन्हें पूरा आराम नहीं मिला।
कृत्रिम तरीके से धड़कन उत्पन्न करती है डिवाइस
इस स्थिति में लाट सीआरटी डिवाइस लगने से मरीज की इलेक्ट्रिकल वायरिंग की समस्या दूर हुई। साथ ही समय के साथ हृदय ठीक होता जायेगा। यह डिवाइस हृदय में कृत्रिम तरीके से धड़कन उत्पन्न करने वाली जटिलतम डिवाइस कॉलर बोन के नीचे एक पॉकेट बनाकर इम्प्लांट की जाती है। जिससे निकलने वाली इलेक्ट्रिकल वायर हृदय के तीन अलग- अलग हिस्सों को स्टिमुलेट करते हैं। जिससे हृदय सुचारू रूप से अपना काम कर सके।
सही योजना प्लानिंग, टेक्निकल सहयोग से मिली सफलता
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अक्षय श्रीवास्तव ने बताया कि जटिल प्रक्रिया प्रदेश में पहली बार रीवा सुपरस्पेशलिटी चिकित्सालय रीवा में होनी थी। इसलिए सब कुछ सही करने का दबाव भी था। सही योजना प्लानिंग, टेक्निकल सहयोग और जयपुर ईएचसीसी के डॉ. कुश भगत की प्रॉक्टरशिप में डॉ. एसके त्रिपाठी ने फिर से यह कारनाम कर दिखाया और रीवा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल रीवा को प्रदेश का पहला ऐसा केन्द्र बना दिया। जिसमें यह प्रक्रिया संभव हो पायी।
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