विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे का इंटरव्यू: विश्वरंग भारतीय भाषाओं को वैश्विक मंच प्रदान करने के साथ ही भारतीय संस्कृति का दर्पण भी बन रहा, इससे 50 देश जुड़े

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- Apart From Providing A Global Platform To Indian Languages, Vishwarang Is Also Becoming A Mirror Of Indian Culture, Connecting 50 Countries To It.
भोपाल40 मिनट पहले
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संतोष चौबे, विश्वरंग के निदेशक
विश्वरंग एक ऐसा उत्सव है जो हिंदी और भारतीय भाषा के माध्यम से पूरे विश्व को एक सूत्र में पिरोने का काम कर रहा है। कोविड के कठिन समय में भी 2020 में विश्वरंग का आयोजन हुआ। यह टेक्नोलॉजी बेस्ड आयोजन था। अलग-अलग देशों में प्रोग्राम हुए और उन्हें शूट किया गया, उन्हें सोशल नेटवर्किंस साइट्स पर अपलोड किए, उन्हें डेढ़ करोड़ लोगों ने देखे। इससे टेक्नोलॉजी की ताकत भी पहचान में आई। 2021 में इसका आयोजन मिक्स्ड मोड में आयोजन किया गया।
इस दौरान हमने अपनी क्षमताएं भी बढ़ाईं। हिंदी में संभावनाएं बहुत हैं। इसलिए विश्वरंग से प्रवासी भारतीय ही नहीं विदेशी इससे जुड़े हैं। इस बार इसका चौथा संस्करण टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य एंव कला महोत्व “विश्वरंग 2022” 14 से 20 नवंबर तक आयोजित होने जा रहा है। शुरुआत 11 देशों से हुई अब 50 देश विश्वरंग से जुड़ चुके हैं। यह भारतीय भाषाओं को वैश्विक मंच प्रदान करने के साथ ही भारतीय संस्कृति का दर्पण भी बन रहा है। यह सिलसिला लगातार जारी है। यह कहना है रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे का, उन्होंने दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत की, उनके मुख्यांश…
विश्वरंग का विचार किस प्रकार आया और कैसे इस महोत्सव ने इतना बड़ा आकार लिया?
– विश्वरंग का यह चौथा संस्करण है। 2019 में इसकी शुरुआत हुई थी। इससे पहले हमारी संस्थाएं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और वनमाली सृजन पीठ पिछले 30 सालों से साहित्य कला और संस्कृति के क्षेत्र में सक्रीय हैं। 2019 तक आते-आते हमे ऐसा अहसास हुआ कि अब समय आ चुका है कि हिंदी और भारतीय भाषाओं को वैश्विक स्वरूप गृहण करना चाहिए। टेक्नोलॉजी ने भी आज संप्रेषण और प्रसार आसान कर दिया है।
हमारे यहां हिंदी का जो संसार है, उसके अंदर भले बहुत सारे मतभेद हैं, लेकिन भाषा सबकी एक ही है। इसी एकता में भाषा को वैश्विक बनाने की संभावना है। आज भी भारत आर्थिक ताकत के रूप में उभर रहा है इसलिए यह समय मतभेदों को भुलाकर अपनी भाषा को मजबूत करने का समय है। भाषा से ही संस्कृति भी है। यदि हम भाषा ही छोड़ देंगे तो संस्कृति भी हम धीरे-धीरे खो देंगे। यहीं से इस अंतरराष्ट्रीय महोत्सव का विचार आया।
पिछले वर्षों की अपेक्षा विश्वरंग 2022 आपकी नजर में किस प्रकार खास है?
– वर्ष 2019 में विश्वरंग का आयोजन पूरी तरह ऑफलाइन था। इसके बाद 2020 में कोविड के चलते हमने इस महोत्सव को ऑनलाइन आयोजित किया। 2021 में यह ऑनलाइन-ऑफलाइन के हाइब्रिड फॉर्मेट में आयोजित हुआ। इस वर्ष विश्वरंग पूरी तरह ऑफलाइन आयोजित हो रहा है। यह एक प्रकार से कोविड के समय से बाहर आने को भी दर्शाता है। इसके अतिरिक्त विश्वरंग को 14 से 16 नवंबर तक कला महोत्सव के रूप में और 17 से 20 नवंबर तक विश्वरंग के मुख्य समारोह को साहित्य महोत्सव के रूप में आयोजित किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त “आदिवासी साहित्य एवं कला महोत्सव” और “गेट सेट पेरेंट चिल्ड्रंस लिटरेचर, आर्ट एंड म्यूजिक फेस्टिवल” इसके नए और विशेष आकर्षण हैं जिनका 18 से 20 नवंबर तक आयोजन होगा। विश्वरंग में इस बार साहित्य के सत्रों में समकालीन विषयों जैसे – स्टार्टअप, नई शिक्षा नीति, वेबसीरीज, ओटीटी प्लेटफॉर्म, खानपान इत्यादि पर भी चर्चाएं होंगी।
विश्वरंग में कौन से प्रमुख कार्यक्रम होंगे और कौन-कौन प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल होंगे ?
विश्वरंग में प्रतिदिन शाम को सांस्कृतिक गतिविधियां होंगी जिसमें देश के प्रख्यात कलाकार शामिल होंगे। इसमें शास्त्रीय गायिका कौशिकी चक्रवर्ती, श्रीराम भारतीय कला केंद्र द्वारा रामायण मंचन, पूर्वा नरेश के समूह द्वारा नाटक, बॉलीवुड सिंगर पापोन, शिल्पा राव, मैथिली ठाकुर द्वारा प्रस्तुतियां होंगी। इसके अलावा विभिन्न विषयों पर चर्चा सत्र हैं जिनमें सिनेमा पर विशाल भारद्वाज, मनोज पाहवा, रसिका दुग्गल जैसे प्रतिष्ठित नाम शामिल हो रहे हैं।
युवाओं को ध्यान में रखते हुए कई सत्रों का आयोजन किया जा रहा है जिसमें स्टार्टअप को लेकर अशनीर ग्रोवर से बात होगी। वेबसीरीज और ओटीटी को लेकर बिस्वपति सरकार और दुर्गेश सिंह से चर्चा होगी। चिल्ड्रंस फेस्ट के अंतर्गत बच्चों के लिए भी कई आकर्षण हैं जिनमें स्टोरीटेलर विक्रम श्रीधर, अमर चित्रकथा की सीईओ प्रीति व्यास, लेखिका सौम्या राजेंद्रन के चर्चा सत्र होंगे। इसके अलावा 100 से अधिक साहित्यकार “लेखक से मिलिए”, “प्रवासी साहित्यकारों के सत्र”, “दिव्यांग लेखकों का कविता पाठ”, “विश्व कविता” इत्यादि सत्र में शामिल होंगे। समारोह में सभी के लिए प्रवेश निशुल्क है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन www.vishwarang.com पर जारी हैं।
विदेशों में विश्वरंग का क्या प्रभाव है? एनआरआई और विदेशी लेखक इससे किस प्रकार जुड़े?
विश्वरंग की शुरुआत में हमे अद्भुत अनुभव प्राप्त हुए। अमेरिका, यूके, यूरोप, एशिया पेसेफिक, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में ऐसे समूह बन चुके हैं जो हिंदी के लिए कार्य कर रहे हैं। इसमें एनआरआई और विदेशी दोनों तरह के लोग हैं। विश्वरंग की जानकारी विदेशों में पहुंची तो बड़ा बदलाव प्रवासी भारतीयों में भी दिखा है।
प्रवासी भारतीय स्वयं इस महोत्सव से जुड़े ताकि उनके बच्चे अपने देश और भारतीय भाषा से जुड़ सकें। यह विश्वरंग उनसे जुड़ने का रास्ता खोल रहा है। और यह आंकड़ा विश्वरंग की सफलता बताता है कि 50 देश इससे जुड़ चुके हैं और अपने देशों में विश्वरंग के अंतर्गत अलग-अलग स्वरूपों में कई कार्यक्रम का आयोजन करते हैं।
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