लटेरी गोली कांड मामला: गलत पते पर भेज दिया पत्र, तीन महीने बाद भी जांच शुरू नहीं हुई

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भोपाल33 मिनट पहले

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विदिशा के लटेरी गोली कांड को लगभग तीन माह पूरे हो चुके हैं, लेकिन अभी तक इसकी न्यायिक जांच शुरू ही नहीं हो सकी है। - Dainik Bhaskar

विदिशा के लटेरी गोली कांड को लगभग तीन माह पूरे हो चुके हैं, लेकिन अभी तक इसकी न्यायिक जांच शुरू ही नहीं हो सकी है।

विदिशा के लटेरी गोली कांड को लगभग तीन माह पूरे हो चुके हैं, लेकिन अभी तक इसकी न्यायिक जांच शुरू ही नहीं हो सकी है। इस मामले में हत्या के आरोप में गिरफ्तारी के बाद निलंबित हुए डिप्टी रेंजर को भी अब बहाल कर दिया गया है। लेकिन मामले की न्यायिक जांच के लिए गठित आयोग के अध्यक्ष जस्टिस वीपीएस चौहान के कार्यभार ग्रहण करने के बारे में विभागीय अधिकारियों को जानकारी ही नहीं हैं।

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 23 अगस्त को इस घटना की जांच लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस वीपीएस चौहान की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग के गठन की अधिसूचना जारी की थी। सूत्रों के मुताबिक सामान्य प्रशासन विभाग ने जस्टिस चौहान को इसकी विधिवत सूचना देने के लिए जो पत्र भेजा था, उसे किसी गलत एड्रेस पर पोस्ट कर दिया गया। लटेरी का पता लिखकर भेजा गया यह पत्र एक माह बाद वन विभाग के लटेरी रेंज ऑफिस में जाकर रिसीव हुआ।

जस्टिस चौहान का पता उपलब्ध नहीं होने पर इस पत्र को वापस वल्लभ भवन के जीएडी ऑफिस लौटा दिया गया। गलत पते की इस गफलत के कारण जस्टिस चौहान को जीएडी का पत्र दो माह बाद भी नहीं मिल सका, इस कारण उन्होंने कार्यभार ही ग्रहण नहीं किया।

अधिसूचना जारी होने के तीन महीने के भीतर आयोग को अपनी जांच पूरी कर सरकार को रिपोर्ट सौंपनी थी। जांच अवधि पूरी होने में अब सिर्फ 18 दिन ही शेष हैं। लेकिन हकीकत यह है कि अभी तक किसी भी संबंधित और आरोपी वनकर्मियों को समन सूचना तक जारी नहीं हो सकी है। न्यायिक जांच आयोग गठित होने के कारण इस मामले की रूटीन मजिस्ट्रियल जांच भी नहीं हो सकी।

क्या है मामला : फायरिंग में हुई थी तस्कर की मौत
लटेरी के जंगलों में 9 अगस्त की रात को सागौन तस्कर और वन विभाग का गश्ती दल का आसमान सामना हुआ, इसमें हुई फायरिंग में एक आदिवासी युवक चैनसिंह की मौत हो गई थी। इसके बाद डिप्टी रेंजर निर्मल कुमार अहिरवार पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। जबकि तत्कालीन डीएफओ राजवीर सिंह को हटाकर मुख्यालय अटैच किया गया था। सरकार के मृतक के परिवार को 20 लाख और घायलों को 5-5 लाख का मुआवजा देकर वन अफसरों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। इससे खफा होकर प्रदेशभर में वन अमले ने सरकार को अपनी बंदूकें लौटा रखी हैं।

इन बिंदुओं पर जांच

  • वे परिस्थितियां जिसमें घटना हुई?
  • क्या वनकर्मियों द्वारा, जो बल प्रयोग किया गया, वह परिस्थितियों को देखते हुए उपयुक्त था या नहीं? यदि नहीं, तो दोषी कौन?
  • भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए जरूरी सुझाव
  • ऐसे अन्य विषय, जो जांच के अधीन मामले में आवश्यक या आनुषांगिक समझे जाएं।

लटेरी कांड की अभी तक न्यायिक जांच शुरू नहीं हुई है। जांच आयोग के कार्यभार ग्रहण करने के बारे में भी हमें कोई जानकारी नहीं हैं। जांच शुरू नहीं होने से विभागीय अधिकारी दुविधा में हैं, पूरा वन अमला नर्वस है, क्योंकि जांच में जितनी देरी होगी, उतना ही साक्ष्य प्रभावित होने से न्याय भी प्रभावित होगा।’ – ओमकार सिंह मर्सकोले, विदिशा डीएफओ

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