वर्ल्ड डायबिटीज डे पर अश्वमेघ से देंगे विजय का संदेश: हर 5 सेकण्ड में डायबिटीज से एक मौत; 50% को नहीं पता उन्हें शुगर की बीमारी है

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इंदौर12 मिनट पहले
दुनिया में हर 5 सेकंड में एक व्यक्ति की डायबिटीज के कारण अपनी मौत होती है। प्रत्येक 70 सेकंड में पैरों (डायबिटीज फुट) में होने वाली बीमारी गैंगरीन के चलते एक टांग काटना पड़ती है। दुनिया भर के डायबिटीज के पेशेंट्स को एक जगह इकट्ठा किया जाए तो यह आंकड़ा विश्व के तीसरे देश की आबादी के बराबर होगा। इससे बड़ी बात यह है कि 50% से 70% लोगों को यह नहीं मालूम कि उन्हें डायबिटीज है। अंधेपन, लकवे, ह्रदयाघात के सबसे अधिक मामले डायबिटीज की देन हैं। पिछले साल दुनिया भर में डायबिटीज के कारण 67 लाख लोगों की मौत हुई है जो 2020 की तुलना में 22 लाख ज्यादा (45 लाख) है। एक अनुमान के अनुसार डायबिटीज की बीमारी के इलाज में पिछले वर्ष 800 बिलियन डॉलर्स खर्च हुए हैं।

डायबिटीज के बचाव की जानकारी देते डॉ. जुल्का।
इन चौंका देने वाले आंकड़ों की जानकारी एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. संदीप जुल्का ने मीडिया को दी। डॉ. जुल्का द्वारा पिछले 15 सालों से ‘वर्ल्ड डायबिटीज डे’ पर पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस साल आमजन में जागरूकता फैलाने के लिए फोरम फॉर डायबिटीज अवेयरनेस, रेडिएंस क्लिनिक, मधुमेह चौपाल और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मिलकर दो अश्वमेघ रथ तैयार किए हैं, जो शहर के प्रमुख हिस्सों से गुजरेंगे। ये अश्व मेघ जहां जहां रुकेंगे, वहां हमारी ट्रेंड टेक्निकल टीम आम नागरिकों की रैंडम ब्लड शुगर की जांच फ्री में करेगी और उनसे संवाद कर डायबिटीज के बारे में बताएगी। ये दोनों रथ 14 नवम्बर की सुबह 9 बजे 56 दुकान, पलासिया से रवाना होंगे जो शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरेगी। इसमें एक रथ राजवाडा पर और दूसरा नवलखा चौराहे पर शाम 7 बजे रुकेगा।
अश्व मेघ के जरिए इसलिए किया जाएगा जागरूक
डॉ. जुल्का और उनकी टीम हर साल इस अभियान में वॉक फॉर डायबिटीज, ब्लड शुगर स्क्रीनिंग, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सेमिनार आदि का आयोजन करती है लेकिन इस बार अश्व मेघ के जरिए जागरूकता का संदेश दिया जाएगा। दरअसल जिस तरह पुराने जमाने में अश्व मेघ यज्ञ होता था। इसमें राजा अपना अश्व छोड़ता था और वह जहां-जहां जाता था वह उसकी जमीन हो जाती थी। इसी कड़ी में यह अनूठा अभियान चलाया जाएगा।
परहेज से जिया जा सकता है सामान्य जीवन
बीते सालों में इन टीमों ने शहर के मुख्य मजदूर चौक, बगीचों, पुलिसकर्मियों को मिलाकर 6 हजार रैंडम ब्लड शुगर की जांच फ्री में की है। इनमें करीब 20% को डायबिटीज और इतने ही लोगों को प्री डायबिटीज निकली है, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आंकड़ों के समान है और चिंता की बात है। डॉ. जुल्का ने बताया कि डायबिटीज से डरने के बजाय इससे जितना संभव हो, बचाव करना ही बेहतर इलाज है। इसके बावजूद भी यदि किन्हीं कारणों से डायबिटीज की चपेट में आ ही जाएं तो उचित उपचार और परहेज कर सामान्य जीवन जिया जा सकता है।

डायबिटीज को लेकर ये जरूरी बातें
– डायबिटीज मल्टी फैक्टोरियल है जैसे अनुवांशिक है। अगर माता-पिता को डायबिटीज है तो 50% डायबिटीज होने की आशंका बढ़ जाती है।
– शुगर होने से पहले उसे कितना डिले किया जा सकता है, यह स्वयं पर निर्भर है। इसमें व्यायाम करना, खाने-पीने पर ध्यान, तनावमुक्त जीवन हो तो डायबिटीज देर से होती है और अगर होती भी है तो उसे रिवर्स किया जा सकता है।
– दूसरी ओर माता-पिता को डायबिटीज है और तुम खुद खाने-पीने पर नियंत्रण नहीं कर रहे हैं जिसमें जटिल कॉर्बोहाइडेड यूज कर रहे हैं तो डायबिटीज होना तय है। इसे फिर रिवर्स नहीं किया जा सकता।
– अच्छा लाइफ स्टाइल, पॉजिटिव थीकिंग, रोजाना कसरत, संतुलित आहार हो तो डायबिटीज से बचा जा सकता है।
– 2010 से इंदौर में 14 से 15 के बच्चों में टाइप-2 के डायबिटीज मिलना शुरू हुई है जो अब बढ़ती जा रही है।
डायबिटीज को लेकर यह मूल मंत्र ध्यान रखें
अगर डायबिटीज है तो चार चीजों में समन्वय जरूरी है। पहला डॉक्टर जानकार हो, दूसरा पेशेंट समझदार हो यानी जो डॉक्टर कहे उसे फॉलो करें, तीसरा दवाई कारगर हो और चौथा उसके रिश्तेदार समझदार हो तो डायबिटीज ही नहीं बल्कि हर बीमारी का इलाज अच्छा होता है। यदि किसी को डायबिटीज है तो उसे यह ध्यान रखना है कि समय पर दवाइयां लें। अगर कोई व्यक्ति बहुत मोटा है और उसने 10% से 20% वजन कम किया है तो भी डायबिटीज रिवर्स होती है। शुरुआती दिनों में इसे रिवर्स किया जा सकता है।
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