वन विहार की सबसे यंग शेरनी के 30दिन बाद दीदार: ढाई साल की ‘गंगा’ क्वारेंटाइन रहेगी; फिर बाड़े में छोड़ेंगे

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भोपाल32 मिनट पहले

भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क की सबसे यंग शेरनी ‘गंगा’ के 30 दिन बाद टूरिस्ट दीदार कर सकेंगे। इंदौर के चिड़ियाघर से लाने के बाद वह क्वारेंटाइन है और सहमी हुई है। डॉक्टरों की टीम CCTV कैमरों की मदद से निगरानी कर रही है। ‘गंगा’ के आने के बाद वन विहार में कुल 3 शेर हो गए हैं। इनमें से दो एक ही मां की संतान हैं। ऐसे में इंदौर से आई ‘गंगा’ यहां शेरों का कुनबा बढ़ाएगी। टूरिस्ट लंबे अरसे के बाद यंग सिंह यानी शेरनी को बाड़े में चहल-कदमी करते हुए देख सकेंगे।

बता दें, शेरनी को शनिवार देर रात ही वन विहार में लाया गया था। रविवार को वह क्वारेंटाइन सेंटर में रही। उस पर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। सोमवार को भी उसे क्वारेंटाइन ही रखा जाएगा। डिप्टी डायरेक्टर सुनील सिन्हा ने बताया कि डॉक्टरों की निगरानी में ‘गंगा’ को रखा गया है। एक महीने तक क्वारेंटाइन सेंटर में रखेंगे। इसके बाद ही बाड़े में छोड़ेंगे।

पहली बार ब्रीडिंग से बढ़ेगा कुनबा
ढाई साल की शेरनी के आने के बाद वन विहार नेशनल पार्क में शेरों का कुनबा बढ़ाया जाएगा। अभी वन विहार में दो सिंह है। इनमें से एक नर सिंह ‘सत्या’ है। वहीं, एक मादा सिंह ‘नंदी’ भी है। सत्या और नंदी एक ही मां की संतान है। इसलिए इनके बीच ब्रीडिंग नहीं कराई जा सकती, क्योंकि ऐसा होने से कई तरह की आनुवांशिक बीमारियां होने का खतरा रहता है। इसलिए सत्या और गंगा के बीच ब्रीडिंग कराई जाएगी। हालांकि, गंगा और सत्या में उम्र का बड़ा अंतर है। सत्या की उम्र 8 से 10 साल बताई जा रही है, जबकि गंगा सिर्फ ढाई साल की है।

वन विहार में सबसे ज्यादा चीतल, बाघों की संख्या 13
वन विहार में बाड़े और खुले में रहने वाले जानवरों की संख्या 16 सौ से ज्यादा है। इनमें सबसे ज्यादा संख्या चीतल की 522 है। वहीं, सांभर 362, मोर 257 है। इसी तरह बाघ 12, सफेद बाघ एक, तेंदुआ 10, भालू 20, हायना एक, मगर 13, बायसन 2, पहाड़ी कछुआ 28, जलीय कछुआ 33, घड़ियाल 6 है। वहीं, नीलगाय 81, जंगली सुअर 90, सियार 51, लंगूर 60, काला हिरण 71, चौसिंगा 3, सेही 3, बारासिंगाा 11, जंगली बिल्ली 3, चिंकारा और पेंगोलिन एक-एक है।

बता दें कि वन विहार में तीन साल के भीतर जानवरों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। चीतल अधिक पाए जाने के कारण मंदसौर के गांधी सागर अभयारण्य और देवास के खिवनी अभयारण्य में ट्रांसफर किए जा चुके हैं।

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