Chhattisgarh

लापरवाही से विद्युत पोल क्षतिग्रस्त करने पर चालक दोषसिद्ध, 6 हजार जुर्माना और 22 हजार क्षतिपूर्ति का आदेश

कोरबा। विशेष न्यायाधीश (विद्युत अधिनियम, 2003) कोरबा की अदालत ने ट्रेलर वाहन से विद्युत पोल क्षतिग्रस्त करने के मामले में आरोपी चालक को दोषी ठहराया है। न्यायालय ने आरोपी को कुल 6,000 रुपये के अर्थदंड के साथ विद्युत विभाग को 22,000 रुपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है।

प्रकरण के अनुसार छत्तीसगढ़ शासन की ओर से थाना पाली द्वारा प्रस्तुत विशेष प्रकरण (विद्युत) क्रमांक 104/2025 में अभियुक्त अंग्रेज सिंह, पिता गुरबक्श सिंह, उम्र 34 वर्ष, निवासी चौमा, थाना डबरा, जिला ग्वालियर (म.प्र.) के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 281 एवं विद्युत अधिनियम की धारा 139 के अंतर्गत अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया था।

अभियोजन के अनुसार दिनांक 10 जून 2025 को प्रातः लगभग 9 बजे ग्राम ढुकूपथरा के पास ट्रेलर वाहन क्रमांक CG10 BX 5236 को लापरवाहीपूर्वक चलाते हुए अभियुक्त ने विद्युत वितरण कंपनी के एक विद्युत पोल को टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया। इस घटना से लगभग 12 घरों की विद्युत आपूर्ति बाधित हुई तथा छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी को करीब 22,000 रुपये की आर्थिक क्षति हुई।

थाना पाली में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद विवेचना उपरांत मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। सुनवाई के दौरान अभियुक्त ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को स्वेच्छा से स्वीकार कर लिया तथा प्रकरण के संक्षिप्त विचारण का अनुरोध किया। विद्युत अधिनियम की धारा 154(5) के तहत संक्षिप्त विचारण करते हुए न्यायालय ने अभियुक्त को दोषसिद्ध माना।

दोषसिद्धि के पश्चात न्यायालय ने अभियुक्त को भारतीय न्याय संहिता की धारा 281 के अंतर्गत 1,000 रुपये के अर्थदंड तथा उसके व्यतिक्रम में एक माह के साधारण कारावास, वहीं विद्युत अधिनियम की धारा 139 के अंतर्गत 5,000 रुपये के अर्थदंड एवं उसके व्यतिक्रम में दो माह के साधारण कारावास से दंडित किया।

इसके अतिरिक्त न्यायालय ने विद्युत अधिनियम की धारा 154(5) के अंतर्गत सिविल दायित्व निर्धारित करते हुए अभियुक्त से 22,000 रुपये की क्षतिपूर्ति राशि वसूल कर छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी को प्रदान करने का आदेश दिया। साथ ही प्रकरण के निराकरण के पश्चात ट्रेलर वाहन एवं उसके दस्तावेज पंजीकृत स्वामी को सुपुर्द करने हेतु थाना प्रभारी पाली को निर्देश जारी किए गए।

यह निर्णय 23 दिसंबर 2025 को विशेष न्यायाधीश एस. शर्मा द्वारा खुले न्यायालय में सुनाया गया।

Related Articles

Back to top button