लक्ष्मीजी के प्रिय पुष्प कमल की डिमांड: उत्तरप्रदेश-पश्चिम बंगाल तक सप्लाई, भोपाल में 15 से 20 रुपए में मिल रहा

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भोपालएक घंटा पहले

दिवाली पर पूजा के लिए धन-धान्य की देवी मां लक्ष्मी के प्रिय पुष्प कमल की डिमांड बढ़ गई है। राजधानी में यह 15 से 20 रुपए में बिक रहा है। लहारपुर, भोजपुर रोड और चिकलोद के तालाबों से कमल मार्केट में पहुंच रहा है। यहां से प्रदेश के दूसरे बड़े शहरों और पश्चिम बंगाल तक सप्लाई किया जा रहा है।

कारोबारियों की मानें तो भोपाल में करीब 15 लाख कमल के फूलों की खपत होगी। यानी, दिवाली पूजा में भक्त लक्ष्मीजी को इतने फूल चढ़ाएंगे। इसके लिए दो दिन पहले से कमल मार्केट में पहुंच गया है। चिकलोद, लहारपुर और भोजपुर में बड़े पैमाने पर कमल की खेती होती है। यहां थोक में 8 से 10 रुपए में एक फूल मिल रहा है, जबकि रिटेल में कीमत 20 रुपए से ज्यादा है।

भोपाल के लहारपुर में कमल के फूलों की बड़े पैमाने पर खेती हो रही है। यहां से भोपाल के अलावा अन्य शहरों में भी कमल भेजा जा रहा है।

भोपाल के लहारपुर में कमल के फूलों की बड़े पैमाने पर खेती हो रही है। यहां से भोपाल के अलावा अन्य शहरों में भी कमल भेजा जा रहा है।

गुलाबी कमल की ज्यादा डिमांड
लहारपुर में कमल फूल की खेती करने वाले बृजेश रैकवार ने बताया कि लहारपुर में 6 से 7 हेक्टेयर क्षेत्र में तालाब है। जहां कमल की खेती कर रहे हैं। यहां से कमल की शहर में तो सप्लाई होती ही है, इंदौर-उज्जैन समेत उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी कमल भेजते हैं। यहां गुलाबी रंग के कमल की पैदावार होती है। कुल 18 में से गुलाबी रंग की वैरायटी अच्छी मानी जाती है। यह 5 से 8 दिन तक बेहतर स्थिति में होता है।

फूल तोड़ने के लिए 4 घंटे ही मिलते हैं
बृजेश रैकवार ने बताया कि शाम 5 से अगले दिन दोपहर 12 बजे तक कमल का फूल खिला रहता है। इसके बाद यह बंद होता है, इसलिए चार से पांच घंटे ही मिलते हैं, जब मजदूर तालाब में उतरकर फूल तोड़ते हैं, क्योंकि पंखुड़ियां बंद होने के बाद ही फूल तोड़ने होते हैं। वरना वह पंखुड़ियां टूट जाती है।

भोजपुर रोड पर भी कमल की खेती हो रही है।

भोजपुर रोड पर भी कमल की खेती हो रही है।

अच्छी बारिश होने से उत्पादन भी बढ़ा
इस दिवाली भोपाल में लक्ष्मी जी के प्रिय पुष्प कमल की आवक बाजार में 25% ज्यादा रहेगी। इसके पीछे बड़ी वजह है- सीजन के कोटे से दोगुनी यानी 80 इंच से ज्यादा बारिश होना। ज्यादा बारिश के कारण तालाब भी लबालब हैं। हालत यह है कि बारिश थमने के बाद भी बड़े तालाब समेत शहर के अन्य तालाब फुल टैंक के आसपास ही हैं।

हॉर्टिकल्चर एक्सपर्ट एवं अनुसंधान केंद्र के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. आरके जायसवाल बताते हैं कि तालाब का लेवल एक जैसा मेंटेन रहने के कारण कमल के पौधे के तने यानी कल्ले भी ज्यादा निकले। कल्ले ज्यादा निकलने से पौधों में पत्ती और फूल भी ज्यादा निकले। जायसवाल के मुताबिक पिछले साल 34 टन कमल की आवक हुई थी। इस बार यह 42.5 टन तक पहुंचने का अनुमान है।

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