लंपी वायरस से बचाने मवेशियों को सुनाए जा रहे मंत्र: मालवा-निमाड़ में निकाली मशाल रैली; मवेशियों के परिवहन पर रोक

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बुरहानपुर से रईस सिद्दीकी, मंदसौर से दीपक शर्मा7 मिनट पहले
मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ के 8 जिलों में लंपी वायरस फैल चुका है। अलीराजपुर, झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, नीमच, बुरहानपुर, उज्जैन और खंडवा में जानवरों में लंपी वायरस मिला है। इंदौर, धार और नीमच में भी पशुओं में लक्षण मिले हैं। लंपी वायरस का खौफ ऐसा है कि अब टोने-टोटके और तंत्र-मंत्र भी होने लगे हैं।
मंदसौर में लोग मशाल लेकर मारू-मारू की आवाज लगाते निकल रहे हैं। बुरहानपुर में ग्रामीण इसे माता का प्रकोप बताते हुए लोबान और अगरबत्ती का धुआं दे रहे हैं। पढ़िए मंदसौर और बुरहानपुर से ये रिपोर्ट…

पहले मंदसौर से रिपोर्ट…
कलेक्टर ने जानवरों की खरीद-फरोख्त पर लगाई रोक आते हैं।
ढाबला गुर्जर गांव के योगेश पाटीदार कहते हैं कि यह टोटका है। हम गांववाले मानते हैं कि ऐसा करने से बीमारी का प्रकोप हमारे गांव में नहीं होगा। गांव के पशुओं में लंपी वायरस और दूसरी बीमारियां फैल रही हैं। 300 पशु बीमार हैं। इस टोटके के लिए गांव के हर घर के चूल्हे से एक मशाल जलाई जाती है। मशाल जानवरों के ऊपर से निकालते हुए सभी गांव में एक जगह जमा होते हैं। यहां से मशाल रैली निकालते हैं। पूरे गांव में घूमने के बाद इन मशालों को गांव के अंतिम छोर (जंगल) में फेंक आते हैं।
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अब बुरहानपुर से ये रिपोर्ट…
यहां पशुओं को लोबान की दे रहे धुनी बात दोहराई।
एक रिपोर्ट के मुताबिक पशुपालकों का दावा है कि सोशल मीडिया पर भी इस बीमारी से बचाव के मंत्र वायरल हो रहे हैं। मंत्रों की ऑडियो क्लिप पशुपालक मोबाइल के जरिए जानवर के कान के पास लगाकर सुना रहे हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर किसान ऑन रिकॉर्ड इस बात को बोलने से बचते नजर आए।
अब जान लीजिए, क्या है लंपी वायरस… कैसे यहां पहुंचा
लंपी कोरोना से भी खतरनाक वायरस है। इससे बीमार होने पर गाय-भैंस सिकुड़ जाती हैं। उनके शरीर पर फफोले होने लगते हैं। वे खाना-पीना बंद कर देती हैं और दो-चार दिन में मर जाती हैं।


हर जिले में पशुओं के लिए श्मशान भूमि बनाने की जरूरत
भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने राज्यों से हर जिले में पशुओं के लिए कम से कम एक श्मशान भूमि बनाने को कहा है। बोर्ड के चेयरमैन ओपी चौधरी ने मृत पशुओं के शरीर के उचित निपटारे के लिए इस दिशा में कदम उठाने पर जोर दिया है। राज्यों को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि मृत पशुओं के शवों का निपटान देश में महत्वपूर्ण मुद्दा है। बीमारियों की रोकथाम, हवा और पानी की क्वालिटी बनाए रखने के लिए मृत पशुओं को दफनाना या उन्हें जलाना जरूरी है।
ओपी चौधरी का कहना है कि कई बार ऐसा देखा गया है कि कई पशु मालिक अपने मृत पशु का सम्मानजनक ढंग से अंतिम संस्कार करने के लिए दर-दर भटकते हैं। कुछ लोग पशुओं को खुली जगह पर ही फेंक देते हैं। इससे पर्यावरण संबंधी गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। ऐसे श्मशान बनने से इस समस्या से निपटा जा सकेगा।
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