ONLINE बिकेगा ज्वार और बाजरा!: छिंदवाड़ा के आदिवासी अंचलों के किसानों को मिलेगा फायदा, अधिकारियों ने दी जानकारी

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छिंदवाड़ाएक घंटा पहले
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जिले के पहाड़ी खेतों में होने वाली कोदो, कुटकी, ज्वार और बाजरा जैसा मोटा अनाज कुछ दिनों बाद आम लोगों तक ऑनलाइन पहुंचेगा। मल्टीमीडिया प्रोडक्शन की बारीकी सीखकर किसान स्मार्ट फोन के जरिए के अपने अनाज की मार्केटिंग भी खुद कर सकेंगे। इसके लिए पहले चरण में तामिया, हर्रई और जुन्नारदेव के किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
तामिया में दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान किसानों को मोटे अनाजका महत्व, बाजार में अनाज की मांग और उसकी महत्ता की जानकारी दी गई।विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सहायता से आदिवासी विरासत एवं परंपराओं के संरक्षण को लेकर तामिया में दो दिवसीय कार्यशाला हुई। इसमें तामिया, पातालकोट, जुन्नारदेव और हर्रई ब्लॉक के किसान शामिल हुए।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. डीसी श्रीवास्तव ने कहा कि कोदो, कुटकी, ज्वार, मक्का, बाजरा जैसे मोटे अनाज प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के अच्छे साधन हैं। खेती में इनका चलन आजकल कम होता जा रहा है, लेकिन बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। इसलिए इनके संरक्षण और उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों के लिए साफ सुथरा मोटा अनाज की पैकिंग उपलब्ध कराई जाए तो स्थानीय स्तर पर अच्छे दाम मिल जाएंगे। डिजिटल एक्सपर्ट राहुल चौकसे एवं हितेश कुशवाहा ने किसानों को अपने उत्पाद की ऑनलाइन ब्राडिंग और बिक्री की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि किसान ऑनलाइन प्रोडक्ट सेलिंग प्लेटफॉर्म ईएनएएम (नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट), जीईम (गवर्नमेंट ई-मार्ट) और अन्य ऑनलाइन मार्केटिंग पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कर अपने अनाज खुद दुनियाभर में बेच सकता है। इस प्रक्रिया से किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिलेगा और बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी। इसके लिए युवा पीढ़ी को जागरूक होना जरूरी है। कार्यशाला में सर्च एंड रिसर्च डेवलपमेंट सोसाइटी के प्रतिनिधि भोपाल डॉ. अनिल सिरवैया, डॉ. मोनिका जैन, डॉ. राजीव, पवन श्रीवास्तव समेत अन्य विषय विशेषज्ञ शामिल थे।
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