राहुल की यात्रा से जुड़े योगेंद्र यादव बोले-गुजरात हारेगी कांग्रेस: APP का एजेंडा पहुंचाएगा नुकसान, BJP पहले से ज्यादा सीट लाएगी

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मध्यप्रदेश9 मिनट पहलेलेखक: राजेश शर्मा

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से जुड़े स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा, मेरी कोई अपेक्षा भी नहीं है कि गुजरात में कांग्रेस कोई चमत्कारिक परिणाम सामने लाए। वहां आम आदमी पार्टी पहुंच गई है। वो सीधे-सीधे कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रही है। यही उसका एजेंडा है। ऐसे में संभव है कि BJP पहले से भी बेहतर परिणाम लेकर आए, क्योंकि एंटी BJP वोट टूटेंगे।

तामिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद भारत जोड़ो यात्रा का अगला पड़ाव अब मध्यप्रदेश होगा। इससे ठीक 10 दिन पहले योगेंद्र यादव ने यात्रा से जोड़ने के लिए सामाजिक संगठनों की भोपाल में बैठकें की। इस दौरान उन्होंने दैनिक भास्कर से गुजरात चुनाव से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बात की। उन्होंने कांग्रेस की आलोचना से लेकर साथ में खड़े होने के सवालों के जवाब दिए।

भास्कर: आपने 2011 में UPA सरकार का विरोध किया था। अब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हैं?
योगेंद्र यादव:
हां, कांग्रेस का विरोध किया था। मुझे गर्व है कि मैंने 2011 में अन्ना आंदोलन का खुलकर समर्थन किया था, लेकिन मैं उस टीम में नहीं था, क्योंकि जब देश में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा, तो मैं किनारे पर खड़ा नहीं रह सकता था। मैंने लाठियां भी खाईं और सजा भी भुगतना पड़ी।

भास्कर: आपने तो 2019 के लोकसभा चुनाव में कहा था- congress must die?
योगेंद्र यादव:
हां, मैंने एक लेख लिखा था। मैंने लिखा था- congress must die (कांग्रेस को मरना चाहिए)। ऐसा मैंने 2019 लोकसभा चुनाव में कहा था, क्योंकि उस वक्त BJP का मुकाबला करने की जरूरत थी। इस चुनाव को कांग्रेस ने जिस तरह से लड़ा या समझिए कि लड़ा ही नहीं, उससे क्षुब्ध होकर मैंने कहा था कि इतने बड़े चुनाव में BJP के सामने खड़े होकर ठीक से लड़ नहीं सकते, तो इससे बेहतर है मर जाओ… तो मेरा भाव यह था। दरअसल, 2019 में नरेंद्र मोदी की जीत का मतलब था, देश के नैतिक मूल्य पर हमला और कांग्रेस का धर्म था कि वो मुकाबला करे। अब कांग्रेस मुकाबला करने सड़क पर उतरी है, तो मैरा फर्ज है कि मैं उसका साथ दूं।

भास्कर: क्या इस यात्रा से राहुल गांधी की ‘पप्पू’ वाली छवि बदल रही है?
योगेंद्र यादव:
आप मीडिया वाले हैं, मुझसे ज्यादा जानते हैं। जब यह यात्रा शुरु हुई तो मेरे मित्रों ने कहा था- कहां फंस रहे हो। तुम तो पैदल चलोगे, लेकिन ये (कांग्रेसी) बीच रास्ते से ही गाड़ियों और हवाई जहाज में उड़ जाएंगे। यह छवि थी। यात्रा शुरू होने से पहले मैंने यह बात राहुल गांधी को बताई थी। तब उन्होंने कहा था कि मेरे साथ एक आदमी भी ना चले, लेकिन मैं यात्रा निकालूंगा।

राहुल गांधी को 15 साल से जानता हूं, इसलिए मैं जानता था कि यह छवि गलत है, लेकिन उनकी छवि ऐसी बना दी थी, जैसे बड़े आदमी का अय्याश बेटा। ऐसी छवि, जो भारत के बारे में क्या जानता है? लेकिन, इसे सुधारना मेरा काम तो था नहीं। ऐसा नहीं है कि मैंने राहुल गांधी की आलोचना नहीं की, मैंने अपने लेख (congress must die) में कांग्रेस की कड़ी आलोचना के साथ यह भी कहा था कि राहुल गांधी में कई गुण हैं। उनकी देश के संवैधानिक मूल्यों के प्रति आस्था पक्की है, लेकिन जनता के सामने उनकी यह छवि दिखाई नहीं देती थी। जो जनता के सामने था, वह बहुत ही छोटा हिस्सा था। आज यह छवि बदल रही है।

भास्कर: 2024 के चुनाव में कांग्रेस विपक्षी पार्टियों का नेतृत्व कर पाएगी?
योगेंद्र यादव:
यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। इससे देश का भविष्य तय होगा। केवल सरकार का फैसला नहीं होगा, यह भी तय होगा कि भारत बचेगा या नहीं? दूसरा यह कि क्या मोदी का मुकाबला करने के लिए कोई महागठबंधन करने की जरूरत है? मैं इससे कतई सहमत नहीं हूं। राज्यों की बात करें तो देश में केवल बिहार, झारखंड, कर्नाटक और महाराष्ट्र में गठबंधन की जरूरत है। यदि 2024 में महागठबंधन बनता है, तो मेरी बला से…। 1977 में जनता के दिमाग में था कि कांग्रेस हारे और लोकतंत्र जीते। कौन प्रधानमंत्री बनेगा, इससे किसी को कोई मतलब नहीं था। आज वही स्थिति है। यह अहंकारी सरकार देश को तोड़ने में तुली हुई है। देश में हिंदू-मुसलमान, क्योंकि उन्हें पता है कि सरकार ने कुछ किया नहीं है। बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर पर्दा डालने की कोशिश है।

भास्कर: एमपी में अगले साल चुनाव हैं। क्या होंगे मुद्दे?
योगेंद्र यादव:
मध्य प्रदेश की राजनीति एक नए मोड़ पर खड़ी है। कई सालों से कांग्रेस-बीजेपी की राजनीति का ढर्रा चल रहा था, अब उससे बाहर आने की संभावना बन रही है। वह इसलिए क्योंकि दिल्ली में जो किसान आंदोलन हुआ, उसकी शुरुआत मध्य प्रदेश के मंदसौर से हुई थी। पिछड़े वर्ग का आंदोलन यहां चेतना बनना शुरू हो गया है। आदिवासी समाज भी अब संतुष्ट नहीं है। अभी तक माई-बाप वाली राजनीति थी कि उनके सामने टुकड़ा फेंक दिया और हम चुपचाप पीछे चल दिए। इस समाज का युवा पढ़-लिख गया है। चेतना से लैस है और ठगाई के झांसे जल्दी नहीं आ रहा। यही स्थिति दलितों के साथ है। जिस समाज को राजनीति के हाशिए पर रखा गया था, वह उठ रहा है। जो पार्टी इस नई ऊर्जा के साथ जुड़ पाएगी, वो आगे बढ़ेगी। यही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मुद्दा होगा।

भास्कर: मध्य प्रदेश में यात्रा कितनी सफल होगी?
योगेंद्र यादव:
यह आकलन मीडिया और खासकर जनता को करना है। मेरी जिम्मेदारी यात्रा की नहीं है। मेरी जिम्मेदारी यात्रा से कांग्रेस के अलावा संगठनों को कैसे जोड़ा जाए? इसको लेकर भोपाल में बैठक की। मैं आशांवित हूं कि प्रदेश के उन इलाकों से भी लोग आएं, जिन जिलों या कहें इलाकों से यात्रा निकलेगी ही नहीं। यात्रा कितनी सफल होगी, इसका जवाब तो कांग्रेस-बीजेपी देगी। मेरे लिए तो भारत जोड़ो यात्रा जीतने के लिए नहीं है, लेकिन लोगों की चुप्पी टूटती है, डर कम होता है और सही मुद्दे सामने आते हैं, तो मेरा यात्रा से जुड़ना सफल हो जाएगा। वोट बदले ना बदले, मेरी बला से…।

भास्कर: आपने 2016 में जल-हल यात्रा निकाली थी, क्या असर हुआ?
योगेंद्र यादव:
मध्य प्रदेश में हमने 2016 में आंदोलन किया था। 2018 में सत्ता परिवर्तन हुआ। आंदोलन का असर तो रहा ही होगा, लेकिन इसका श्रेय हम नहीं लेते। अब 2023 के चुनाव में क्या होगा? इस वक्त में कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता। केवल यह सवाल नहीं है कि BJP की सरकार सांप्रदायिक है। इससे भी बड़ा सवाल यह है कि यह भ्रष्ट सरकार है। निकम्मी सरकार है और यह अवैध सरकार है, क्योंकि चुनाव हारने के बाद तिकड़म कर, पैसे के जोर पर सरकार बनाई गई। मेरा मानना है कि मप्र की जनता अब सबक सिखाएगी।

भास्कर: मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में स्वराज इंडिया की भूमिका?
योगेंद्र यादव:
मैं एक राजनीतिक दल से जुड़ा हूं। इसका नाम है- स्वराज इंडिया, लेकिन यह दल चुनाव में सफल नहीं है। इस दल के पास पैसा नहीं है, परंतु राजनीति करना अनिवार्य है। राजनीति शुभ को सच में बदलने की कोशिश है। राजनीति करना दुनिया में सबसे सुंदर काम है, लेकिन चुनावी राजनीति कुछ लोगों को ही करना चाहिए। जरूरी नहीं कि सब करें। मैं और मेरे साथी वर्तमान में जो भूमिका अदा कर रहे हैं, वह चुनावी राजनीति से परे कर रहे हैं, क्योंकि देश को स्वधर्म से खतरा है। इसे बचाने के लिए एक तो राजनीतिक दलों की भूमिका है। दूसरा- राजनीतिक दलों से बाहर जनआंदोलन की जरूरत है। इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए दोनों की ऊर्जा की जरूरत है। हम दोनों के बीच एक सेतु बनाने की भूमिका में हैं।

भास्कर: क्या आप 2024 में चुनाव मैदान में उतरेंगे?
योगेंद्र यादव:
रहा सवाल चुनाव लड़ने का, तो मैंने 2014 में चुनाव लड़ा था, लेकिन सफल नहीं हुआ। इस वक्त में चुनाव नहीं, बल्कि चिड़िया की आंख दिख रही है। क्योंकि, देश की बुनियाद पर हमला हो रहा है। इस हमले को रोकने के लिए यदि चुनाव से बाहर रहना है, तो बाहर रहेंगे। चुनाव लड़ना है तो लड़ना चाहिए। चुनाव लड़वाना है, तो लड़वाना चाहिए। मुझे लगता है कि मुझे बाहर रहना चाहिए, लेकिन बाद में परिस्थितियां बदलती हैं, तो इस बारे में कैसे बता सकता हूं। मेरे मन में केवल एक ही चीज है कि 20 साल या 40 साल बाद मेरे नाती पूछेगा कि 2022 में देश में क्या हो रहा था? जब वे पूछेंगे नानाजी उस समय क्या कर रहे थे? मैं चाहता हूं कि मेरी बेटी को उस समय सिर नीचा ना करना पड़े। वह सिर उठाकर कर कहे- बेटा तेरे नाना ने वह किया, जो वे कर सकते थे।

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