राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन: उपनिवेशी औद्योगिकीकरण के कारण हमें लोक विज्ञान की आेर जाने की जरूरत : प्रो. नीरज खरे

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छतरपुर23 मिनट पहले

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महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में आजादी के अमृत काल के तहत लोक विज्ञान की अवधारणा एवं आयाम विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन के पहले सत्र में लोक विज्ञान के आयाम पर चर्चा की गई। इस दौरान प्रो. गायत्री वाजपेयी ने लोक की अवधारणा बताते हुए उसके आयाम पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने लोक विज्ञान के अकादमिक इतिहास को बताते हुए हमें प्रकृति से नजदीक जाने का संदेश दिया। डॉ. वीरेंद्र निर्झर ने बताया कि लोक विज्ञान से तात्पर्य मनुष्य जब आदिम जाती और उसके विविध रूपों का विस्तार है।

लोक विज्ञान को विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम से जोड़ना चाहिए। सत्र के मुख्य वक्ता प्रो. नीरज खरे ने बताया कि उपनिवेशी औद्योगिकीकरण विस्तार के कारण हमें लोक विज्ञान की तरफ देखने की आवश्यकता है। उन्होंने समकालीन कहानियों के माध्यम से बताया कि कैसे लोक उनमें आता है और लोक विश्वास को महत्व दिया गया है। सागर की प्रसिद्ध लाखा बंजारा झील की कहानी भी उन्होंने बताई। जनजातीय संस्कृति के संरक्षण की बात करते हुए उन्होंने अपनी बात खत्म की। सत्र के अध्यक्ष बसंत निरगुणे ने लोक विज्ञान के सभी आयामों पर चर्चा की।

उन्होंने बताया कि मनुष्य का निर्माण सृष्टि का निर्माण है। उन्होंने छात्रों को लोक विज्ञान विषय पर शोध करने के लिए प्रेरित किया। यहां प्रचलित लोक कहावतें जीवन से जुड़ने वाले लोक विज्ञान से है। समापन सत्र में बुंदेली झलक के अध्यक्ष गौरव सिंह जूदेव ने बाहर से आए अतिथियों का सम्मान शाल से किया। उन्होंने विवि के अधिकारियों व हिंदी विभाग के सदस्यों का भी सम्मान किया। सत्र के विशिष्ट अतिथि प्रो. एसडी चतुर्वेदी ने हिंदी विभाग को संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए छात्रों को सदमार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

प्रो. ममता बाजपेयी ने संगोष्ठी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए शोध छात्रों के लिए ऐसे कार्यक्रम लगातार आयोजित करने की बात की। मुख्य अतिथि आचार्य श्रीराम [परिहार ने छात्रों को आशीर्वाद देते हुए सभी को धन्यवाद कहा। अध्यक्षता करते हुए कुलसचिव प्रो. जीपी मिश्र ने जीवन में परिवार के महत्व को लोक से जोड़ते हुए कहा कि लोक विज्ञान में लोक वित्त की भी बात की जानी चाहिए। प्रो. पुष्पा दुबे ने सभी का आभार माना। सत्र का संचालन प्रो. बहादुर सिंह परमार ने किया।

बुंदेली गजल संग्रह का किया लोकार्पण

इस सत्र में साहित्यकार राघवेंद्र उदैनिया के बुंदेली गजल संग्रह सासी कइ तो बिंदी धरी का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया। इस अवसर पर उन्होंने अपनी गजल का पाठ भी किया। इस सत्र का संचालन डॉ. केएल पटेल ने किया। सत्र के उपरांत बुंदेलखंड के ऊपर आधारित वेबसाइट बुंदेली झलक के निदेशक जीएस रंजन द्वारा किया गया।

परिचर्चा के लिए रखे प्रश्न
इसके बाद परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मौजूद अतिथियों ने अपनी बात रखी। संगोष्ठी और इस सत्र के सूत्रधार प्रो. बहादुर सिंह परमार ने परिचर्चा के लिए पांच प्रश्नों को रखा। जिसमें लोक विज्ञान के आशय, आयाम, पाठ्यक्रम, इससे संबंधित रोजगार और इसके सीमांकन से जुड़ा है। इन प्रश्नों पर सभी ने अपनी-अपनी बात रखी और भविष्य में पाठ्यक्रम में उपयोग की बात हुई।

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