राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस: IMA दतिया ने बच्चों को खिलाई दवा, पढ़िए…क्या है कृमि और उसके लक्षण, इससे कैसे बचें?

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दतिया13 मिनट पहले
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केंद्र सरकार की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश के लगभग 70 प्रतिशत बच्चों के पेट में कीड़े हैं। इसी के तहत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की दतिया ब्रांच द्वारा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया गया। बच्चों एवं उनके परिजनों में दवा का भय कम करने हेतु चिकित्सकों ने पहले दवा का सेवन किया फिर बच्चों एवं उनके परिजनों को एल्बेंडाजोल नामक दवा का सेवन भी कराया गया ।
कृमि क्या है और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है
कृमि को सामान्य बोलचाल में पेट का कीड़ा कहते हैं। बच्चों में आमतौर पर तीन तरह के कृमि पाए जाते हैं। व्हिप कृमि, राउंड कृमि और हुक कृमि। कृमि के संक्रमण से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कैसे होता है कृमि इन्फेक्शन
कृमि हमेशा गंदगी से ही होता है। नंगे पांव चलने से, गंदे हाथ खाना खाने से, साफ पानी न पीने से और खुले में शौच जाने से बच्चों में कृमि संक्रमण होता है।
ये हैं लक्षण
कृमि संक्रमण से बच्चों में कुपोषण हो जाता है। खून की कमी हो जाती है। शरीर में थकावट बनी रहती है और पढ़ाई में मन नहीं लगता है। अक्सर कृमि ज्यादा होने से जी मिचलाता है और दस्त, पेट दर्द, कमजोरी भी लगती है।
कैसे करें बचाव
कीड़े की दवा एल्बेन्डाजोल खिलाएं, ध्यान रखें हमेशा साफ पानी पिएं, कुछ भी खाने से पहले हाथ जरूर धोएं, खाना ढंक कर रखें, खुले में शौच नहीं जाएं, शौचालय का प्रयोग ही करें।
कार्यक्रम में यह रहे मौजूद
इस दौरान आईएमए दतिया की अध्यक्ष डॉ. श्वेता यादव, सचिव डॉ. के.एम वरुण, मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. अर्जुन सिंह, सह अधीक्षक डॉ. सचिन यादव, शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ. राजेश गुप्ता एवं डॉ. प्रदीप उपाध्याय, डॉ. जगराम मांझी, आईएमए के कोषाध्यक्ष डॉ. के.पी बरेठिया, जॉइंट सेक्रेट्री डॉ. डिंपल भदकारिया, डॉ. संजीव शर्मा, नर्सिंग अधीक्षक बि.जी अवस्थी एवं अन्य नर्सिंग स्टाफ उपस्थित रहा।
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