राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश बोले: बुद्धिमान बोलने से पहले और नादान बोलने के बाद सोचता है

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मंदसौर39 मिनट पहले
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हथियार के जख्म से भी वचनों का जख्म अनंत गुना ज्यादा खतरनाक होता है। क्योंकि हथियार का जख्म तो भर जाता है लेकिन वचनों का जख्म मरते दम तक व्यथित करता है। उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने जैन दिवाकर प्रवचन हाल में व्यक्त किए। संत श्री ने कहा कि कड़वे शब्द बारूद के ढेर से भी ज्यादा विनाशकारी बन जाते हैं। एक शब्द के कारण महाभारत हो गई।
मुनि कमलेश ने कहा कि बुद्धिमान बोलने से पहले सोचता है। नादान बोलने के बाद सोचता है। पीड़ाकारी वचन हिंसा का प्रतीक है। जैन संत ने बताया कि वाणी का संयम अत्यंत जरुरी है। मीठे वचनों से इंसान तो क्या हिंसक पशुओं को भी वश में किया जा सकता है। वचनों में अमृत भी है और जहर भी है। इसलिए वाणी से व्यक्ति के जाति, कुल और संस्कारों का परिचय होता है।
धर्मसभा में अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार नई दिल्ली महिला शाखा राष्ट्रीय अध्यक्ष कल्पना मुथा, औरंगाबाद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भारतीय कोठी फोडा मुंबई, राष्ट्रीय सचिव संगीता कटारिया रतलाम, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सरोज सुराणा औरंगाबाद भी गुरुदेव के दर्शन के लिए पहुंचे। यहां नारी उत्थान के लिए 5 सूत्री योजना तैयार की। कौशल मुनि ने मंगलाचरण किया घनश्याम मुनि ने भी अपने विचार व्यक्त किए ।
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