‘कोई सेक्सुअल हैरेस होगा तो सुसाइड ही करेगा’: खुद को गोली मारने वाले बिल्डर की पत्नी ने बयां की प्रताड़ना की दास्तां

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सुनील विश्वकर्मा । जबलपुर15 मिनट पहले
‘किसी व्यक्ति को अगर सेक्सुअली हैरेस किया जाएगा तो वह सुसाइड ही करेगा, न कि उस दिन का इंतजार करेगा, जब लोग उस पर थूकें। ‘
ये शब्द हैं झूमा वर्मा के। उनके पति महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर और बिल्डर राजू वर्मा ने 1 अक्टूबर को खुद को गोली मार ली थी। 28 दिन तक जबलपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज चला, लेकिन बचाया नहीं जा सका। झूमा का आरोप है कि पति सिविल लाइन में रहने वाले बलिराम शाह और उनके ग्रुप की प्रताड़ना से परेशान हो चुके थे। इतना तंग आ चुके थे कि उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर गोली मार ली।
पढ़िए, झूमा वर्मा की जुबानी…
बलिराम शाह फ्लैट नंबर- 305 में रहते हैं। वह हमारे पास पहली बार कस्टमर की हैसियत से आए थे। उन्हें मेरे पति राजू वर्मा ने डिलाइट अपार्टमेंट में एक फ्लैट बेचा था। उन्होंने पति को रुपए की कमी की बात कही, तो पति ने कम रेट में ही उन्हें फ्लैट सेल कर दिया था। पति को बलिराम की माली हालत के बारे में पता था, यही कारण रहा कि उन्होंने कम पैसे लेकर भी फ्लैट उन्हें हैंडओवर कर दिया। बलिराम फ्लैट में शिफ्ट हुए, इसके बाद धीरे-धीरे अपनी खुद ही एक सोसायटी बना ली और उस सोसायटी के स्वयंभू अध्यक्ष बन गए।
मेरे पति ने अपार्टमेंट में 7 मंजिला तक की अनुमति ले रखी थी। उन्होंने 7वें माले पर दो ब्लॉक बनाए थे। इन्हीं ब्लॉक पर बलिराम की नजर थी। इसे पाने के लिए उन्होंने मल्टी की कुछ महिलाओं को अपने साथ कर लिया। इसके बाद उन्होंने पति को धमकी देना शुरू कर दिया। पति ने कई मर्तबा इसकी शिकायत सिविल लाइन पुलिस को की। पुलिस ने भी महज औपचारिकता निभाते हुए कार्रवाई की। ठोस कार्रवाई नहीं होने पर बलिराम के हौसले इतने बुलंद हो गए कि वह हमारे ऑफिस आकर हमें धमकी देने लगा।

पत्नी झूमा ने कहा- पति को बिलराम और उनके ग्रुप ने इतना परेशान किया कि उन्हें जान देनी पड़ी। उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर गोली मार ली थी।
बलिराम शाह ने मल्टी में ही रहने वाले चार परिवार को अपने ग्रुप में शामिल कर लिया था। अपार्टमेंट में करीब 19 फैमिली रहती हैं। इनमें से इन 4 लोगों ने पति को बहुत परेशान किया। इनमें से एक रिटायर्ड पर्सन हैं, वह भी आए दिन पति की शिकायत लेकर कभी नगर निगम, कभी कोर्ट तो कभी कमिश्नर ऑफिस पहुंच जाया करते थे। मुझे नहीं पता कि उनकी सोच क्या थी, पर ये लोग पति को लगातार परेशान कर रहे थे।

झूमा ने कहा- पति ने अपने एडवोकेट दोस्त से कहा था कि मैं बलिराम से बहुत ज्यादा परेशान हो गया हूं। मुझे इससे निजात दिलवाए, नहीं तो मुझसे मिलने ग्वारीघाट श्मशान घाट आ जाना।
बलिराम और उनका ग्रुप यह चाहता रहा था कि पति इन्हें कुछ बोलें- तो वह ST/SC का केस दर्ज करवा दें। मेरे पति एक इज्जतदार व्यक्ति थे। उनकी समाज में रेपुटेशन भी अच्छी थी, यही वजह थी कि इन लोगों की बात सुनकर भी उन्होंने कभी जवाब नहीं दिया। बलिराम हमेशा उन्हें धमकी दिया करते थे कि तुम्हें सेक्सुअल हैरेसमेंट के नाम पर फंसाया जाएगा। ऐसी स्थिति में तो आदमी मरेगा ही, न कि उस दिन का इंतजार करेगा कि पूरा शहर उन पर थूके। मेरे पति इन लोगों से इतना परेशान हो गए थे कि अपनी हर एक परेशानी अपनी बेटी से शेयर करने लगे थे।
अपार्टमेंट में चल रहे विवाद को लेकर हाईकोर्ट से हमें स्टे मिला था, तब से वह बहुत ज्यादा परेशान हो गए थे। जिस दिन उन्होंने खुद को गोली मारी, उसके एक दिन पहले ही उन्होंने अपने दोस्त एडवोकेट उमेश त्रिपाठी से कहा था कि मैं बलिराम से बहुत ज्यादा परेशान हो गया हूं। मुझे इससे निजात दिलवाएं, नहीं तो मुझसे मिलने ग्वारीघाट श्मशान घाट आ जाना। जिस दिन उन्होंने खुद को गोली मारी, हमें जरा भी अंदाजा नहीं था कि वह ऐसा कुछ करने जा रहे हैं।

1 अक्टूबर को सुबह बिल्डर वर्मा अपने कमरे में गए और कुछ देर बाद गोली चलने की आवाज सुनाई दी। 28 दिन तक जबलपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज चला।
क्या हुआ था उस दिन…
झूमा वर्मा ने बताया- 1 अक्टूबर को घटना वाले दिन सुबह 7.15 बजे तक हम लोग साथ में थे। बेटी ऊपर वाले कमरे में सो रही थी। मैंने उनसे पूछा- आप चाय पीएंगे, पर उन्होंने मना कर दिया। वे अपना मोबाइल लेकर कमरे में चले गए और जाते समय कहा- कुछ देर के लिए मुझे अकेला छोड़ दो। उन्होंने कमरे का दरवाजा भीतर से बंद कर लिया। 7.25 पर आवाज सुनाई दी। आवाज सुन घर के नौकरों के साथ हम सब कमरे की ओर दौड़े। हमने दरवाजा खोलने की कोशिश की। नहीं खुलने पर खिड़की से झांककर देखा तो वो खून से लथपथ पड़े थे। इसके बाद दरवाजा तोड़कर उन्हें मेडिकल सुपर स्पेशलिस्ट लेकर पहुंचे, जहां उन्हें वेंटिलेटर में शिफ्ट कर दिया गया। 28 दिन तक वे भर्ती रहे।

पत्नी झूमा ने बताया कि घटना के 10 दिन बाद भाई अलमारी में रखी चेकबुक निकाल रहा था, तभी लिफाफे में सुसाइड नोट मिला था।
घटना के करीब 10 दिन मैंने अपने भाई को कहा- कुछ चेक बुक घर पर रखी हुई हैं, जिसे कि वह अपने पास रख ले। भाई जब अलमारी में चेकबुक खोज रहा था, तभी एक लिफाफा मिला। लिफाफा खोल कर देखा तो उसमें सुसाइड नोट लिखा हुआ था, जिसमें बलिराम शाह की प्रताड़ना का जिक्र था।

बलिराम शाह ने अपनी सफाई में कहा था- हमने तो अपार्टमेंट में सुविधाओं में कमी को लेकर शिकायत की थी। उन्होंने खुद को गोली क्यों मारी नहीं पता।
मेरी वर्मा से निजी दुश्मनी नहीं थी: बलिराम
बलिराम शाह ने दैनिक भास्कर से आरोपों पर कहा- हमारे अपार्टमेंट में जो सुविधा होनी चाहिए थी, वह सुविधा बिल्डर के द्वारा नहीं दी गई थी। इसे लेकर हमने रेरा और नगर निगम में शिकायतें की थीं। बाद में यह मामला कोर्ट गया, जहां से भी राजू वर्मा को राहत नहीं मिली। जिन बिंदुओं को लेकर अपार्टमेंट में अनियमितताओं की बात की जा रही है, वो सही हैं। वर्मा ने आखिर खुद को गोली क्यों मारी, मैं नहीं जानता। मेरी उनसे किसी भी तरह की निजी दुश्मनी नहीं थी।
सुसाइड नोट जांच के लिए भेजा
बिल्डर वर्मा की मौत को लेकर सिविल लाइन थाना पुलिस जांच कर रही है। सिविल लाइन थाना प्रभारी रमेश कौरव का कहना है कि सुसाइड नोट को जांच के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आते ही कार्रवाई की जाएगी।
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