‘यशस्वी’ से 15 जिलों में छीना ‘रोजगार’: तय कांटेक्ट के अनुसार कंपनी को 4 साल में 3 लाख लोगों को दिलानी थी नौकरी

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ग्वालियर13 मिनट पहलेलेखक: कौशल मुदगल

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4 साल पहले प्रदेश के 15 जिलों में युवाओं को नौकरी दिलाने के लिए लाई गई पुणे की यशस्वी एकेडमी फॉर टैलेंट मैनेजमेंट कंपनी से सरकार ने काम छीन लिया है। मप्र रोजगार संचालनालय के आयुक्त षणमुखप्रिया मिश्रा ने 9 सितंबर को आदेश जारी कर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत काम कर रही यशस्वी कंपनी का अनुबंध निरस्त कर दिया।

उन्होंने आदेश में कंपनी के स्टेट हेड सिद्धार्थ श्रीवास्तव से कहा है कि वे कॉल सेंटर, सेंट्रल मॉनिटरिंग यूनिट, माय एमपी रोजगार पोर्टल से संबंधित जानकारी और पूरा सामान स्थानीय रोजगार कार्यालय के अधिकारियों को सौंप दें।

कंपनी का अनुबंध तय रोजगार से कम संख्या में काम उपलब्ध कराने के कारण खत्म किया गया है। अब स्थिति ये है कि लोगों को रोजगार देने के लिए काम कर रही इस कंपनी में कार्यरत 74 लोग खुद बेरोजगार हो चुके हैं।

कंपनी का दावा-चार साल में 89,760 लोगों को रोजगार दिलाया

  • मप्र रोजगार संचालनालय ने 2018 में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर टेंडर कॉल किए। जिसमें 9 मई 2018 को 19 करोड़ 5 लाख रुपए के टेंडर पर पुणे की यशस्वी कंपनी को काम मिल गया। उसके बाद से अब तक 15 जिलों में अपना सेटअप लगाकर काम शुरू किया।
  • कंपनी के साथ सरकार के अनुबंध में तय हुआ कि पहले वर्ष में 25 हजार, दूसरे वर्ष में 75 हजार और अगले 8 वर्ष में कंपनी द्वारा हर वर्ष एक-एक लाख लोगों को रोजगार दिलाया जाएगा। इसके एवज में कंपनी को अलग-अलग किस्तों में सरकार द्वारा 19 करोड़ 50 लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा। अब तक कंपनी ने कुल 89,760 लोगों को नौकरी दिलाई। जबकि यह आंकड़ा 3 लाख होना था।
  • हर जिले में काम करने के लिए कंपनी को अपना सेटअप जिसमें दफ्तर, कॉल सेंटर, स्टाफ, बिजली-नल आदि के बिल और दूसरे खर्चे सहित तैयार करना था। कंपनी का दावा है कि तब से अब तक इस सेटअप और संचालन में लगभग 13.40 करोड़ खर्च हो चुके हैं। जबकि, सरकार ने सिर्फ 4.17 करोड़ का ही भुगतान किया है।

अनुबंध खत्म कर दिया है

यशस्वी एकेडमी द्वारा अनुबंध का पालन नहीं करने के कारण मुख्यालय से कंपनी का अनुबंध खत्म कर दिया है और कंपनी प्रबंधन से सेटअप का हैंडओवर मांगा है।
– पवन कुमार भिमटे, उपसंचालक/रोजगार विभाग

हम कोर्ट में चुनौती देंगे

मैं इस मामले में कुछ कहना नहीं चाहता। बस ये जरुर है कि शासन का निर्णय गलत है और इसे हम न्यायालय में चुनौती देंगे।
– सिद्धार्थ श्रीवास्तव, प्रदेश प्रमुख/ यशस्वी

इन 15 जिलों में था कंपनी के पास काम

ग्वालियर, भोपाल, होशंगाबाद, रीवा, सतना, सिंगरौली, जबलपुर, इंदौर, देवास, धार, उज्जैन, खरगौन, सागर, कटनी और शहडोल।

यह काम थे कंपनी के पास

कॉल सेंटर, संविदा नियुक्ति, डेट प्रबंधन, कौशल उन्नयन, तकनीकी शिक्षा एवं प्रबंधन।

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