खुलासा, UP वालों का MP में ‘एडमिशन’: पास करने की गारंटी पर लाखों रुपए लिए; कहा- कॉपी पर नाम लिख देना, बाकी हम पर छोड़ दो

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योगेश पांडे (भोपाल)एक घंटा पहले

व्यापमं घोटाले के लिए बदनाम रहे मध्यप्रदेश में एडमिशन के नाम पर धोखाधड़ी का बड़ा रैकेट चल रहा है। उत्तरप्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों के छात्रों से लाखों रुपए की फीस लेकर उन्हें प्रोफेशनल कोर्सेस में एडमिशन देने के नाम पर जालसाजी की जा रही है। जालसाजी के भी अलग-अलग माड्यूल है। किसी से पास कराने का ठेका लिया जा रहा है तो किसी को फर्जी मार्कशीट थमाई जा रही है।

दैनिक भास्कर की पड़ताल में पता चला है कि पड़ोसी राज्यों के वे छात्र जो अपनी सहूलियत से डिग्री हासिल करना चाहते हैं, वे इनके चंगुल में आसानी से फंस रहे हैं।

छात्र परीक्षा देने के लिए कॉलेज पहुंचे तब इन्हें पता लगा कि इनका तो एडमिशन ही नहीं हुआ है। जालसाजों ने इन छात्रों को बाकायदा यूनिवर्सिटी और कॉलेज कैंपस में बुलाकर वहीं पर फीस की रसीदें दी थीं, इसलिए उन्हें कभी इस बात का अहसास नहीं हुआ कि उनके साथ धोखा हो रहा है।

किसी ने मां के गहने गिरवी रखे, किसी ने लोन लिया
हमारी पड़ताल में अब तक ऐसे 27 छात्र सामने आ चुके हैं, जिन्होंने लाखों रुपए फीस दी है, लेकिन किसी का एनरोलमेंट ही नहीं हुआ है। ज्यादातर छात्र गरीब पृष्ठभूमि से हैं। किसी ने मां के गहने गिरवी रखकर तो किसी ने पिता की खेती पर लोन लेकर फीस की रकम दी थी। छात्रों ने पुलिस को इस जालसाजी की सूचना दी तो उन पर जानलेवा हमले की भी कोशिश हुई।

छात्रों का आरोप है कि पुलिस को भी इस मामले में हकीकत मालूम है, लेकिन वे दलालों पर कोई कार्रवाई नहीं करना चाह रहे हैं। भास्कर रिपोर्टर ने छात्र बनकर दो दलालों मोईनुद्दीन 8815621715 और फईम से उनके मोबाइल नंबर 88409 01237, 86016 95208 पर बात की तो पता चला कि कैसे खेला जा रहा है छात्रों को ठगने का खेल।

आसानी से डिग्री की चाह रखने वाले होते हैं निशाने पर…

पुलिस में शिकायत, लेकिन एक्शन नहीं
पीड़ित छात्रों को जब ये पता लगा कि वे जालसाजी के शिकार हुए हैं, तो उन्होंने पहले तो जालसाज से फोन पर बात कर अपनी फीस लौटाने की गुहार लगाई, लेकिन जालसाज ने उन्हें जान से मारने की कोशिश की। छात्रों ने इसकी शिकायत पुलिस से भी की, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया। छात्रों का आरोप है कि इन जालसाजों को पुलिस का भी संरक्षण मिला होता है। इन माफियाओं का पूरा नेटवर्क पड़ोसी राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों में है। यहीं से वे ऐसे छात्रों को फंसाते हैं और फिर उनसे लाखों रुपए की वसूली करते हैं।

ये है फईम। यही छात्रों को फंसाता है। इसके निशाने पर यूपी के छात्र रहते हैं। उन्हें एमपी में परीक्षा दिलाने के नाम पर लाखों का खेल करता है।

ये है फईम। यही छात्रों को फंसाता है। इसके निशाने पर यूपी के छात्र रहते हैं। उन्हें एमपी में परीक्षा दिलाने के नाम पर लाखों का खेल करता है।

पहले बताया परीक्षा स्थगित, फिर पता चला एडमिशन ही नहीं हुआ
पीड़ित छात्रों ने बताया कि जब वे परीक्षा देने भोपाल पहुंचे तो पहले उन्हें बताया गया कि उनकी परीक्षा स्थगित हो गई है। जब हमने फईम से बात की, क्योंकि उसी ने हमें यहां एडमिशन दिलाया था। हमने फीस भी उसी को दी थी। फईम ने हमें घंटों तक इंतजार कराया। फिर शाम को कहा कि वह परीक्षा शाखा में हैं। जब हमने पता किया तो पता चला कि हमारा तो यहां एडमिशन ही नहीं हुआ है। हमने उसे फोन किया तो उसने हमें एमपी नगर मिलने बुलाया। फिर बोला कि वो सब ठीक कर देगा। जब हमने अपनी फीस के पैसे वापस मांगे तो अब वो हमें जान से मारने की धमकी दे रहा है।

जिन छात्रों ने एडमिशन के लिए रुपए दिए उन्हें भरोसा दिलाने के लिए ठगों ने आईईएस यूनिवर्सिटी की रसीदें दीं। जब छात्रों ने यूनिवर्सिटी में बात की तो उनका कहना था कि यह रसीदें फर्जी हैं।

जिन छात्रों ने एडमिशन के लिए रुपए दिए उन्हें भरोसा दिलाने के लिए ठगों ने आईईएस यूनिवर्सिटी की रसीदें दीं। जब छात्रों ने यूनिवर्सिटी में बात की तो उनका कहना था कि यह रसीदें फर्जी हैं।

एग्जाम ऑनलाइन हुए थे, फईम के नंबर पर पेपर भेजे थे
अजीम और साजिद अली, अरविंद, सोनू, विशाल और हरिशंकर ने यहां 2020 में एडमिशन लिया था। पूरी फीस जमा कर दी थी। कॉलेज का नाम मार्कशीट में नहीं है। बारकोड से चेक करने पर कुछ नहीं आता है, वो भी फर्जी है। सेकेंड ईयर का वो इंतजार कर रहे थे कि पेपर कब होंगे। हमने ये सोचा कि फर्स्ट ईयर हमारा कंप्लीट हो गया। पहले ये कहते रहे थे पेपर डिले हो गया। तब हमें पता चला कि हमारे साथ जालसाजी हुई है। हमें तो ये भी नहीं पता है कि हमारा कॉलेज कौन सा है। हमारा तो पूरा काम फईम के मार्फत हुआ है।

कई छात्रों को RGPV की फर्जी मार्कशीट देकर सेकेंड ईयर में फिर एडमिशन के नाम पर रुपए लिए। असल में इन लोगों का न तो एडमिशन हुआ न ही कोई परीक्षा।

कई छात्रों को RGPV की फर्जी मार्कशीट देकर सेकेंड ईयर में फिर एडमिशन के नाम पर रुपए लिए। असल में इन लोगों का न तो एडमिशन हुआ न ही कोई परीक्षा।

रजिस्ट्रार बोले- ये तो फर्जी रसीदें हैं
इस मामले में जिस यूनिवर्सिटी की फर्जी रसीदें जालसाज ने बच्चों को दी है, उसके रजिस्ट्रार जेआर सांवले के मुताबिक वे किसी फईम नाम के लड़के को नहीं जानते। न ही उनका इससे कोई लेना देना है। यदि कोई उनकी यूनिवर्सिटी या कॉलेज में एडमिशन दिलाने के नाम पर छात्रों को बरगलाकर उनसे पैसे वसूल रहा है, तो वे खुद भी इसकी शिकायत पुलिस को करेंगे। उनके पास अब तक कोई पीड़ित छात्र नहीं पहुंचा है, न ही संस्थान की ओर से कैश में फीस लेने की ये रसीदें जारी की गई हैं।

अब पढ़िए दलालों की बातों में कैसे आ जाते हैं छात्र

इन दलालों को भरोसा हो जाए कि बात करने वाला व्यक्ति यूपी का ही रहने वाला है। इस कारण से हमारे मेरठ संवाददाता मनु चौधरी ने एक छात्र बनकर उसी टोन में बात की। यह दलाल हमारे झांसे में आ भी गए और देखिए रुपए के लिए क्या-क्या करने को तैयार हो जाते हैं यह लोग।

ग्राफिक्स: जितेंद्र कुमार ठाकुर

ग्राफिक्स: जितेंद्र कुमार ठाकुर

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