20 महीने के बच्चे को चाहिए 16 करोड़ का इंजेक्शन: उज्जैन का मासूम SMA बीमारी से पीड़ित; जान बचाने मां-बाप ने PM से मांगी मदद

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उज्जैन3 घंटे पहले

उज्जैन में रहने वाला 20 महीने का अथर्व ऐसी दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा है, जिसका इलाज सिर्फ 16 करोड़ के इंजेक्शन से ही संभव है। बच्चे की मांसपेशियों में इतनी ताकत नहीं है कि वह चल सके या फिर खड़ा हो सके। उसके पास सिर्फ चार महीने का समय बचा है। अथर्व के मध्यमवर्गीय माता-पिता ने अपने मासूम बच्चे की जान बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है। साथ ही बेटे के लिए जरूरी अमेरिकी कंपनी के इंजेक्शन का हवाला देकर आम लोगों से भी मदद की अपील की है।

लाखों में किसी एक को होती है ये बीमारी
अथर्व के पिता का नाम पवन पंवार है, जो पत्नी भावना और बेटे के साथ कनीपुरा स्थित तिरुपति धाम में रहते हैं। पवन ने बताया कि उनका बेटा अभी 20 माह का है। वह स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA-2) बीमारी से पीड़ित है। बच्चे की जान बचाने के लिए 4 महीने के अंदर उसे इंजेक्शन लगाना होगा, जिसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपए बताई गई है। यह इंजेक्शन अमेरिकी दवा कंपनी नोवार्टिस (Novartis) बनाती है। इतनी महंगी कीमत का इंजेक्शन खरीदना हमारे बस की बात नहीं है। यह दुर्लभ बीमारी लाखों में से किसी एक को होती है।

उज्जैन के तिरुपति धाम निवासी पवन पंवार (पिता) और भावना (मां) ने लोगों से बच्चे को बचाने के लिए मदद की गुहार लगाई।

उज्जैन के तिरुपति धाम निवासी पवन पंवार (पिता) और भावना (मां) ने लोगों से बच्चे को बचाने के लिए मदद की गुहार लगाई।

सोशल मीडिया पर डोनेशन की अपील
अथर्व के माता-पिता ने सोशल मीडिया पर 16 करोड़ का जोलगेन्स्मा इंजेक्शन खरीदने के लिए मदद करने की गुहार लगाई है। उन्होंने प्रशासन से लेकर शासन और स्वयंसेवी संस्थाओं और जनप्रतिनिधियों से भी बच्चे को बचाने में मदद करने की अपील की है। डॉक्टर के अनुसार 20 माह के मासूम अथर्व के पास अब चार महीने का समय बचा है। उसे 24 महीने होने से पहले इंजेक्शन लगाना जरूरी है, नहीं तो उसकी जान को खतरा होगा। बच्चे के पिता निजी कंपनी में काम करते हैं। उनकी इनकम 20 हजार रुपए प्रति माह है।

अथर्व की मांसपेशियां कमजोर होने से वह खड़ा भी नहीं हो पाता है।

अथर्व की मांसपेशियां कमजोर होने से वह खड़ा भी नहीं हो पाता है।

क्या है SMA बीमारी?
स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी (SMA) बीमारी वाले बच्चों के शरीर में प्रोटीन बनाने वाला जीन नहीं होता। इससे मांसपेशियां और तंत्रिकाएं (Nerves) खत्म होने लगती हैं। दिमाग की मांसपेशियों की एक्टिविटी भी कम होने लगती है। ब्रेन से सभी मांसपेशियां संचालित होती हैं, इसलिए सांस लेने और खाना चबाने तक में दिक्कत होने लगती है। SMA कई तरह की होती है। Type-1 सबसे गंभीर बीमारी होती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में अभी तक 5 लोगों और दुनिया में करीब 600 लोगों को SMA बीमारी के इलाज के लिए जोलगेन्स्मा का इंजेक्शन लगा है, जिन्हें लगा है उन्हें भी 60% ही फायदा मिला।

SMA-2 से पीड़ित है अथर्व
SMA-2 से पीड़ित बच्चे आमतौर पर सहारे के बिना बैठना सीख लेते हैं, पर वे सहायता के बिना खड़े होना या चलना नहीं सीख पाते हैं। बच्चे का जीवित रहना मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि उसे सांस लेने और निगलने में किस स्तर की कठिनाई होती है। SMA टाइप 3 इस बीमारी का एक अपेक्षाकृत हल्का रूप है।

अथर्व SMA-2 से पीड़ित है। इसमें पीड़ित बच्चा आमतौर पर बिना सहारे के बैठ लेता है।

अथर्व SMA-2 से पीड़ित है। इसमें पीड़ित बच्चा आमतौर पर बिना सहारे के बैठ लेता है।

क्या है इंजेक्शन की खासियत
इस बीमारी के इलाज के लिए जरूरी अमेरिकी कंपनी के इंजेक्शन की कीमत करीब 16 करोड़ रुपए है। इसकी खासियत यह है कि यह उन जीन को निष्क्रिय कर देता है, जो मांसपेशियों को कमजोर कर उन्हें हिलने-डुलने और सांस लेने में समस्या पैदा करते हैं। साथ ही बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास सामान्य रूप से हो सके, इसके लिए वो जरूरी प्रोटीन का उत्पादन भी करता है।

कितनी खतरनाक है यह बीमारी
यह मांसपेशियों को खराब कर देने वाली दुर्लभ बीमारी है। यह तंत्रिका तंत्र को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक प्रोटीन के निर्माण को बाधित करती है। ऐसे में तंत्रिका तंत्र नष्ट होने से बच्चे की मौत भी हो सकती है।

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