मामला नाबालिग का हाथ काटने का: SP के पास पहुंचे डॉक्टर, बोले हमारा काम जान बचाना, जानबूझकर नहीं काटा हाथ

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मुरैना40 मिनट पहले
मुरैना में एक फैक्ट्री में एक नाबालिग का हाथ चला गया जिससे उसका हाथ गंभीर रुप से जख्मी हो गया। घायल अवस्था में फैक्ट्री संचालक नाबालिक को लेकर जिला अस्पताल लाया जहां मौके पर मौजूद ड्यूटी डॉक्टर नीलेश कुलश्रेष्ठ ने उसका पंजा काटकर अलग कर दिया और उसका उपचार किया। इस पर नाबालिग के माता-पिता ने अस्पताल में न केवल हंगामा मचाया बल्कि सिविल लाइन थाने में फैक्ट्री मालिक सहित उपचार करने वाले डॉक्टर के खिलाफ FIR दर्ज करा दी। इस FIR के खिलाफ सोमवार को सभी डॉक्टर SP के पास पहुंचे और एफआईआर से नाम कटवाने की मांग की। बता दें, कि 15 वर्षीय सोनू जाटव नेशनल हाईवे स्थित एक फ्लोर मिल में काम करता था। काम के दौरान उसका एक हाथ गेंहूं छानने वाली मशीन में चला गया, जिससे उसका दाहिने हाथ का पंजा गंभीर रुप से घायल हो गया। नाबालिग को घायल देखकर फैक्ट्री मालिक के होश उड़ गए। वो उसे लेकर जिला अस्पताल लाए जहां ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर नीलेश कुलश्रेष्ठ ने उसका पंजा उसके हाथ से अलग कर दिया। जब नाबालिग के माता-पिता हास्पीटल पहुंचे तो उन्हें पता लगा कि उनके बच्चे का पंजा डॉक्टर ने काटकर कलाई से अलग कर दिया है तो वे आग-बबूला हो उठे और उन्होंने अस्पताल में हंगामा मचा दिया। उन्होंने डॉक्टर से कहा कि पंजा काटने से पहले कम से कम उनसे अनुमति तो ले लेते, शायद वे अपने बेटे को ग्वालियर या किसी अन्य बड़े अस्पताल ले जाते जिससे वह विकलांग होने से बच जाता। माता-पिता सीधा सीविल लाइन थाने पहुंचे और वहां फैक्ट्री मालिक के साथ-साथ डॉक्टर नीलेश कुलश्रेष्ठ के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया।

डॉक्टरों से बात करते एसपी बागरी
इस मामले में दिए जा रहे दो तर्क
1-नाबालिग के माता-पिता का कहना है कि जब भी मरीज की चिकित्सा के संबंध में बड़ा फैसला लिया जाता है तो सबसे पहले उसके माता-पिता से स्पष्टीकरण ले लिया जाता है। यह स्थिति नाबालिग के संबंध में है, अगर बालिग है तो उसे स्वयं यह स्पष्टीकरण देना होता है। उसके बाद ही उसका मेजर ऑपरेशन या इलाज किया जाता है। लेकिन यहां इस मामले में इस बात को सरासर दरकिनार किया गया तथा डॉक्टर ने लापरवाही दिखाई।
2-नाबालिग के माता-पिता के अनुसार सिविल अस्पताल मुरैना में अगर कोई केस थोड़ा भी गंभीर होता है तो यहां के डॉक्टर तुरंत मरीज को ग्वालियर स्थित जयारोग्य चिकित्सालय रैफर कर देते हैं। पिछले कई सालों का रिकॉर्ड अगर खंगाला जाए तो हर गंभीर मरीज के बारे में यही पाया जाएगा, लेकिन इस मामले में डॉक्टरों ने ऐसा कुछ नहीं किया और न ही नाबालिग के माता-पिता से पूछा तथा सीधे उसका पंजा उसके हाथ से अलग कर दिया। नाबालिग के माता-पिता के अनुसार इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि हो न हो डॉक्टर ने फैक्ट्री संचालक की सिफारिश या दवाब में डॉक्टर ने उनके बेटे का पंजा हाथ से काटकर अलग कर दिया।

एसपी के सामने मौजूद डॉक्टर
जांच में नाम हटा देंगे डॉक्टर
जब सभी डॉक्टर एकजुट होकर SP आशुतोष बागरी के पास पहुंचे तो एसपी ने उन्हें आस्वासन दिया कि जांच के दौरान डॉक्टर का नाम एफआईआर से हटा दिया जाएगा। हालांकि जब डॉक्टरों ने एक राय होकर एसपी पर दवाब डालते हुए कहा कि इस तरह से उनकी छवि खराब हो जाएगी और अब हर MLC या PM पर लोग सवाल खड़ा करेंगे, तो एसपी ने कहा कि ऐसी नौबत नहीं आएगी, आप लोग निश्चिंत होकर जाइये, FIR में भले ही डॉक्टर का नाम लिख दिया गया है लेकिन जांच के दौरान नाम हटा दिया जाएगा। एसपी के इस आश्वासन के बाद डॉक्टर संतुष्ट होकर वहां से चले गए। इस दौरान डॉक्टरों ने लिखित में एसपी को ज्ञापन भी सौंपा है।
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